-सिटी में नहीं हो रही है फॉगिंग, बढ़ रहा डेंगू का खतरा
-नगर निगम ने अप्रैल में ही खरीद ली थी मच्छरों को मारने की दवाई
DEHRADUN: डेंगू ने अपनी दस्तक से लोगों में भले ही डर भर दिया हो, लेकिन नगर निगम अलर्ट होने के बजाय लापरवाही दिखा रहा है। निगम के अधिकारी सिटी में फॉगिंग कराने के दावे तो कर रहें हैं, लेकिन फॉगिंग के बाद भी न मरने वाले मच्छर दावों को झूठा साबित कर रहे हैं। इतना ही नहीं दूनाइट्स को डेंगू व मलेरिया की बीमारी से बचाने के लिए नगर निगम को कितना काम करना है। उसकी सच्चाई भी सड़कों पर पड़ा कचरा व इलाकों में जमा हुआ गंदा पानी बताने के लिए काफी है।
होता है लाखों खर्च
नगर निगम का स्वास्थ्य विभाग फॉगिंग के नाम पर हर वर्ष लाखों रुपये खर्च करता है। इस वर्ष भी अब तक एक लाख से ज्यादा की दवाई खरीदी जा चूकी है। बावजूद शहर के लोगों को मच्छरों के प्रकोप से छुटकारा नहीं मिल रहा है। शहर के कई वार्डो में मच्छरों ने लोगों का जीना मुहाल कर रखा है। वहीं लोगों को भी डर है कि मच्छर के काटने से कहीं उन्हें डेंगू या मलेरिया न हो जाए।
दवाई खरीद का विवरण
अप्रैल ख्0क्भ् की खरीद
-इस वर्ष अब तक क् लाख 88 हजार रुपये की मैलाथीन की दवाई खरीदी है।
-इस वर्ष अब तक क् लाख ख्क् हजार ख्भ्0 रुपये का बिलीजिंग पाउडर की खरीद हो चूकी है।
ख्0क्ब् में दवाई खरीद
-फॉगिंग के लिए पूरे वर्ष में मैलाथिन दवाई पर ख् लाख ख्भ् हजार रुपये खर्च हुए।
-कचरे पर पानी पर डालने के लिए प्रयोग होने वाले ब्लीचिंग पाउडर पर ख् लाख म्0 हजार रुपये खर्च हुए।
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नगर निगम है जिम्मेदार
सिटी के लोगों को डेंगू के मच्छर से बचाने के लिए जिम्मेदारी नगर निगम की होती है। इसके लिए बकायदा निगम में स्वास्थ्य विभाग के लिए टेंडर पास होता है, जिसमें दवाईयों की खरीद और मशीनों के प्रयोग की लिखित अनुमति मिलती है। शहर के सभी वार्डो में फॉगिंग कराता है, जिससे डेंगू के मच्छरों को खत्म करने के कोशिश रहती है। वहीं फॉगिंग से ही मच्छरों के लारवा को भी खत्म किया जाता है।
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फॉगिंग में यूज होती है मैलाथिन दवाई
मच्छरों को मारने के लिए जो फॉगिंग किया जाता है। उसमें मैलाथिन दवाई का प्रयोग किया जाता है। यह दवाई तरल पदार्थ में होती है, जिसको डीजल या मिट्टी के तेल में मिलाकर फॉगिंग की जाती है। इस दवाई के छिड़काव से डेंगू के मच्छर व उसके लारवा मर जाते है।
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हमारे एरिया में तो फॉगिंग होती ही नहीं है। गड्ढों में पानी भरने से वहां मच्छर पनप रहे हैं। ऐसे में घर के अंदर तो हम खुद ही सुरक्षा कर लेते हैं, लेकिन बाहर मच्छर के काटने से डेंगू का खतरा रहता है।
प्रेम सिंह बिष्ट, रेस कोर्स
नालियों में सफाई न होने से वहां मच्छर रहते है। वहीं पेड़-पौधों के आस पास भी जहरीले मच्छर घूमते है। ये मच्छर काटते ही बड़ा निशान बना देते है। फॉगिंग भी क्षेत्र में नहीं होती है।
अशोक उनियाल, भंडारी बाग
हमारे क्षेत्र में एक बार तो फॉगिंग हुई है, लेकिन उसका कोई असर नहीं हुआ। मौहल्लों में मच्छरों रात में सोने भी नहीं देते हैं। डर भी रहता है कि कहीं इनके काटने से डेंगू या मलेरिया की बीमारी न हो जाए।
ओमप्रकाश, चंद्रनगर नई बस्ती
फॉगिंग करने के लिए हमारे क्षेत्र में अभी तक तो कोई टीम नही आई। एरिया में गंदा नाला भी बहता है, जिससे मच्छर पनप रहें है।
जीत सिंह, गणेश विहार
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वर्जन
'बरसात के मौसम में दवाई के बहने के कारण कई बार फॉगिंग रोक दी जाती है। नहीं तो फॉगिंग तो शहर के सभी एरियों में चल ही रही है। यदि कोई हमारे पास भी आता है तो हम वहां भी फॉगिंग करा रहे है.'
नितिन भदौरिया, एमएनए नगर निगम देहरादून
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तरुण पाल