- स्कूल खुलने के बाद पैरेंट्स के सामने ट्रांसपोर्टेशन की समस्या

- वैन संचालक साल भर से बेकार, डॉक्यूमेंट नहीं कर पा रहे अपडेट

देहरादून,

एक साल बाद स्कूल खुलते ही अब पैरेंट्स के सामने बच्चों को स्कूल भेजने की समस्या खड़ी हो गई है। बीती फरवरी से स्कूली बच्चों को लाने और ले जाने वाली स्कूल वैन के पहिये थमे हुए हैं। जिनमें से 90 परसेंट वैन के डॉक्यूमेंट रिन्यू नहीं हुए है। ऐसे में अब बच्चों के सामने जहां ट्रांसपोर्टेशन की समस्या है, वहीं स्कूल वैन संचालक आर्थिक परिस्थितियों और नई गाइडलाइन के चलते वैन को स्टार्ट करने से बच रहे हैं।

5 हजार बच्चे करते हैं यूज

दून में 500 से ज्यादा स्कूल वैन रजिस्टर्ड हैं। इन स्कूली वैन में 5 हजार से ज्यादा बच्चे रोजाना सफर करते थे। लेकिन कोरोनाकाल में अब 10 परसेंट स्कूल वैन ही सड़कों पर नजर आ रही हैं। जबकि 50 परसेंट से ज्यादा स्कूल वैन संचालकों के डॉक्यूमेंट रिन्यू न होने के कारण वैन को सड़कों पर नहीं उतार पा रहे। ऐसे में स्कूल खुलने और एग्जाम शुरू होने से पहले पैरेंट्स के सामने बच्चों के ट्रांसपोर्टेशन की समस्या खड़ी है। वैन चालकों की बात करें तो अधिकतर वैन चालक इंश्योरेंस और परमिट के डॉक्यूमेंट को रिन्यू करने के लिए कम से 50 हजार रुपए की जरूरत बता रहे हैं। वैन को सड़क पर उतारने के लिए परमिट और दूसरे डॉक्यूमेंट को भी अपडेट करना होगा। इतना ही नहीं वैन को दोबारा से चलाने के लिए कोरोना संक्रमण गाइडलाइन को भी फॉलो करना होगा। ऐसे में अगर वैन को चलाने की पहल भी करें तो वैन चालकों को दोहरी मार पड़नी तय है।

वैन चालकों की प्रॉब्लम-

- परमिट और इंश्योरेंस की फीस जमा कैसे करें।

-वैन को सड़क पर उतारने के लिए कम से कम 50 हजार रुपए की जरूरत

- एक साल से खड़ी गाड़ी की मेंटेनेंस करनी होगी।

-अभी कम बच्चे स्कूल जा रहे हैं, कम बच्चों के साथ खर्चा कैसे निकलेगा।

-कोरोना संक्रमण को देखते हुए नियमों का पालन कराना बड़ा चैलेंज

पैरेंट्स की प्रॉब्लम

-स्कूल से लाने और ले जाने के लिए ट्रांसपोर्टेशन की जरूरत

-पुराने वैन चालक अब चलाने से कर रहे इनकार

-नई वैन के लिए करने होंगे पहले से ज्यादा खर्च

-स्कूल बसों की भी सुविधाएं नहीं है सही

-पब्लिक ट्रांसपोर्ट का डर, संक्रमण का खतरा

-500 से ज्यादा स्कूल वैन रजिस्टर्ड

-5000 बच्चे कोरोनाकाल से पहले करते थे सफर

-10 परसेंट वैन ही हैं सड़क पर चलने को तैयार

-50 परसेंट वैन चालकों के डॉक्यूमेंट नहीं है रेडी

2002 से वैन चला कर घर का पालन पोषण कर रहे हैं। लेकिन पिछले एक साल से गाड़ी खड़ी है। अगस्त में गाड़ी का परमिट और इंश्योरेंस रिन्यू होना था, लेकिन पैसे नहीं होने से अबतक डॉक्यूमेंट तैयार नहीं करवा पाया हूं। दूसरा काम तलाशने की सोच रहा हूं।

वीरेन्द्र सिंह पद्म, वैन चालक, गढ़ी कैंट

1 साल से काम काज नहीं है, साल भर से वैन घर पर खड़ी है लोन पर गाड़ी ली थी। लॉकडाउन में परिजनों से उधार लेकर किश्त जमा कराई। सुबह अखबार डालकर घर चला रहा हूं। डॉक्यूमेंट सब एक्सपायर हो गए हैं। जिसके लिए 50 हजार रुपए चाहिए।

गगन ढींगरा, मच्छी बाजार

12 सालों से स्कूल वैन चला रहा हूं। कोरोनाकाल में काम बंद रहा, दूसरे की गाड़ी चलाकर काम चलाया। अगर कोई बुलाता है तो कम से कम 25 हजार रुपए का खर्चा आएगा। परिवहन विभाग 6 माह का टैक्स माफ किया हुआ है, लेकिन हमारी गाड़ी साल भर से बंद है। सरकार से टैक्स माफ करने की मांग कर रहे हैं।

मुकेश कुमार, तेगबहादुर रोड

सालभर से वैन खड़ी होने के कारण स्कूल वैन चालकों की आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई है। इसी मजबूरी के चलते वैन सड़कों पर नहीं उतार पा रहे हैं। दोबारा शुरू करने के लिए ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट और पैरेंट्स दोनों की मदद की आवश्यकता है।

सचिन गुप्ता, अध्यक्ष, उत्तराखंड स्कूल वैन एसोसिएशन

अगर स्कूल वैन सड़क पर उतारनी है तो नियमों का पालन तो करना ही पड़ेगा। ये बच्चों की सुरक्षा का सवाल हैं, ट्रांसपोर्ट वालों की प्रॉब्लम को देखते हुए टैक्स से पहले से ही 6 माह की छूट दी गई है।

- दिनेश पठोई, आरटीओ, एडमिन।