- नालियों की टैपिंग में आने वाले खर्च का भार नमामि गंगे से वहन होगा

देहरादून,

मरणासन्न रिस्पना नदी को बचाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए रिस्पना नदी में बहने वाले सीवर व नालियों के पानी को रोकने की कोशिश शुरू हो गई है। जल निगम ने नदी में बहने वाले 177 नालियों को टैप करने की प्रॉसेस शुरू कर दी है। साफ कर दिया है कि ये सभी नालियां अगले 6 माह में टैप कर सीवर ट्रीटमेंट प्लांट से जोड़ दी जाएंगी।

बरसात में नहीं होगी नालियां टैप

बीती 15 जनवरी को डीएम ने रिस्पना नदी में राजीवनगर में कूड़ा व मलबा उठाए जाने के कार्यो की समीक्षा की। नगर निगम को हर रोज कूड़ा उठाने की हिदायत दी। बदले में जल निगम को निर्देश दिए थे कि नदी में डाले जा रहे नालियों की टैपिंग हो। इसके बाद जल निगम ने नालियों का चिन्हीकरण शुरू कर दिया। जल निगम के ईई दीपक मलिक ने बताया कि रिस्पना नदी के किनारे मौजूद बस्तियां में सड़कों के किनारे जितनी भी नालियां हैं और उनसे जो रिस्पना नदी में पानी डाला जा रहा है। अब उनकी टैपिंग किए जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। हालांकि, बारिश के पानी को टैपिंग करने से बाहर रखा जाएगा। लेकिन बाकी दिनों में नालियों में बहने वाले पानी को टैपिंग के जरिए सीवर ट्रीटमेंट प्लांट से कनेक्ट कर दिया जाएगा। नालियों को चैंबर से जोड़ने से पहले कूड़ा व सिल्ट नालियों में न बह पाए, लोहे की जालियां का प्रयोग किया जाएगा।

जून तक कार्य पूरा होने का दावा

ईई दीपक मलिक के अनुसार नमामि गंगे प्रोजेक्ट तक इन नालियों के टैपिंग किए जाने के लिए बजट का प्रावधान किया गया है। ये सभी 177 नालियां रिस्पना नदी के किनारे वाले बस्तियों व इलाकों में मौजूद हैं। इन सभी 177 नालियों में से 57 नालियों का स्ट्रेक्चर तैयार कर लिया गया है। सभी नालियों के टैपिंग का कार्य जून तक पूरा कर लिया जाएगा।