DEHRADUN: नवरात्र महोत्सव के दूसरे दिन रविवार को माता के ब्रह्मचारिणी रूप की आराधना की गई। मंदिरों और घरों में दुर्गा सप्तसती का पाठ कर सुख-समृद्धि की कामना की गई। मंदिरों में भव्य माता की चौकी भी आयोजित की गई।

दुर्गा सप्तसती का किया पाठ

दून में नवरात्र के दूसरे दिन रविवार को नवदुर्गा के ब्रह्मचारिणी के स्वरूप की उपासना की गई। मां ब्रहमचारिणी को ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी माना जाता है। घरों व मंदिरों में दुर्गा सप्तसती का पाठ कर मां का गुणगान किया गया। हालांकि इस बार मंदिरों में इस बार पहले जैसी भजन मंडली नहीं दिखाई दी। मान्यता है कि स्टूडेंट्स और तपस्वियों के लिए इनकी पूजा बहुत ही शुभ फलदायी होती है। जिनका स्वाधिष्ठान चक्र कमजोर हो, उनके लिए भी मां ब्रह्मचारिणी की उपासना अत्यंत अनुकूल होती है। साधक इस दिन अपने मन को मां के चरणों में लगाते हैं। ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली। इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली। इनके दाहिने हाथ में जप की माला व बाएं हाथ में कमंडल रहता है। इस दिन साधक कुंडलिनी शक्ति को जागृत करने के लिए भी साधना करते हैं। इनकी उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है। जीवन के कठिन संघर्षों में भी उसका मन कर्तव्य-पथ से विचलित नहीं होता। मंदिरों में भव्य माता की चौकी आयोजित की गई।

माता से सुख समृद्धि की कामना

नवरात्र के दूसरे दिन विभिन्न मंदिरों व घरों में श्रद्धालुओं ने मां भगवती की पूजा अर्चना के साथ घर परिवार में सुख समृद्धि की कामना भी की गई। युवा शक्ति केशवपुरी बस्ती (राजीवनगर) डोईवाला ने माता डाट काली देवी के मंदिर से जोत लाकर प्रज्वलित की गई।