देहरादून ब्यूरो। डिजिटल डिपोजिट रिफंड सिस्टम यानी डीडीआरएस प्रोडक्ट को इस्तेमाल करने के बाद उसकी पैकेजिंग को वापस प्रोडयूसर कंपनी को भेजने अथवा उसका साइंफिक तरीके से डिस्पोजल करने के लिए कलेक्ट करने का एक तरीका है। रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन शुरुआती दौर में इस सिस्टम को पानी की बॉटल्स पर लागू करने की सोच रहा है। इस सिस्टम के तहत हर पानी की बॉटल पर 10 रुपये का एक क्यूआर कोड होगा। कंज्यूमर जब पानी की बॉटल खरीदेगा तो उसे 10 रुपये ज्यादा देने होंगे। केदारनाथ यात्रा मार्ग पर बॉटल कलेक्शन के लिए 12 सेंटर बनाए जाएंगे। बॉटल खाली होने के बाद कंज्यूमर इस क्यूआर कोड वाली बॉटल को कलेक्शन सेंटर पर जमा कर 10 रुपये वापस ले सकेगा।

पिछली बार मिले थे अच्छे नतीजे
रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन इस सिस्टम को 2022 की यात्रा के दौरान प्रयोग के तौर पर शुरू किया था। योजना को निजी क्षेत्र के एक कंपनी रिसाइकिल के साथ मिलकर शुरू किया गया था। इस योजना में केदारनाथ मार्ग पर स्थित 546 दुकानों, 334 रेस्टोरेंट और 94 होटलों ने हिस्सा लिया। बॉटल्स के लिए 92,650 क्यूआर कोड खरीदे गए। जिनमें से 64,102 एकत्र किए गए और रीसाइक्लिंग के लिए भेजे गये। कलेक्शन सेेंटर्स के लिए 25 लोगों की सेवाएं ली गई। इस पहल के तहत कुल 1200 किलो कचरा कलेक्ट किया गया। रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन की योजना इस बार सभी बॉटलबंद पेय पदार्थों को इस सिस्टम के दायरे में लाने की है।

शहरों में भी लागू हो
हिमालयी राज्यों में पर्यावरण और अर्बन गवर्नेंस के क्षेत्र में काम करने वाली देहरादून स्थित संस्था एसडीसी फाउंडेशन के अनूप नौटियाल ने डिजिटल डिपोजिट रिफंड सिस्टम को एक्सटेंडेड प्रोडयूसर रिस्पांसबिलिटी नीति को लागू करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल बताया। इस नीति के तहत उत्पादकों को अपने उत्पाद के पैकेजिंग के कचरे को वापस लेने के लिए जिम्मेदार बनाया गया है। अनूप नौटियाल का कहना है कि देहरादून और राज्य के अन्य शहरों में प्लास्टिक बॉटल्स और अन्य उत्पादों को इस सिस्टम के दायरे में लाया जाना चाहिए। इससे शहरी क्षेत्रों में कचरे की समस्या हल करने में बड़ी मदद मिल सकती है।