- बिना विकल्प दिये केवल जुर्माने के सहारे पॉलीथिन बैन की कवायद
- कई जरूरी कामों में लिया जा रहा प्लास्टिक का सहारा
- खाली पैकेट और बॉटल्स के लिए नहीं कोई ठोस व्यवस्था
देहरादून
राज्य सरकार की ओर से हर तरह का पॉलीथिन बैन किये जाने की अधिसूचना के बाद नगर निगम ने मंडे से पॉलीथिन इस्तेमाल करने वालों के खिलाफ अभियान चलाने और पकड़े जाने पर जुर्माना वसूलने की तैयारी कर ली है। इसके लिए अगल-अलग टीमों का गठन किया गया है। हालांकि नगर निगम की इस योजना के बाद एक बार फिर से सवाल उठाये जा रहे हैं कि पॉलीथिन का विकल्प दिये बिना इसे पूरी तरह से बैन करना कितना संभव है और इस अभियान को कितनी सफलता मिलेगी।
हर जगह पॉलीथिन
फिलहाल स्थिति यह है कि घर हो या दुकान, होटल हो या सब्जी मंडी हर जगह पॉलीथिन का बहुतायत से इस्तेमाल किया जा रहा है। बाजार में राशन से लेकर सब्जी और दूसरी तमाम चीजें पॉलीथिन में ही दी जा रही हैं। मास्क और पेन जैसी छोटी-छोटी चीजों की पैकिंग भी पॉलीथिन में ही दी जा रही है। सवाल यह उठाया जा रहा है कि क्या इन सभी चीजों को बेचने वालों पर भी जुर्माना लगाया जाएगा और इस तरह की पैकिंग के लिए किसे जिम्मेदार माना जाएगा।
प्लास्टिक पैकिंग का क्या विकल्प
सब्जी और अन्य सामान पॉलीथिन बैग में बेचने वालों पर तो आसानी से जुर्माना लगाया जा सकता है, लेकिन पैकेटबंद चीजों के मामले में किस पर जुर्माना लगाया जाएगा, इस बारे में फिलहाल कुछ भी तय नहीं है। लगभग सभी ब्रांड के बिस्कुल, नमकीन, चायपत्ती से लेकर दूध तक मल्टीलेयर पॉलीथिन पैक में आते हैं। इन चीजों का इस्तेमाल करने के बाद इनके पैकेट लापरवाही से फेंक दिये जाते हैं। हालांकि प्लास्टिक वेस्ट रूल्स-2016 में इन पैकेट्स और पानी और कोल्ड डि्रंक्स की बोटल्स का वापस लेने के लिए संबंधित कंपनियों की जिम्मेदारी निश्चित की गई है, लेकिन दून में फिलहाल किसी कंपनी ने इस पैकेट्स और प्लास्टिक बोटल्स को वापस लेने की व्यवस्था नहीं की है।
100 रुपये से 5 लाख तक जुर्माना
राज्य सरकारी की ओर से जारी दिशा निर्देश के अनुसार राज्य में सिंगल यूज प्लास्टिक के प्रोडक्शन, ट्रांसपोर्टेशन, सेल और इस्तेमाल करने पर रोक लगाई गई है। प्रोडक्शन से लेकर इस्तेमाल करने तक पर 5 लाख रुपये से लेकर 100 रुपये तक जुर्माना तय किया गया है। हालांकि इसके लिए नगर निगम के साथ ही जिला प्रशासन, पुलिस, हेल्थ, पॉल्यूशन कंट्रोल और ट्रांसपोर्ट विभाग को भी जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन फिलहाल नगर निगम के अलावा दूसरा कोई विभाग इसके लिए आगे नहीं आया है।
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नगर निगम की ओर से सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ अभियान चलाने की तैयारी पूरी कर ली गई है। पहली मार्च ने छापे मारने की कार्रवाई की जाएगी और नियमानुसार जुर्माना वसूला जाएगा।
डॉ। कैलाश जोशी, चीफ हेल्थ ऑफिसर, नगर निगम
बैन हो पर विकल्प भी मिले
शहर को गंदा करने में पॉलीथिन का सबसे बड़ा योगदान है। इसे हर हाल में बैन किया जाना चाहिए। अच्छी बात है कि अभियान चलाया जा रहा है। लेकिन, इसका विकल्प क्या है, यह भी बताया जाना चाहिए।
गिरधर पंडित
हम सभी को अपनी आदतों में सुधार करना होगा। जब प्लास्टिक नहीं था, तब भी सभी काम होते थे। लोग सौदा-पत्ता लेने घर से निकलते तो अपने साथ थैला ले जाते थे। फिर से उस संस्कृति को जिन्दा करना जरूरी है।
जयदीप सकलानी
बाजार में हर तरफ पॉलीथिन है। पॉलीथिन पर सब्जी देने वाले छोटे दुकानदार और सब्जी ले जा रहे ग्राहक से तो हाथोंहाथ जुर्माना ले सकते हैं। लेकिन, जो बहुराष्ट्रीय कंपनियां इससे भी ज्यादा खतरनाक पॉलीथिन की पैकिंग दे रही हैं। उन पर भी कार्रवाही होनी चाहिए।
इमरान राणा
मैं एक सवाल पूछना चाहता हूं। बीच-बीच में ये पॉलिीथिन बैन का मुद्दा क्यों उठाया जाता है और उठा लिया तो फिर छोड़ क्यों देते हैं। छोटी से बड़ी हर चीज पॉलीथिन पैकिंग में आ रही है। सबसे पहले उन कंपनियों को क्यों नहीं रोक दिया जाता।
इंद्रेश नौटियाल