कामन इंट्रो---

- इस बार के विधानसभा चुनाव में कांटे की टक्कर सुनिश्चित करने के लिए कांग्रेस की तैयारी तेज हो गई है। अपनी सरकार से कमजोर तालमेल के बावजूद कांग्रेस संगठन की पूरी कोशिश कार्यकर्ताओं को मोटीवेट करने की है। कुमाऊं क्षेत्र में कांग्रेस की गतिविधियां इस वक्त ज्यादा बढ़ गई हैं। सीएम हरीश रावत और प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के कुमाऊं में लगातार दौरे हो रहे हैं। और तो और इस बार की पीसीसी भी कुमाऊं में होने जा रही है, इन स्थितियों के बावजूद प्रभारी को लेकर पार्टी के भीतर उलझन बरकरार है।

कुमाऊं के मजबूत किले पर फोकस, कौसानी में होगी पीसीसी की मीटिंग

- पहले भी देहरादून से बाहर की गई हैं पीसीसी की मीटिंग्स।

- चुनावी तैयारियों को लेकर नए सिरे से किया जाएगा विचार।

DEHRADUN: दस विधायकों के पार्टी छोड़ जाने के बाद गढ़वाल में कांग्रेस बुरी तरह कमजोर हुई है। कुमाऊं कांग्रेस का पहले से ही मजबूत गढ़ रहा है। इन स्थितियों के बीच, कांग्रेस गढ़वाल में मजबूती पर तो ध्यान दे ही रही है, लेकिन कुमाऊं के मजबूत किले पर भी जरा सी असावधानी नहीं बरतना चाह रही। ये ही वजह है कि पीसीसी की मीटिंग इस बार 24 सितंबर को कौसानी में होने जा रही है।

तैयारियों को देंगे नया रूप

पिछले दिनों कांग्रेस में हुई बगावत की बात करें तो डा। शैलेंद्र मोहन सिंघल, रेखा आर्य जैसे कुमाऊं के विधायक ही पार्टी से दूर हुए हैं। विजय बहुगुणा और अमृता रावत जैसे नेताओं को गढ़वाल का ही माना जाता रहा है। कांग्रेस कह सकती है कि उसके कुमाऊं के विधायकों ने सियासी संग्राम के दौरान ज्यादा वफादारी दिखाई है। ये ही वजह है कि पार्टी कुमाऊं पर ज्यादा फोकस कर रही है। पार्टी प्रवक्ता गरिमा दसौनी के अनुसार, कौसानी में पीसीसी मीटिंग में चुनावी तैयारियों को नया रूप देने की कोशिश की जाएगी। वैसे, इससे पहले भी हरिद्वार और अन्य जगहों पर पीसीसी की मीटिंग आयोजित की जा चुकी है।

पार्टी प्रभारी पर नहीं बन पा रही बात

अंबिका सोनी उत्तराखंड से दूर-दूर

-पंजाब के चुनाव में बड़ी जिम्मेदारी पर अंबिका का ध्यान।

-पिछले काफी समय से प्रभारी ने राज्य में नहीं रखे कदम।

DEHRADUN: कांग्रेस की उत्तराखंड प्रभारी अंबिका सोनी को उत्तराखंड आए कई दिन हो गए हैं। कांग्रेस का आम कार्यकर्ता लगातार ये महसूस कर रहा है कि उसमें जोश भरने के लिए पार्टी प्रभारी को थोडे़-थोडे़ समय में उत्तराखंड आना चाहिए। उसकी अपेक्षा इसलिए भी बढ़ रही है, क्योंकि बीजेपी के प्रदेश प्रभारी श्याम जाजू ने तो राज्य में एक तरह से डेरा ही डाल लिया है। मगर पार्टी प्रभारी पर नए चेहरे को सामने लाने के मामले में असमंजस की स्थिति दूर होती दिखाई नहीं दे रही है।

अब उत्तराखंड में नहीं दिलचस्पी

दरअसल, अंबिका सोनी अब उत्तराखंड में दिलचस्पी नहीं ले रही हैं। अपने गृह राज्य पंजाब में वह चुनाव के संबंध में बड़ी जिम्मेदारी की अपेक्षा कर रही है। इन स्थितियों के बीच, रह-रहकर पूर्व केंद्रीय मंत्री कमलनाथ को उत्तराखंड का प्रभारी बनाए जाने की चर्चाएं जरूर हो रही हैं, लेकिन इन चर्चाओं का मजबूत सिरा कहीं से पकड़ में नहीं आ रहा है। ये स्थिति आम कांगे्रस जन को मायूस कर रही है। वैसे, प्रदेश प्रवक्ता डा आरपी रतूड़ी का कहना है कि प्रदेश प्रभारी अंबिका सोनी लगातार उत्तराखंड के मामलों को देख रही है। कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ाने के लिए सीएम और प्रदेश अध्यक्ष लगातार काम कर रहे हैं।