DEHRADUN: कोरोना काल में खराब आर्थिक स्थिति से गुजर रहे रोडवेज की मदद के लिए सरकार से 100 करोड़ रुपये की मांग लेकर आंदोलन कर रहे कर्मचारियों की शासन में वार्ता विफल हो गई। रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद के बैनर तले कर्मचारियों ने गुरुवार से समस्त डिपो पर धरना-प्रदर्शन शुरू किया था, जो सोमवार को सभी मंडल प्रबंधक कार्यालयों तक पहुंच गया। परिषद ने 17 जून को दून के गांधी पार्क में एक दिवसीय प्रदेशव्यापी धरना जबकि 19 जून से बेमियादी हड़ताल की चेतावनी दी हुई है।

पांच महीने से नहीं मिली सैलरी

रोडवेज कर्मचारियों को पांच माह से वेतन नहीं मिला है। इसे लेकर गत दिनों कर्मचारी संयुक्त परिषद ने सीएम तीरथ सिंह रावत से मुलाकात कर रोडवेज की आर्थिक मदद को सौ करोड़ रूपये मंजूर करने की अपील की थी। रोडवेज प्रबंधन पर जनवरी से मई तक का वेतन लंबित है। वेतन व भुगतान न होने से कर्मचारियों के सामने अपने परिवार के पालन का संकट खड़ा हो गया है। बेहद खराब स्थिति संविदा-विशेष श्रेणी कर्मियों की है। संयुक्त परिषद ने पिछले दिनों शासन को जो आंदोलन का नोटिस दिया था उसमें वेतन समेत समस्त लंबित भुगतान की मांग, कोरोना के कारण मृत कर्मी के परिवार को तत्काल आर्थिक सहायता देने की मांग की गई थी। कोरोना से मृत संविदा और विशेष श्रेणी कर्मी के परिवार के आश्रित को नौकरी देने, ईपीएफ में रकम जमा करने, निगम की बसों को गत वर्ष की तरह यात्री कर से छूट देने की मांग समेत संविदा और विशेष श्रेणी चालक व परिचालकों को रोज 250 किमी डयूटी के आधार पर ड्यूटी पर मानकर उसी अनुसार भुगतान की मांग की थी। सोमवार को परिषद ने मंडल प्रबंधक के कार्यालय पर धरना-प्रदर्शन किया। जिसके बाद सचिव परिवहन रंजीत सिन्हा के साथ सचिवालय में मुलाकात की गई। मुलाकात में रोडवेज की वर्तमान आर्थिक स्थिति पर चर्चा। परिषद ने निगम को राजकीय रोडवेज घोषित करने या वार्षिक अनुदान देने की भी मांग रखी। सचिव परिवहन ने कहा कि 20 करोड़ रूपये की मदद शासन ने मंजूर कर ली है। वार्ता में सौ करोड़ के अनुदान पर कोई फैसला न होने के कारण कर्मचारियों ने आंदोलन जारी रखने की बात कही।