- प्ले ग्रुप से लेकर पहली क्लास में ज्यादातर बच्चों के एडमिशन की प्रक्रिया हो चुकी है पूरी

- एजुकेशन डिपार्टमेंट अप्रैल से प्राइमरी के लिए स्कूल खोलने को लेकर कर रहा प्लानिंग

देहरादून,

कोरोनाकाल में एक साल से भी ज्यादा समय बीत जाने के बाद छोटे बच्चों को स्कूल खुलने का अब भी इंतजार है। सबसे ज्यादा उत्सुकता उन बच्चों में रहती है जो पहली बार स्कूल कैंपस में पढ़ाई के लिए पहुंचते हैं। प्ले ग्रुप से लेकर पहली क्लास में ज्यादातर बच्चों के एडमिशन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, कई बच्चों की तो ऑनलाइन क्लासेज भी शुरू हो गई है, लेकिन जिन बच्चों ने न क्लास रूम देखे न स्कूल कैंपस। उन्हें स्कूल में एंट्री का इंतजार है। एजुकेशन डिपार्टमेंट अप्रैल में छोटी क्लास के बच्चों के लिए भी स्कूल खोलने को लेकर प्लानिंग कर रहा है। ऐसे में पहली क्लास में एडमिशन लेने वाले बच्चों को पहली बार स्कूल जाने का इंतजार पूरा हो सकता है।

छठी क्लास से हो रही है स्कूलों में एंट्री

उत्तराखंड में क्लास 6 और इससे ऊपर की क्लास के स्टूडेंट्स के लिए ही स्कूल में एंट्री देने की परमिशन है। 1 साल से भी ज्यादा का समय गुजर जाने के बाद अब अप्र्रैल से क्लास 1 और ऊपर की क्लासेज के बच्चों को स्कूल में एंट्री दिए जाने को लेकर एजुकेशन डिपार्टमेंट तैयारी कर रही है। हालांकि यह तय नहीं है कि बच्चों को नर्सरी से या प्राइमरी से स्कूल में आने की परमिशन दी जाएगी। इसके लिए एजुकेशन डिपार्टमेंट मंथन में जुट गया है। स्कूल प्रबंधन की बात करें तो अधिकतर स्कूल प्ले ग्रुप से ही स्कूल खोलने को लेकर तैयार नजर आ रहे हैं। हालांकि पैरेंट्स फ‌र्स्ट क्लास से पहले के बच्चों को स्कूल भेजने से अभी डर रहे हैं। दून में 600 से ज्यादा बड़े निजी स्कूल हैं। जिनमें प्ले ग्रुप से ही अब क्लास शुरू होती है। इन स्कूलों में 25 हजार से ज्यादा बच्चे हर साल रजिस्टर्ड होते हैं। इसके अलावा गली, मोहल्लों में 250-300 छोटे स्कूल भी होंगे, जो कि प्ले ग्रुप और प्राइमरी तक के ही होते हैं।

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यूपी समेत कई स्टेट में छोटी क्लासेज के बच्चों को भी स्कूल बुलाया जा रहा है, जो माहौल स्कूल में बच्चे को दिया जाता है वह घर में नहीं मिलता है। बच्चों को प्रिकॉशन के साथ स्कूल में एंट्री दी जा सकती है।

प्रेम कश्यप, अध्यक्ष, पीपीएसए

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नर्सरी के बच्चों में थोड़ा अवेयरनेस के नजरिये से बुलाना रिस्क हो सकता है लेकिन फ‌र्स्ट क्लास के बच्चों को सिखाया जा सकता है। अप्रैल से अगर छोटी क्लास के लिए स्कूल खुले तो बच्चों को फायदा होगा।

प्रदीप गौड़, प्रिंसिपल, एडिफाई स्कूल

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कोरोना के जिस तरह से अचानक केस बढ़ने लगे हैं, ऐसी स्थिति में एजुकेशन डिपार्टमेंट को थोड़ा और इंतजार करना चाहिए। फिलहाल हम बच्चों को स्कूल नहीं भेज सकते हैं।

दीपक मलिक, पैरेंट

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घर में बच्चों को स्कूल का माहौल नहीं मिल पा रहा है। स्कूलों को ऐसी कुछ व्यवस्था करनी चाहिए। जिससे बच्चे सेफ होकर पढ़ाई कर सकें। जब स्कूल फीस मोटी वसूलते हैं तो फिर व्यवस्था भी होनी चाहिए।

किरन बिष्ट, पैरेंट

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600 से ज्यादा बड़े निजी स्कूल हैं दून में

25 हजार से ज्यादा बच्चे रजिस्टर्ड होते हैं हर साल

3 से 4 हजार तक फीस है छोटी क्लास की

20 से 25 हजार तक एडमिशन के समय देनी होती है फीस

प्ले ग्रुप से ही हर स्कूल में शुरू हो रही है क्लास

फ‌र्स्ट क्लास से अप्रैल में खोलने पर बन सकती है राय

प्ले ग्रुप के बच्चों को स्कूल भेजने से डर रहे हैं पैरेंट्स