-राजस्व पुलिस पर लग रहे अपराधों को छिपाने का आरोप

-मामलों को दबाने में स्थानीय जनप्रतिनिधियों की भी भूमिका

>DEHRADUN : राजधानी का जनजातीय क्षेत्र जौनसार बावर का अधिकांश हिस्सा राजस्व पुलिस के अधीन है। राजस्व पुलिस यानी पटवारी। जिसे वहां पर राजस्व उप निरीक्षक कहा जाता है। पूरे क्षेत्र की कानूनी व्यवस्था पटवारी के ही हाथ में है। लोग इस व्यवस्था से खिन्न भी हैं, लेकिन चाहते हुई कुछ नहीं कर सकते। क्योंकि इसके पीछे स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने एक ऐसा ताना बना बुना हुआ है जो लोगों को समझ से परे हैं।

नहीं लगाया जाता ताला

यह बात सही है कि जौनसार बावर शांत वादियों के लिए फेमस है। यहां अब भी लोग घर का दरवाजा खुला छोड़कर इधर उधर जाते हैं। चोरी का बिल्कुल भी डर नहीं है, लेकिन कई बार ऐसे अपराध सामने आते हैं, जो लोगों की रूह तक को हिला देते हैं। जिसमें ह्यूमन ट्रैफिकिंग व रेप की घटनाएं प्रमुख हैं। इसके अलावा नशे के धंधेबाजों के लिए भी यह क्षेत्र खासा महत्व रखता है। इस बात की तस्दीक एंटी नारकोटिक्स डिपार्टमेंट करता है। हर साल इस क्षेत्र में अफीम और चरस की अवैध खेती नष्ट की जाती है। यह ऐसा नशा है जो क्षेत्र के लोगों को अंदर से खोखला कर रहा है। इसके अलावा शराब तस्करों के लिए यह एरिया सोने की अंडे देने वाली मुर्गी साबित हो रहा है।

हिमाचल से होती है तस्करी

असल में, बावर क्षेत्र की सीमा हिमाचल से नहीं मिलती बल्कि, कल्चर भी हिमाचल से मेल खाता है। जिस कारण हिमाचल के लोग यहां पर आसानी से घुल मिल जाते हैं। शराब माफिया इसी का फायदा उठाकर शराब की तस्करी करते हैं। यहां न तो पकड़े जाने का डर है और न ही पुलिस का दखल। मात्र एक राजस्व उप निरीक्षक को सेट कर खुलेआम शराब की तस्करी हिमाचल से की जाती है। उत्तराखंड की सीमा पर शराब का जखीरा पहुंचते हैं यहां से नौगांव पुरोला होते हुए शराब उत्तरकाशी व टिहरी तक सप्लाई होती है। कई बार इस एरिया से लाई जा रही शराब को उत्तरकाशी व टिहरी पुलिस बरामद कर चुकी है। राजधानी देहरादून में भी चंडीगढ़ व हिमाचल ब्रांड की शराब हिमाचल से कुठालगेट होते हुए सिटी में पहुंचती है।

नशे के दलदल में फंस रहे लोग

यह बात राजधानी में बैठे पुलिस के आलाधिकारी भी जानते हैं, क्योंकि शराब व चरस के साथ हाईप्रोफाइल नशे के साथ पकड़े गए लोग अधिकांश लोग इसी एरिया से बिलॉन्ग करने वाले होते हैं। खास बात यह है कि नशे के धंधेबाज खुद इस धंधे को अंजाम नहीं देते हैं, बल्कि माल को सप्लाई करने के लिए वे स्थानीय लोगों को कैरियर के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। भोले भाले होने के कारण स्थानीय लोग चंद पैसों के लालच में नशे के ऐसे दलदल में गिर जाते हैं, जिससे निकल पाना उनके बस से बाहर हो जाता है। कोटी कनासर के सुंदर राम जोशी कहते हैं क्षेत्र में राजस्व पुलिस की कार्यप्रणाली संतोषजनक नहीं है। अपराध लगातार बढ़ रहे हैं।

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वन तस्करों को लुभाता है जौनसार बावर

क्षेत्र में वन संपदा की पर्याप्त मात्रा है, जो वन व वन्य जीव जंतु तस्करों को अपनी तरफ खींच लाती है। हर प्रकार का धंधा यहां गुपचुप तरीके से चल रहा है। यह बात स्थानीय जनप्रतिनिधि भी जानते हैं। स्थानीय लोग बताते हैं कि हर प्रकार का अवैध धंधा स्थानीय जनप्रतिनिधियों की सरपरस्ती में चलता है। क्योंकि कहीं न कहीं उनका भी इसमें स्वार्थ जुड़ा होता है। क्षेत्र में अपराध बढ़ रहा है यह बात राजधानी तक बैठे लोगों तक न पहुंचे इसके लिए हर जतन किया जाता है। मामलों को दबाने के लिए राजस्व उप निरीक्षक का सहारा लिया जाता है। रेप और ह्मूमन ट्रैफिकिंग के मामले दबाए जाते हैं। इसी तरह मादक व वन तस्करी के मामलों को दबाने के लिए राजस्व उप निरीक्षक का सहारा लिया जाता है।