- स्कूल खोलने को लेकर एसओपी जारी होते ही स्कूलों ने शुरू किया होमवर्क

- एसओपी के आधार पर तैयार हो रहा प्लान, सेनेटाइजेशन, मास्क और सोशल डिस्टेसिंग पर फोकस

DEHRADUN: स्टेट गवर्नमेंट ने स्कूलों को खोलने के लिए एसओपी जारी कर दी है। अब स्कूलों ने अपने स्तर से तैयारियां शुरू कर दी है। एसओपी को लेकर स्कूल मैनेजमेंट के सभी डाउट्स क्लियर होते ही अब सभी स्कूल एसओपी के हिसाब से प्लानिंग में जुट गए हैं। इसके साथ ही एसओपी को सभी स्कूल हेड और पैरेंट्स को भी सर्कुलेट किया जा रहा है। जिससे सभी प्वाइंट पर वर्कआउट किया जा सके।

रजिस्टर मेंटेन करेंगे स्कूल

2 नवंबर से दून में सभी निजी स्कूल बोर्ड के स्टूडेंट्स के लिए खुलने जा रहे हैं। इसके लिए स्कूल अपने स्तर से तैयारियां शुरू कर चुके हैं। निजी स्कूलों के एसोसिएशन पीपीएसए ने मंडे को सभी सीबीएसई और आईसीएसई स्कूल की मीटिंग बुलाई है। इसमें स्कूल मैनेजमेंट को एसओपी का पालन करने के लिए निर्देशित किया जाएगा। पीपीएसए के अध्यक्ष प्रेम कश्यप ने बताया कि हर स्कूल को एक-एक रजिस्टर मेंटेन करने को कहा गया है। जिसमें वे हर बच्चे की अटेंडेंस और उसके गेट पर एंट्री से लेकर क्लास की एक्टिविटी के बारे में भी इनपुट रखने को कहा जा रहा है। जिसमें बच्चे का टेम्प्रेचर भी नोट किया जाएगा। पैरेंट्स को भी इस बारे में सूचित किया जाएगा। इससे किसी भी परिस्थिति और कोई भी घटना होने पर स्कूल मैनेजमेंट के पास रिकॉर्ड रहेगा। प्रेम कश्यप ने बताया कि हर स्कूल को बड़े हॉल में ही क्लास चलाने को कहा जाएगा। जिससे सोशल डिस्टेसिंग का पालन हो सके। उन्होंने बताया कि स्कूलों में 45 मिनट का पीरियड होगा, एक बच्चे के लिए भी ऑफलाइन क्लास चलाई जाएगी। जो बच्चे स्कूल नहीं आएंगे वे स्कूल से ऑनलाइन जुड़ सकेंगे। इसके लिए पहले ही सभी पैरेंट्स को क्लास के शैड्यूल भेजे जाएंगे।

स्कूल बसें न चलाने का फैसला

स्कूल खुलने को लेकर मैनेजमेंट की ओर से तैयारियां तो शुरू हो चुकी है, लेकिन सबसे बड़ी समस्या स्टूडेंट्स को ट्रांसपोर्ट को लेकर सामने आ सकती है। पीपीएसए के अध्यक्ष प्रेम कश्यप ने कहा कि स्टूडेंट्स की स्ट्रेन्थ कम होने पर ट्रांसपोर्ट फैसिलिटी देना संभव नहीं हो पाएगा। पहले से ही स्कूलों की आर्थिक स्थिति खराब चल रही है। ऐसे में कम स्टूडेंट्स के लिए स्कूल बस नहीं चलाई जा सकती है। स्कूलों द्वारा बस प्रोवाइड न कराने की स्थिति में पैरेंट्स को खुद ही बच्चों को स्कूल छोड़ने की व्यवस्था करनी होगी।

फीस जमा नहीं हो रही, कहां से लाएं बजट

कोरोनाकाल में अधिकतर पैरेंट्स स्कूलों की फीस जमा नहीं कर रहे हैं। ऐसे में मैनेजमेंट स्कूल खोलने के बाद आने वाले खर्चे को लेकर संशय में है। स्कूलों का तर्क है कि जो स्टूडेंट फीस जमा कर भी रहे हैं वह सिर्फ ट्यूशन फीस है। सरकार की एसओपी में हर क्लास के बाद सेनेटाइजेशन के लिए कहा गया है। जिसमें 7 हजार का रोजाना खर्चा आना तय है। ये सब खर्चे कैसे मैनेज किए जाएंगे। इसको लेकर भी सोचना होगा। स्कूलों का तर्क है कि पैरेंट्स एनुअल चार्ज जमा करें तो स्कूल अपने खर्चे निकाल पाएंगे।

गवर्नमेंट ने स्कूलों के अनुरूप ही एसओपी जारी की है। इसको लेकर स्कूलों की मीटिंग बुलाई गई है। सभी स्कूलों को एसओपी का पूरी तरह पालन करने को कहा जाएगा।

- प्रेम कश्यप, अध्यक्ष, पीपीएसए।

गवर्नमेंट की एसओपी का पालन किया जाएगा, लेकिन बिना फंड के एसओपी का पालन करना मुश्किल है, एक दिन का सेनेटाइजेशन का खर्चा 5 से 7 हजार रुपए बैठ रहा है। इसके लिए कुछ लोगों की ड्यूटी भी लगानी होगी। इन सबके लिए बजट मैनेज करना है। सरकार को इस बारे में भी कुछ सोचना चाहिए।

- समरजीत ंिसंह, अध्यक्ष, डेवलपिंग स्कूल एसोसिएशन