देहरादून,(ब्यूरो): उत्तराखंड में इस वर्ष 38वें नेशनल गेम्स की मेजबानी प्रस्तावित है। जिसकी तैयारियां भी चल रही हैं। लेकिन, कभी फुटबॉल के लिए आगे माने वाले उत्तराखंड में फुटबॉल को लेकर सरकार और फुटबॉल प्रेमियों की अभी से चिंतित हैं। इसी को लेकर प्रमुख सचिव खेल अमित सिन्हा ने ऑन लाइन बैठक ली। जिसमें उत्तराखंड फुटबॉल एसोसिएशन के प्रतिनिधियों के साथ फुटबॉल प्रेमियों ने पार्टिसिेट किया। खास बात ये है कि इसी दौरान प्रमुख सचिव खेल को उत्तराखंड में एक्चुअल फुटबॉल की स्थिति को लेकर वस्तुस्थिति की जानकारी मिली। प्रमुख सचिव खेल ने कहा कि जो फुटबॉल के खिलाड़ी दूसरे स्टेट से फुटबॉल खेल रहे हैं। वे उनसे बात करेंगे।

फुटबॉल प्लेयर्स के फोन नंबर्स मांगे
प्रस्तावित नेशनल गेम्स को लेकर सरकार बड़े स्तर पर तैयारियों में जुटी हुई है। इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप किया जा रहा है। ग्राउंड्स को रिनोवेट किए जा रहे हैं। इसको देखते हुए प्रमुख सचिव अमित सिन्हा ने मंडे को सुबह 10 बजे ऑनलाइन बैठक ली। इसकी जानकारी खेल निदेशालय के सहायक निदेशक संजी कुमार पौरी की ओर सकुलेट की गई थी। जिसमें स्पोट्र्स डायरेक्टर से लेकर जिला क्रीडा अधिकारी, एक्सपट्र्स व फुटबॉल प्रेमी शामिल हुए। प्रमुख सचिव खेल की ऑनलाइन मीटिंग के दौरान बातें सामने आईं कि कई फुटबॉल प्लेयर आज भी दूसरे राज्यों से खेलने के लिए मजबूर हैं। बदले में प्रमुख सचिव ने उत्तराखंड फुटबॉल एसोसिएशन, फुटबॉल क्लब्स व अन्य फुटबॉल प्रेमियों से वे नाम मांगे, जो प्लेयर्स उत्तराखंड के बजाय दूसरे राज्यों से फुटबॉल खेल रहे हैं। प्रमुख सचिव ने बाकायदा फोन नंबर तक मांगे, कहा वे सीधे फुटबॉल प्लेयर्स से बात करेंगे।

ये था बैठक को प्रमुख उद्देश्य
-नेशल गेम्स के लिए प्लेयर्स के चयन को लेकर मंथन।
-नेशनल गेम्स के लिए आयोजन किए जाने वाले स्पेशल ट्रेनिंग कैंप पर मंथन।
-नेशनल गेम्स के लिए फुटबॉल में ज्यादा से ज्यादा मेडल पाने के लिए कार्य योजना।

आधे दर्जन खिलाड़ी दिल्ली से खेल रहे फुटबॉल?
कुछ फुटबॉल प्रेमियों ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि आज भी उत्तराखंड यूपी के फुटबॉल पैटर्न को यूज कर रहा है। जिसमें कई कमियां हैं। जबकि, नॉर्थ ईस्ट फुटबॉल पॉलिसी का इंप्लीमेंट किए जाने की जरूरत है। यही कारण कि उत्तराखंड के फुटबॉल प्लेयर्स दूसरे राज्यों से फुटबॉल खेलने को मजबूर हैं। ये बात भी सामने आई कि अभी भी करीब आधे दर्जन ऐसे खिलाड़ी हैं, जो दिल्ली से फुटबॉल खेल रहे हैं। वहीं, प्रमुख सचिव खेल ने कहा कि उत्तराखंड में फुटबॉल का बड़ा पोटेंशियल है। जिसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं।

बैठक में ये बातें आई सामने
-फुटबॉल प्लेयर्स दूसरे स्टेट से फुटबॉल खेलने को मजबूर।
-अब तक 24 सालों में उत्तराखंड में कोई स्टेट लीग का आयोजन नहीं।
-दो दशक में एसोसिएशन के पदों पर एक ही व्यक्ति का कब्जा।
-नेशनल गेम्स को लेकर शॉर्ट व लॉन्ग टर्म प्रोजेक्ट किए जाएं तैयार।

दून ने दिए कई इंटरनेशनल प्लेयर्स
कभी दून को फुटबॉल का हब माना जाता था। यह वही दून है, जिसने अब तक करीब एक दर्जन इंटरनेशनल जैसे प्लेयर्स दिए हैं। लेकिन, अब फुटबॉल मानो सिमट गया हो।

फुटबॉल के फेल्योर के कारण
-लीग मैच न होना।
-फुटबॉल क्लबों व प्लेयर्स का रजिस्ट्रेशन न होना।
-रजिस्ट्रेशन के लिए 500 नहीं, 10 हजार रुपये लिया जाना।
-रजिस्ट्रेशन को लेकर आरटीआई में हुआ था खुलासा।
-राज्य के अलावा 13 जिलों में कोई फुटबॉल एक्टिविटीज न होना।
-फुटबॉल एसोसिएशन व फुटबॉल क्लबों की बीच ग्रुपबाजी।

सोशल मीडिया पर भी उठ चुका मुद्दा
उत्तराखंड में पिछले दिनों फुटबॉल का मुद्दा सोशल मीडिया पर भी छाया रहा। जिसमें फुटबॉल प्रेमियों ने बेबाकी से अपनी राय रखी। यहां तक कि गूगल मीट तक का आयोजन कर लोगों ने उत्तराखंड के फुटबॉल के अस्तित्व को लेकर बेबाकी से बातें शेयर की। देहरादूनफुटबॉल.कॉम ने करीब छह माह तक सोशल मीडिया पर फुटबॉल को लेकर अभियान चलाया।

अब फुटबॉल लीग की तैयारी
देहरादूनफुटबॉल.कॉम की ओर से चलाए गए अभियान के बाद फुटबॉल प्रेमियों ने पीएमओ तक को उत्तराखंड में फुटबॉल की यथास्थिति को लेकर शिकायत पहुंचाई। बताया जा रहा है कि इसके बाद ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (एआईएफएफ) ने उत्तराखंड फुटबॉल एसोसिएशन पर शिकंजा कसा। ये भी बताया जा रहा है कि इसके बाद उत्तराखंड फुटबॉल एसोसिएशन इस बात पर सहमत हुआ कि वह जल्द ही उधमसिंहनगर के रुद्रपुर में फुटबॉल लीग का आयेाजन किया जाएगा। लीग की संभवत: तारीख 20 मई से मानी जा रही है।

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