देहरादून ब्यूरो। प्रो। सिंह वर्ष 1945 में जब एक वर्ष के थे तो उनकी मां अमर कौर को अंग्रेज सरकार ने गिरफ्तार कर लिया था। वे अपनी मां के साथ खुद भी जेल में रहे और इस तरह वे जेल जाने वाले सबसे कम उम्र के स्वतंत्रता सेनानी है। उन्होंने अपनी मां से सुने शहीद भगत सिंह के कई संस्मरण सुनाए। कहा कि जब भगत सिंह सिर्फ 12 वर्ष के थे तो जलियांवाला बाग कांड हुआ था। 12 वर्ष के भगत सिंह अकेले लाहौर से अमृतसर पहुंचे और जलियांवाला बाग की खून से सनी मिट्टी ले गए थे। तब उन्होंने कई दिन से न तो ठीक से खाना खाया था और न ठीक से सोये थे। प्रो। सिंह के अनुसार ऐसा उनकी मां अमरकौर ने उन्हें बताया था।

सुनकर नहीं, वेरिफाई कर विश्वास करो
प्रो। सिंह ने कहा कि भगत सिंह की एक खूबी यह थी कि वे किसी बात पर सुनकर विश्वास नहीं करते थे। संभवत: लाहौर से अमृतसर वे यही जानने के लिए गये कि वास्तव में वहां हुआ क्या होगा। बाद में दिनों में उन्होंने सच्चाई जानने के लिए किताबें पढऩा शुरू किया। और तो और गुरुग्रंथ साहिब पढऩे के लिए पहले उन्होंने खुद गुरुमुखी सीखी। जब वे गुरुमुखी सीख रहे थे, तब पहला गुरुमुखी में लिखा पत्र अपने चाचा करतार सिंह को भेजा था। वह पत्र अब भी उनके परिवार के पास मौजूद है।

90 परसेंट मैसेज झूठे
प्रो। सिंह ने कहा कि भगत सिंह की तरह ही किसी भी बात पर सुनकर नहीं वेरिफाई करके विश्वास करना चाहिए। उन्होंने युवाओं से कहा कि उनके व्हाट्सएप में आने वाले 90 परसेंट मैसेज झूठे होते हैं। इसलिए जरूरी है कि हर मैसेज को वेरिफाई करें। ऐसा करने से पता चलेगा कि इन मैसेज में सच्चाई बहुत कम है। 1924 में असहयोग आंदोलन की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में असहयोग आंदोलन फेल हो गया था, लेकिन इसी दौरान आयरलैंड आजाद हुआ था। इसके बाद भगत सिंह ने आयरलैंड की आजादी की लड़ाई के बारे में पढऩा शुरू किया, ताकि भारत में भी इसी तरह से आंदोलन चलाया जा सके।

किताब का पन्ना मोड़कर फांसी
पढ़ाई के प्रति भगत सिंह की रुचि का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जिस समय भगत सिंह को फांसी के लिए बुलावा आया, उस समय वे लेनिन की जीवनी पढ़ रहे थे। फरमान सुनने के बाद उन्होंने किताब का वह पन्ना मोड़ दिया, जिसे वे पढ़ रहे थे और फांसी के फांसीघर की तरफ बढ़ गये।

3 स्टूडेंट्स का पुरस्कार
इस समारोह में मेरे लिए शहीद भगत सिंह के जीवन का महत्व विषय में आयोजित निबंध और संभाषण प्रतियोगिता के 7 विजेताओं को पुरस्कार दिये गये। पहला पुरस्कार डीडब्ल्यूटी कॉलेज की हिमाद्रि, दूसरा पुरस्कार ग्राफिक इरा के अरबाज, तीसरा पुरस्कार डीब्ल्यूटी की गुंजन त्रिपाठी को दिया गया। समारोह में 7 स्टूडेंट ने भगत सिंह पर भाषण दिया। इस प्रतियोगिता के विभिन्न हिस्सों में 110 स्टूडेंट्स ने हिस्सा लिया।