रिस्पना से ऋषिपर्णा

- पानी आपूर्ति को लेकर संबंधित विभागों से मशविरा

- शहरी क्षेत्र में नदी की सफाई के लिए विभागों से मांगा वर्क प्लान

देहरादून,

रिस्पना को ऋषिपर्णा बनाने की कवायद एक बार फिर शुरू कर दी गई है। दावा किया जा रहा है कि कैचमेंट एरिया में स्थितियां नॉर्मल हो गई हैं और अब शहरी एरिया में नदी को साफ किया जाना है। इसके लिए सभी संबंधित विभागों से वर्क प्लान तैयार करने के लिए कहा गया है। रिस्पना को पुनर्जीवित करने के मामले में अब सबसे बड़ी चुनौती पानी की है।

शहरी एरिया में सबसे बुरा हाल

प्रशासनिक अधिकारियों के अनुसार दो वर्ष पहले किये गये प्रयासों के कारण रिस्पना के कैचमेंट एरिया में स्थितियां पहले से बेहतर हो गई हैं और अब शहरी एरिया में नदी की सफाई की जानी है। वास्तविकता यह है कि कैचमेंट एरिया में स्थितियां पहले भी बहुत बुरी नहीं है। प्रशासनिक प्रयासों के बाद यहां कुछ नये पेड़ उगे हैं, लेकिन असली समस्या तब शुरू होती है, जब रिस्पना शहरी क्षेत्र में प्रवेश करती है। रिस्पना से ऋषिपर्णा मिशन के तहत शहरी एरिया में भी रिस्पना के दोनों ओर पेड़ लगाये गये थे, लेकिन इस एरिया में कोई नया पेड़ नजर नहीं आ रहा है।

कहां से आएगा पानी

प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार रिस्पना से ऋषिपर्णा मिशन में अब सबसे प्रमुख चुनौती पानी की सामने आ रही है। बैठकों में यह सवाल उठाया जा चुका है कि नदी को पुनर्जीवित करने के लिए पानी का निरंतर बहाव चाहिए, इसके लिए पानी कहां से आयेगा। फिलहाल इस चुनौती का कोई हल अभी तक नहीं निकल पाया है।

कैनाल में जाता है रिस्पना का पानी

रिस्पना नदी मसूरी के नीचे राजपुर की आसपास की पहाडि़यों से निकलती है, लेकिन स्रोत से ही नदी का पानी कैनाल में डाल दिया जाता है। रिस्पना से निकाली गई इस ऐतिहासिक कैनाल को राजपुर कैनाल या देहरा कैनाल कहा जाता है। कैनाल का निर्माण 17वीं सेंचुरी में रानी कर्णावती ने किया था। बाद में अंग्रेजों ने इसे आधुनिक बनाया। नहर राजपुर से गुरुरामराय दरबार और उससे आगे तक जाती थी। अंग्रेजों ने दिलाराम बाजार से इस नहर के दो हिस्से किये और कैनाल की एक ब्रांच धर्मपुर से होकर आगे तक पहुंचाई गई। कैनाल के इस हिस्से को ईस्ट कैनाल कहा गया।

अब कैनाल अंडर ग्राउंड

कुछ वर्ष पहले तक देहरा कैनाल जमीन पर बहती थी। इसी नहर के नाम से दून की एक सड़क का नाम कैनाल रोड और एक अन्य सड़क का नाम ईस्ट कैनाल रोड है। इन दोनों नहरों को अब पाइप लाइनों के जरिये अंडर ग्राउंड कर दिया गया है। रिस्पना का पानी अब भी स्रोत के पास से ही कैनाल में छोड़ा जा रहा है।

विभागों से मांगा वर्क प्लान

जिला प्रशासन का कहना है कि कैचमेंट क्षेत्र में रिस्पना को पुनर्जीवित करने में सफलता मिली है और अब शहरी क्षेत्र में इसे साफ करने के लिए विभिन्न विभागों से वर्कप्लान मांगा गया है। इसमें मुख्य रूप से जल संसाधन विकास निगम और नगर निगम शामिल हैं। इन विभागों को बताना है कि शहर के गंदा पानी और सीवरेज रिस्पना में जाने से कैसे रोका जाएगा और नदी में साफ पानी के बहाव के क्या करना होगा।

40 परसेंट पानी नदी में छोड़ना जरूरी

पर्यावरण नियमों के अनुसार किसी भी जलस्रोत से यदि कोई कैनाल अथवा दूसरी परियोजना बनाई जाती है कि स्रोत का केवल 60 परसेंट पानी की परियोजना में इस्तेमाल किया जा सकता है। 40 परसेंट पानी हर हाल में नदी अथवा संबंधित स्रोत में ही छोड़ना पड़ता है। लेकिन, रिस्पना का 100 परसेंट पानी इस्तेमाल किया जा रहा है। करीब 60 परसेंट पानी हैड से कैनाल में छोड़ दिया जाता है जबकि बाकी 40 परसेंट पानी का पेयजल के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।

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रिस्पना से ऋषिपर्णा मिशन पर तेजी से काम किया जा रहा है। संबंधित विभाग से सलाह और वर्क प्लान देने के लिए कहा गया है। नदी में पानी को लेकर समस्या आ रही है। इसका जल्दी हल निकाल दिया जाएगा।

बीरसिंह बुदियाल, एडीएम