-एसआईटी ने आरोपी को रिमांड पर लेने के लिए प्रार्थना पत्र दाखिल किया
-कोर्ट के आरोपी को ज्युडीशियल कस्टडी में भेजने के आदेश, मंडे को इस पर बहस संभव

देहरादून (ब्यूरो): प्रकरण की जांच कर रहे स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) ने आरोपी को रिमांड पर लेने के लिए प्रार्थना पत्र दाखिल किया। कोर्ट ने आरोपी को ज्युडीशियल कस्टडी में भेजने के आदेश दिए। उधर, पुलिस रिमांड को लेकर अब मंडे को कोर्ट में बहस होगी। हालांकि, तब तक आरोपित सुद्धोवाला स्थित जिला कारागार में रहेगा।

केपी की भूमिका मानी जा रही अहम
दून के उप रजिस्ट्रार कार्यालय में पाए गए इस फर्जीवाड़े में सहारनपुर के भूमाफिया कुंवरपाल ङ्क्षसह की भूमिका अहम मानी जा रही है। माना जा रहा है कि पूछताछ में पुलिस उससे कई राज उगलवा सकती है। मामले में जब एसआईटी ने ङ्क्षरग रोड स्थित चाय बगान की फर्जी रजिस्ट्रियों की स्टडी की तो चला कि आरोपी अधिवक्ता इमरान ने केपी ङ्क्षसह के साथ मिलकर यह फर्जी रजिस्ट्रियां तैयार करवाई थीं। जांच जब आगे बढ़ी तो रजिस्ट्री करने वाले असम निवासी संतोष अग्रवाल व दीपचंद अग्रवाल के नाम सामने आए।

कर्मचारियों के नाम आए सामने
पुलिस जांच में पता चला कि असम के लकड़ी कारोबारी आरोपी संतोष अग्रवाल व दीपचंद अग्रवाल सहारनपुर के भूमाफिया केपी सिंह के सीो संपर्क में आए थे। वर्ष 2019 में केपी ङ्क्षसह ने दोनों की मुलाकात अधिवक्ता इमरान से करवाई। वह मूल रूप से बिजनौर का रहने वाला और दून में अधिवक्ता है। इमरान ने ही संतोष अग्रवाल व दीपचंद को रजिस्ट्रार कार्यालय के कर्मचारी डालचंद से मिलवाया। जांच में ये भी बात सामने आई कि गिरोह ने ङ्क्षरग रोड की जमीन की 30 फर्जी रजिस्ट्री तैयार की थी। इनमें 5 सेटलमेंट रजिस्ट्री भी शामिल थी। इस काम में एक अन्य अधिवक्ता अर्पित चावला ने भी इमरान की मदद की थी। इसके बाद जब जांच आगे बढ़ी तो आरोपी अधिवक्ता कमल विरमानी और उप रजिस्ट्रार कार्यालय के अन्य कर्मचारियों के नाम सामने आए।

अब तक 10 लोग गिरफ्तार
-संतोष अग्रवाल
-दीपचंद अग्रवाल
-रजिस्ट्रार कार्यालय के कर्मचारी डालचंद
-अजय ङ्क्षसह क्षेत्री
-विकास पांडे
-अधिवक्ता कमल विरमानी
-अधिवक्ता इमरान अहमद
-पीलीभीत के रहने वाले मक्खन ङ्क्षसह
-अधिवक्ता कमल विरमानी का मुंशी रोहताश ङ्क्षसह
-अब 10वीं गिरफ्तारी केपी सिंह


8वीं पास केपी करता था बड़े सौदे
एसआईटी जांच में पता चला कि गिरोह ने उप रजिस्ट्रार दून ही नहीं बल्कि, सहारनपुर में रखे हुए यहां के दस्तावेज भी चुरा लिए। वर्ष 1959 से 2007 के भूमि संबंधी दस्तावेज दून में थे। जबकि, इससे पहले दस्तावेज सहारनपुर में रखे हुए थे। इस गिरोह ने दोनों जगहों से महत्वपूर्ण दस्तावेज चुराए। वहीं, विवादित व लंबे समय से खाली पड़ी जमीनों की फर्जी रजिस्ट्रियां बनवाकर बेच दीं। 8वीं पास केपी ङ्क्षसह ही जमीनों की खरीद-फरोख्त करता था।

केपी व विरमानी ने खेला फर्जी खेल
-दून निवासी अधिवक्ता कमल विरमानी और सहारनपुर निवासी केपी सिंह की वर्षों पुरानी जानपहचान
-भूमाफिया केपी कुछ समय पहले अधिवक्ता कमल विरमानी के पास डालनवाला की एक जमीन का लेकर आया था केस।
-इस मामले में कमल विरमानी ने केपी सिंह की काफी की थी मदद।
-इसके बाद केपी ने कमल विरमानी से सहारनपुर में कुछ जमीनों की पुरानी रजिस्ट्री बनवाईं।
-ये रजिस्ट्रियां केपी सिंह के परिचितों के नाम पर बनवाई गईं। दोनों ने कमाए करोड़ों रुपए।
-बाद में केपी ने दून में भी पुरानी व विवादित जमीनों पर ऐसे ही फर्जीवाड़ा करने को अधिवक्ता विरमानी से ली थी मदद।

पूरे माले पर एक नजर
सहायक महानिरीक्षक निबंधन संदीप श्रीवास्तव ने उप रजिस्ट्री कार्यालय प्रथम व द्वितीय में विभिन्न भूमि विक्रय विलेख से संबंधित धारित जिल्दों में विलेख संख्या 2719/2720 वर्ष 1972, विलेख संख्या 3193, विलेख संख्या 3192, विलेख संख्या 545 वर्ष 1969, विलेख संख्या 10802 व 10803 के साथ छेड़छाड़ कर अभिलेखों की कूटरचना के संबंध में शहर कोतवाली में तहरीर दी थी। जांच के लिए आईपीएस सर्वेश कुमार के नेतृत्व में गठित एसआईटी ने एसओजी टीम के सहयोग से उप रजिस्ट्रार ऑफिस से रिकॉर्ड लेते हुए ङ्क्षरग रोड से संबंधित 50 से अधिक रजिस्ट्रियों की स्टडी की। इस प्रकरण में अब तक 7 केस दर्ज हो चुके हैं।
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