- 15 गुलदारों पर रेडियो कॉलर लगाने की परमिशन

- गुलदारों की लोकेशन की जा सकेगी ट्रैक

देहरादून:

गुलदारों के लगातार आक्रामक होते व्यवहार पर नजर रखने की दिशा में वन महकमा गंभीर हुआ है। राज्य में पहली बार हरिद्वार में आबादी वाले क्षेत्र में आ धमके गुलदार को पकड़कर उसकी रेडियो कॉल¨रग की गई। इसके बाद उसे मंगलवार तड़के घने जंगल में छोड़ा गया। वन विभाग की टीम और भारतीय वन्यजीव संस्थान के वैज्ञानिकों ने पहले ही प्रयास में यह सफलता पाई। गुलदार को जिस जगह छोड़ा गया, उसके एक किलोमीटर के दायरे में उसकी लोकेशन बनी हुई है। राज्य के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग के अनुसार इस तरह के प्रयोग से गुलदारों के व्यवहार में अध्ययन में तो मदद मिलेगी ही, इनके आबादी के इर्द-गिर्द आने पर जनसामान्य को सचेत करने के मद्देनजर अर्ली वार्निंग सिस्टम भी विकसित हो सकेगा।

गुलदारों की सक्रियता से खौफ

राजाजी टाइगर रिजर्व से लगे हरिद्वार क्षेत्र में लंबे समय से आबादी वाले इलाकों में गुलदारों की सक्रियता ने नींद उड़ाई हुई है। हाल में गुलदार ने वहां एक बच्चे को मार डाला था। इसके बाद हरिद्वार वन प्रभाग की ओर से वहां ¨पजरा लगा दिया गया। इस बीच सोमवार देर शाम ¨पजरे में एक गुलदार फंस गया। राज्य के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक सुहाग बताते हैं कि इसके बाद गुलदार को रेडियो कॉलर लगाने का निर्णय लिया गया, ताकि इसके व्यवहार का अध्ययन किया जा सके। रात्रि में भारतीय वन्यजीव संस्थान के विशेषज्ञों के सहयोग से हरिद्वार के डीएफओ नीरज शर्मा की अगुआई में चिडि़यापुर रेसक्यू सेंटर व हरिद्वार वन प्रभाग की टीम ने गुलदार को ट्रेंकुलाइज कर उसे रेडियो कॉलर पहनाया। फिर उस पर नजर रखी गई और मंगलवार तड़के करीब 3.26 बजे गुलदार को घने जंगल में छोड़ा गया। उन्होंने सुरक्षा समेत अन्य कारणों को देखते हुए गुलदार के पकड़े जाने और छोड़े जाने के स्थान का ब्योरा नहीं दिया। मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक के अनुसार यह पहली बार है जब राज्य में वन विभाग ने किसी गुलदार के व्यवहार के अध्ययन के मद्देनजर उस पर रेडियो कॉलर लगाया है। गुलदार पर सेटेलाइट आधारित रेडियो कॉलर लगाया गया है। इससे हर एक घंटे में उसकी लोकेशन मिल रही है। उन्होंने बताया कि जर्मन फं¨डग एजेंसी जीआइजेड की ओर से उपलब्ध कराया गया यह रेडियो कॉलर कई विशेषताओं वाला है। इससे गुलदार की लोकेशन की सटीक जानकारी तो मिल ही रही है, यदि यह लगा कि गुलदार असहज महसूस कर रहा है तो उसे हरिद्वार से ही खोला जा सकता है।

केंद्र से हरी झंडी का इंतजार

सुहाग बताते हैं कि गुलदार-मानव वन्यजीव संघर्ष को थामने के मद्देनजर गुलदारों के व्यवहार के अध्ययन के लिए भारतीय वन्यजीव संस्थान को पहले ही राजाजी टाइगर रिजर्व और इससे सटे हरिद्वार व देहरादून वन प्रभागों के मध्य 15 गुलदारों पर रेडियो कॉलर लगाने को सैद्धांतिक मंजूरी दी जा चुकी है। रेडियो कॉलर लगाने के लिए संस्थान की ओर से केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से अनुमति मांगी गई है। इसका इंतजार किया जा रहा है। अनुमति मिलते ही इन पर भी रेडियो कॉलर लगाए जाएंगे।