- गेट लगाकर रोक दिया तीन गांवों का रास्ता

- लैंड एक्वायर करते वक्त रास्ता खुला रखने का मिला था आश्वासन

- सीएम पोर्टल पर की है लोगों ने शिकायत

देहरादून

उत्तराखंड टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड के एक फैसले ने प्रेमपुरमाफी, कौलागढ़ और गढ़ी में रहने वाले 10 हजार से ज्यादा लोगों की दिनचर्या बुरी तरह से प्रभावित कर दी है। बोर्ड ने अब तक खुले रहने वाले एक रास्ते पर दो बड़े गेट लगाकर अपने परिसर से लोगों की आवाजाही पूरी तरह से बंद कर दी है। लोगों का कहना है कि लैंड एक्वायर करते समय इस लैंड के सभी रास्ते आम लोगों के लिए खुले रखने का आश्वासन दिया था, लेकिन अब जबरन रास्ता बंद कर दिया गया है।

35 साल पहले लैंड एक्वायर

बताया जाता है कि गढ़ी, प्रेमपुरमाफी और कौलागढ़ के लोगों की करीब 700 बीघा खेती की जमीन ओएनजीसी 1984 में स्पो‌र्ट्स कॉम्पलेक्स और हाउसिंग कॉम्पलेक्स के लिए एक्वायर की थी। उस समय केंद्र में ब्रह्मदत्त पेट्रोलियम मंत्री से उन्होंने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके लोगों को जमीन देने के लिए राजी किया था। लोगों से इस शर्त पर जमीन दे दी कि यहां से निकलने वाले रास्ते आम लोगों के लिए खुले रहेंगे। ब्रह्मदत्त के चुनाव हार जाने के बाद कई वर्षो तक यह जमीन खाली पड़ी रही। बाद में ओएनजीसी ने यह जमीन राज्य सरकार को दे दी। राज्य सरकार ने जमीन टूरिज्म डिपार्टमेंट व अकाउंटेंट जनरल (एजी) को अलॉट की। यहां टूरिज्म डिपार्टमेंट का ऑफिस और आईएचएम बनाया गया।

एजी का रास्ता भी बंद

टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड ने आम लोगों के साथ ही अकाउंटेंट जनरल (एजी) ऑफिस का रास्ता भी रोक दिया। एजी ऑफिस की ओर से चीफ सेक्रेटरी से कंप्लेन किए जाने बाद टूरिज्म बोर्ड की ओर से आंशिक रूप से रास्ता तो खोल दिया गया लेकिन इससे होकर वाहन नहीं गुजर सकते। अब एजी ऑफिस भी आम लोगों के साथ विरोध में शामिल हो गया है।

कोरोना की आड़ में रास्ता बंद

टूरिज्म डिपार्टमेंट की बिल्डिंग और आईएचएम बन जाने के बाद भी इस परिसर से जाने वाला रास्ता आम लोगों के लिए खुला रहा। स्थानीय लोग यहां मार्निग वॉक भी करने लगे। शाम सुबह आस-पास के बुजुर्ग भी यहां टहलने आते थे। बताया जाता है कि कोरोना लॉकडाउन के दिनों में टूरिज्म डिपार्टमेंट ने इस रास्ते में दो बड़े गेट लगा दिये। लॉकडाउन खुल जाने के बाद भी ये गेट आम लोगों के लिए नहीं खोले जा रहे हैं।

सीएम पोर्टल पर कंप्लेन

स्थानीय लोगों ने गेट खोलने की गुजारिश की, लेकिन गेट नहीं खोला गया। लोगों ने पर्यटन सचिव को पत्र भेजने के साथ ही सीएम पोर्टल पर भी शिकायत की है। सीएम पोर्टल से इस शिकायत को जरूरी कार्रवाई के लिए टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड को भेजा गया है।

ओएनजीसी से रिटायर्ड अधिकारी और सामाजिक कार्यकर्ता हर्षमणि व्यास ने बताया कि यह रास्ता तीन सरकारी विभागों और तीन रेजिडेंशियल लोकेशंस के लोगों द्वारा इस्तेमाल किया जाता रहा है, लेकिन कोरोना की आड़ में बंद कर दिया गया रास्ता अब खोला नहीं जा रहा है। उनका कहना है कि लैंड एक्वायर के समय इस क्षेत्रों के लोगों के लिए रास्ता बंद न करने की शर्त रखी गई थी, लेकिन अब कुछ अधिकारी इसे पर्सनल प्रॉपर्टी समझकर जबरन रास्ता बंद कर रहे हैं।