DEHRADUN: उपनल कíमयों के कार्य बहिष्कार के कारण मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल पर इसका व्यापक असर रहा। ओपीडी पंजीकरण से लेकर मरीजों की देखरेख, वार्डो के रखरखाव, सफाई व्यवस्था व पैथोलॉजी जांच तक इस कारण प्रभावित रही।

धरने में शामिल हुए कर्मचारी

दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में काफी संख्या में उपनल कर्मचारी कार्यरत हैं। वह सुबह अस्पताल आने के बजाय धरने में शामिल होने चले गए। जिससे तमाम सेवाएं ठप पड़ गई। सोमवार सुबह अस्पताल का रजिस्ट्रेशन काउंटर काफी देर बंद रहा। मरीजों की परेशानी को देखते हुए यहां स्थायी स्टाफ तैनात किया गया। जिन्होंने कंप्यूटरीकृत के बजाय हाथ से पर्चे बनाए। वहीं, अस्पताल में बिलिंग पूरे दिन नहीं हो सकी। जिसकी वजह से पैथोलॉजी जांच भी ठप रही। वहीं, कोरोना जांच को सैंपल नहीं लिए जा सके। पैथोलॉजी की जांच रिपोर्ट तक लैब से नहीं दी गई। यही हाल आयुष्मान काउंटर का भी रहा। यहां भी उपनल कर्मी तैनात रहते हैं, लेकिन उनके कार्य बहिष्कार पर होने के कारण अटल आयुष्मान के तहत मरीज भर्ती व डिस्चार्ज करने में दिक्कत आई। इसके अलावा विभिन्न विभागों में ऑपरेशन पर भी अड़चन लग गई है।

कोरोना योद्धाओं ने की पीपीई किट पहनकर नारेबाजी

दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मरीजों पर दोहरी मार पड़ी। कारण ये रहा कि पीआरडी के माध्यम से तैनात किए गए कर्मचारियों ने भी नौकरी से हटाए जाने के खिलाफ अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार शुरू कर दिया है। वह मुख्य परिसर में धरने पर बैठ गए हैं। कुछ कर्मियों ने पीपीई किट पहनकर और हाथ में पोस्टर लेकर नारेबाजी की। कर्मचारियों ने कहा कि सरकार, शासन एवं अस्पताल प्रबंधन उनकी सुध नहीं ले रहा हैं। उन्होंने जान जोखिम में डालकर और परिवार से दूर रहकर मरीजों की सेवा की। अब उन्हें नौकरी से निकाला जा रहा है। हड़ताल तब तक जारी रहेगी, जब तक उन्हें सेवा विस्तार के संबंध में लिखित आदेश नहीं मिल जाता। दोपहर बाद डिप्टी एमएस डॉ। एनएस खत्री और मुख्य प्रशासनिक अधिकारी अशोक राज उनियाल ने कर्मचारियों से वार्ता की। प्राचार्य डॉ। आशुतोष सयाना का कहना है कि कर्मचारियों ने कोरोनाकाल में उत्कृष्ट कार्य किया है। जिसका पूरा सम्मान किया जा रहा है। उनकी सेवाओं के संबंध में शासन को पूर्व में ही पत्र भेजा जा चुका है।