-क्राइम कंट्रोल और वर्कआउट करने में पुलिस की मित्र बन रहे सीसीटीवी कैमरे

-शहर में 500 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे लगा चुकी है दून पुलिस

देहरादून,

बदलते समय में अब पुलिसिंग भी पूरी तरह से मॉडर्न होती जा रही है। क्राइम की वारदातों के बाद क्रिमिनल को दबोचने में मुखबिर तंत्र की जगह अब थर्ड आई ने ले ली है। लूट, डकैती जैसे मामलों में पुलिस के लिए थर्ड आई सबसे बड़ा मित्र साबित हो रहा है। इसी को देखते हुए दून पुलिस ने ऑपरेशन थर्ड आई चलाया है। जिसमें दून के सिटी इलाकों में अब तक 500 से ज्यादा कैमरे लगवा दिए हैं। जिनकी अब मॉक ड्रिल करने की तैयारी भी है। इसके बाद मॉक ड्रिल के आधार पर ही कैमरों को लेकर प्लानिंग की जाएगी। जिससे क्राइम की वारदातों में समय पर वर्कआउट की जा सके।

15 दिन चला विशेष अभियान

दून में हो रहे क्राइम की रोकथाम व वर्कआउट लिए डीआईजी अरुण मोहन जोशी द्वारा 15 दिन का स्पेशल कैंपेन ऑपरेशन थर्ड आई चलाया गया। जिसका मकसद क्राइम की घटनाओं को जल्द से जल्द खोलने और वर्कआउट के साथ-साथ अपराधियो में खौफ पैदा करना था। इसके लिए सभी थाना प्रभारी को अपने-अपने सर्किल और थाना क्षेत्रों में ऐसे स्थान जो क्राइम के लिहाज से संवेदनशील हैं, उन स्थानों को चिन्हित कर इन स्थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के निर्देश दिए गए है। इतना ही नहीं जिन लोकेशन पर कैमरों की संख्या कम हैं, उनको भी चिह्नित करने को कहा गया। इन कैमरों की गुणवत्ता पर विशेष फोकस करने को कहा गया, खासकर नाइट विजन पर फोकस करने के निर्देश दिए गए। बाजारों में कैमरों के रूट पर भी फोकस किया गया। अब कैमरे लगाने के बाद मॉक ड्रिल कर कैमरों की गुणवत्ता और जरुरत चेक करने की पहल की जा रही है। जिससे पुलिस की थर्ड आई को ओर मजबूत बनाया जा सके।

जब थर्ड आई ने खोला केस

केस 1-

पटेलनगर थाना इलाके में पुलिसकर्मी बनकर महिला से ठगी करने वाले आरोपियों को पकड़ने में पुलिस की थर्ड आई कारगर साबित हुई है। जिस बाइक से ठग महिला तक पहुंचे, उस बाइक पर नंबर प्लेट ही नहीं थी। पुलिस ने जब जांच शुरू की तो मौके पर लगे सीसीटीवी कैमरो से फुटेज ली गयी तो कैमरों से आरोपियों की मोटर साइकिल सहित फुटेज मिला। करीब 250 सीसीटीवी फुटेज के बाद ही 40 से 45 चिन्हित सक्रिय क्रिमिनल के बारे में इनपुट मिले, जिसके बाद आरोपी जाकिर उर्फ सलमान उर्फ एक्टर जो ईरानी गैंग का मुख्य सदस्य है को अरेस्ट किया गया।

केस 2-

सितंबर 2019 में हुई आरपी ईश्वरन के घर करोड़ों की डकैती के मामले में पुलिस को थर्ड आई ने ही आरोपियों तक पहुंचाया। पुलिस ने सबसे पहले लूट में इस्तेमाल कार की तलाश के लिए मैक्स अस्पताल के गेट पर लगे कैमरे और मसूरी डायवजऱ्न के पास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली। इनके आधार पर लूट में इस्तेमाल कार की पहचान शेवॉरले बीट के रुप में हुई। इसके बाद कार की एजेन्सी से सम्पर्क कर नॉर्थ इण्डिया में बेची गई सभी बीट कार का डाटा मंगाया गया और संदिग्ध कार के रूट के लगभग 250 सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली गई। गहरी छानबीन के बाद पुलिस को संदिग्ध कार से मिलती-जुलती कार की फुटेज देवबंद से मिली। पुलिस को पता चला कि कार में इस्तेमाल नंबर फर्जी था। बाद में पता चला कि कार दौराला से होते हुए दिल्ली में चली गई है। इसके बाद पुलिस ने वर्कआउट कर पूरा मामला खोल दिया।