देहरादून ब्यूरो। पुलिस के अनुसार सुबह करीब 8.30 बजे सूचना मिली कि थाना त्यूणी से करीब 15-20 किलोमीटर आगे गावं प्लासू के पास एक पिकअप वाहन 100 मीटर गहरी खाई में गिर गया है। वाहन त्यूणी से अटाल की तरफ जा रही था। पुलिस मौके पर पहुंची, जहां वाहन करीब 100 मीटर गहरी खाई में गिरा हुआ था। पुलिस ने स्थानीय लोगों की मदद से खाई में उतर कर रेस्क्यू अभियान शुरू किया।

दो शव मिले
पुलिस के अनुसार इस वाहन में वाहन का ड्राइवर और एक अन्य व्यक्ति सवार था। हादसे में दोनों की मौत हो गई। पुलिस ने दोनों शव खाई ने निकालकर मोर्चरी भिजवा दिये। मृतकों की पहचान गाड़ी के ड्राइवर सुलेमान पुत्र गानी निवासी ग्राम रिक्षाणू थाना त्यूणी देहरादून उम्र 50 वर्ष और सुनील चौहान पुत्र केशर सिंह चौहान निवासी थंगाड तहसील चौपाल थाना नेरवा जिला शिमला, हिमाचल प्रदेश उम्र 35 वर्ष के रूप में हुई। पुलिस के अनुसार दोनों के शव सीएचसी त्यूणी की मोर्चरी में रखवा कर परिजनों को सूचना दे दी गई है।

देर रात हुई घटना
पुलिस का कहना है कि एक्सीडेंट शायद थर्सडे देर रात हुआ। लेकिन, सुनसान जगह होने के कारण किसी को इसका पता नहीं चला। सुबह वहां से गुजरने वालों को सड़क किनारे किसी वाहन के रपटने के निशान दिखे। लोगों ने खाई में झांककर देखा तो करीब 100 मीटर नीचे दुर्घटनाग्रस्त पिकअप वाहन नजर आया। इसके बाद लोगों ने पुलिस को घटना की सूचना दी। थानाध्यक्ष आशीष रवियान ने कहा पुलिस सड़क हादसे के कारणों की जांच कर रही है। घटना से क्षेत्र में मातम छा गया। थाना पुलिस टीम के साथ रेस्क्यू में अणू , प्लासू व आसपास के ग्रामीणों का विशेष सहयोग रहा। सामाजिक कार्यकर्ता केशवानंद शर्मा व संदीप रावत ने कहा सीमांत क्षेत्र में सड़क दुर्घटना के समय संसाधनों की कमी के चलते स्थानीय लोग हमेशा मदद के लिए आगे रहते हैं।

खराब सड़कें और ओवर लोडिंग
दून के विकासनगर से चकराता और त्यूनी की तरफ जाने वाली सड़कें बेहद बुरी हालत में हैं। प्रशासन के लगातार उपेक्षा के चलते सड़कों की मरम्मत का काम समय पर नहीं हो पा रहा है। इसके अलावा क्षेत्र की कुछ मुख्य सड़कों के अलावा किसी भी ग्रामीण मार्ग पर पब्लिक ट्रांसपोर्ट की कोई व्यवस्था नहीं है। स्थानीय लोगों के ट्रैकर वाहन ही यहां यातायात के प्रमुख साधन हैं। इन वाहनों की फिटनेस की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जाता। इन ट्रैकर वाहनों में अक्सर अंदर को ठूंस-ठूंस कर सवारियां बिठाई ही जाती हैं। ट्रैकर की छतों में भी कई लोग बिठा दिये जाते हैं।