- खाली करो फुटपाथ अभियान के तहत दैनिक जागरण आई नेक्स्ट द्वारा वेबिनार का किया गया आयोजन

- कब्जा करने वालों के लिए परमानेंट इलाज ढूंढने और लगातार मॉनिटरिंग का आया सुझाव

देहरादून,

दून में फुटपाथ अब नजर नहीं आते हैं। सड़कों पर पैदल चलने वालों को ही पता नहीं चलता कि फुटपाथ कहां हैं। इतना ही नहीं किसी से पूछो भी तो इसका किसी के पास कोई जवाब नहीं है। खाली करो फुटपाथ अभियान के तहत दैनिक जागरण आई नेक्स्ट द्वारा फुटपाथ की समस्या को लेकर आयोजित किए गए वेबिनार में दून के प्रबुद्धजनों, समाजसेवी, व्यापारी, महिला संगठनों के प्रतिनिधि और नगर निगम के अधिकारी ने प्रतिभाग किया। जिसमें सभी ने दून में फुटपाथ की समस्या पर अपनी राय और सुझाव दिए। इस दौरान यह बात सामने आई कि फुटपाथ पर जिनका कब्जा है, उनको एक बार हटाने के बजाय परमानेंट शिफ्ट करने पर भी विचार होना चाहिए। फुटपाथ पर कब्जा करने वालों पर सख्त कार्रवाई करना भी विचार सामने आया।

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दून में फुटपाथ की समस्या बहुत बड़ी समस्या है। एसडीसी फाउंडेशन की और से इसको लेकर एक सर्वे भी किया जा चुका है। जिसमें 60 परसेंट लोगों ने दून के फुटपाथों को बहुत खराब बताया। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि दून में फुटपाथ किस स्थिति में है।

अनूप नौटियाल, अध्यक्ष, एसडीसी फाउंडेशन

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एक तरफ सड़कों पर ट्रैफिक बढ़ गया है। दूसरी तरफ लोगों का पैदल चलना मुश्किल हो गया है। फुटपाथ न होने से लोगों को बड़ी मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। फुटपाथ न होने से महिलाओं को भी बड़ी मुसीबत होती है। फुटपाथ होने जरूरी है।

रमा गोयल, हर्षल फाउंडेशन

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पलटन बाजार में आने वाले समय में फुटपाथ की समस्या ही खत्म हो जाएगी। स्मार्ट सिटी के तहत होने वाले कार्यो के बाद पैदल चलने वालों को कोई समस्या नहीं रहेगी। लेकिन मेन रोड पर फुटपाथ की समस्या का कोई समाधान नहीं निकल पा रहा है।

पंकज मैसोन, व्यापारी नेता

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सड़कों के किनारे नाम मात्र के फुटपाथ हैं। जो फुटपाथ हैं भी वहां पर कब्जे हो रखे हैं। कोई भी सुध लेने वाला नहीं है। विकास के नाम पर पैसे तो खर्च हो जाते हैं। लेकिन उसके बाद कोई भी देखरेख नहीं करता है। विभागों और अधिकारियों की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए।

पूजा सुब्बा, सबकी सहेली फाउंडेशन

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जब भी हम बाजार जाते हैं तो सबसे पहले यही शब्द निकलता है, उफ ये कहां आ गए। सड़कों पर चारों तरफ कब्जे और पार्किंग बनाई हुई रहती हैं। पैदल चलने को कोई जगह नहीं छोड़ी जाती है। महिलाओं को इस तरह से भीड़ में चलने में सबसे ज्यादा परेशानी होती है।

तशनीमा, शक्ति फाउंडेशन ट्रस्ट

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फुटपाथ पर कब्जे करना और इनको किराए पर बेचना सरकार की अनदेखी का नतीजा है। बाजार में सबकी मनमानी चल रही है। जिससे आम आदमी को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। यह सरकार की फेल्योर है।

लकी राणा, युवा नेता

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फुटपाथ के आसपास कुछ लोग गलत तरीके से कब्जा करते हैं, जो कि धीरे-धीरे सड़कों पर दुकान खोलने के अलावा फुटपाथ पर ही घर बना रहे हैं। ऐसे लोगों पर कार्रवाई करनी चाहिए। ये जगह आम पब्लिक की है।

ऊषा राना

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गाड़ी चलने वालों को कोई भी सड़क पर जगह दे देता है, लेकिन पैदल चलने वालों को सड़क में जगह नहीं दी जाती है। पब्लिक को चलने के लिए फुटपाथ बनाए जाते हैं। लेकिन अब फुटपाथ कहां है, इसका जवाब कोई नहीं दे सकता है।

भूपिदंर चड्ढा

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पब्लिक के लिए फुटपाथ पर चलना आसान हो, इसके लिए कई बार अभियान चलाकर कार्रवाई की जाती है। इसके लिए प्लानिंग के तहत कार्रवाई होती है। नगर निगम की टीमें फुटपाथों की मॉनिटरिंग करती रहती है।

विनय प्रताप सिंह, भूमि कर निरीक्षक