- स्वदेशी तकनीक से बनी सेटेलाइट से दुश्मन पर रखी जा सकेगी नजर

DEHRADUN: बार्डर पर अब दुश्मन पर भारतीय सेना सीधी नजर रख सकेगी। देहरादून स्थित ऑर्डनेंस फैक्ट्री ने स्वदेशी तकनीक पर आधारित ट्रैकिंग सिस्टम डेवलप करने का काम शुरू कर दिया है। अब तक सीमा पर दुश्मन पर अक्सर सीधे नजर रख पाना संभव नहीं हो पाता है। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए सेटेलाइट से निगरानी करना ही एकमात्र विकल्प होता है। अब तक भारतीय सेना विदेशी तकनीक पर आधारित सेटेलाइट ट्रैकिंग सिस्टम पर निर्भर रहती है।

टै्रकिंग सिस्टम किया जा रहा डेवलप

मंगलवार को मीडिया से बातचीत में ऑर्डनेंस फैक्ट्री के महाप्रबंधक पीके दीक्षित ने बताया कि डे विजन, नाइट विजन व लेजर तकनीक के मेल (कॉम्बिनेशन) के माध्यम से ट्रैकिंग सिस्टम बनाया जा रहा है। इसकी लागत करीब 50 लाख रुपये प्रति सिस्टम आएगी। वहीं, विदेशी तकनीक पर आधारित सिस्टम 40 गुना तक महंगा है। प्रयास किए जा रहे हैं कि मार्च 2021 तक ट्रैकिंग सिस्टम तैयार कर लिया जाए। इसके बाद कुछ ट्रायल किए जाएंगे और फिर सिस्टम को सेना के सुपुर्द कर दिया जाएगा।

आमजन को मिलेगे ऑर्डनेंस फैक्ट्री के बायनोकुलर

जिन बायनोकुलर से हमारे सैनिक बहुत दूर बैठे दुश्मन की भी पहचान करने में सक्षम हो पाते हैं, वह अब आमजन को भी मिल पाएंगे। फैक्ट्री के महाप्रबंधक दीक्षित के अनुसार पर्यटक स्थलों को केंद्र में रखकर इनकी बिक्री की जाएगी। आठ गुणा जूम वाले बायनोकुलर की कीमत 20 हजार व 12 गुणा जूम वाले बायनोकुलर की कीमत करीब 25 हजार रुपये रखी जाएगी। ओएफडी के साइंटिस्ट्स ने ऐसी तकनीक डेवलप की है, जिसके माध्यम से बायनोकुलर पर मोबाइल फोन को अटैच किया जा सकता है। यह काम सिर्फ एक छोटे से एडप्टर के माध्यम से संभव हुआ है और लागत भी महज दो हजार रुपये है। सोमवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस एडप्टर को ऑनलाइन माध्यम से लॉन्च भी कर चुके हैं।

सेना ने मांगे अपग्रेड टेलिस्कोप

ऑर्डनेंस फैक्ट्री ने राइफल पर फिट किए जाने वाली डे-विजन टेलिस्कोप को अपग्रेड किया है। यह पूरी तरह स्वदेशी तकनीक पर भी आधारित है। गलवन में चीनी सैनिकों की घुसपैठ के बाद सेना में इस अपग्रेड टेलिस्कोप की मांग की है। ऑर्डनेंस फैक्ट्री के महाप्रबंधक पीके दीक्षित ने बताया कि फैक्ट्री में इसे 1.25 लाख रुपये में तैयार किया जा रहा है, जबकि विदेशों से इसे आयात करने में बड़ी रकम खर्च करनी पड़ती थी। असॉल्ट राइफल के लिए स्वदेशी तकनीक पर आधारित टेलिस्कोप के प्रति भी सेना ने खासी दिलचस्पी दिखाई है। ऑर्डनेंस फैक्ट्री को ऐसी 13 हजार डिवाइस तैयार करने का ऑर्डर दिया गया है।