देहरादून (ब्यूरो) वर्ष 2017 से पहले की बात है। बल्लूपुर चौक इसी नाम से पहचाना जाता था। लेकिन, सरकार, माननीयों या फिर सरकारी विभागों को याद आया कि इस चौक का नाम शहीद प्रमोद सजवाण चौक किया जाए। 6 जुलाई 2017 को बाकायदा, सम्मान के साथ चौक का नाम शहीद प्रमोद सजवाण चौक किया गया। आईटीबीपी के जवानों ने शहीद को सशस्त्र सलामी भी दी। लेकिन, वक्त के पहिया घूमने के साथ परिस्थितियां भी बदलती गईं और अब तक न तो ये चौक शहीद प्रमोद सजवाण नाम से अपनी पहचान बना पाया और न ही इसकी संभावना नजर आ रही है। सच तो ये है कि शहीद के नाम का जो बोर्ड यहां पर स्थापित किया गया था। उसका एक हिस्सा भी टूट कर कहीं गुम हो गया। अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस मामले में इससे बड़ी हकीकत और क्या हो सकती है। शहीद प्रमोद सजवाण देवभ्ूामि अल्मोड़ा के घींगारी गांव के वे सपूत रहे हैं, जिन्होंने 6 जुलाई 1996 को कश्मीर घाटी में आतंकवादियों से लोहा लेते हुए अपने प्राणों की बाजी लगा दी थी।।


शहीद मेजर विवेक गुप्ता चौक
ये चौक शहर का पॉश इलाका कहे जाने वाले वसंत विहार में मौजूद है। दरअसल, शहीद मेजर विवेक गुप्ता 1999 में ऑपरेशन विजय के दौरान शहीद हो गए थे। उनकी बहादुरी को लेकर इस चौक की स्थापना की गई थी। उनको मरणोपरांत महावीर चक्र सम्मान प्राप्त हुआ था। इस चौक की स्थापना 13 जून 2002 में हुई थी। लेकिन, जिस चौक के किनारे उनके नाम की पट्टिका स्थापित की गई है। उसके चारों ओर घास-फूस उग आई है। मार्बल पर धूल-धक्कड़ और मिट्टी फैली हुई है। शहीद मेजर विवेक गुप्ता के नाम पट्टिका को नगर निगम प्रशासन की ओर से तैयार किया गया था। लेकिन, अब ऐसा लगता है कि नगर निगम को इससे कोई लेना देना नहीं है।


चक्रवर्ती सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य चौक
महान विभूति चक्रवर्ती सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य चौक के नाम से स्थापित ये चौक दूसरे चौक-चौराहों की तुलना में थोड़ा अलग नजर आता है। जिम्मेदार विभागों की संभवत इस पर नजर पड़ गई हो। माना जा रहा है कि इसकी भी असल वजह ये रही कि दिसंबर में आयोजित इन्वेस्टर्स समिट-2023 के दौरान एमडीडीए की ओर से करीब 80 करोड़ से अधिक के ब्यूटिफिकेशन कार्य हुए। एफआरआई में आयोजित हुए इन्वेस्टर्स समिट आयोजन स्थल तक पहुंचने के लिए इसी रूट से मेहमानों को निकलना था। ऐसे में इस चौक का सौंदर्यीकरण हो पाए। लेकिन, जिस स्थान पर चक्रवर्ती सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य की नाम पट्टिका स्थापित की गई है। उसको चारों ओर घास-फूस, तारों का जाल देखने लायक है।

काली पड़ी पहाड़ की गांधी की प्रतिमा
घंटाघर के करीब मौजूद पहाड़ के गांधी स्व। इंद्रमणी बड़ोनी की प्रतिमा से सब वाकिफ हैं। जब भी राज्य आंदोलन की याद ताजा होती है। राज्य आंदोलनकारी समेत चुने हुए जनप्रतिनिधि उनकी प्रतिमा के सामने पहुंचकर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं। लेकिन, लोगों का कहना है कि जब से प्रतिमा को स्थापित किया गया होगा, शायद ही जिम्मेदार विभागों ने इसका ख्याल रखा हो।

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