देहरादून, ब्यूरो:
उत्तराखंड रोडवेज के दावों के अनुसार उनकी ओर से कई बार इलेक्ट्रिक व सीएनजी बसों के संचालन के लिए टेंडर इनवाइट किए गए, लेकिन किसी कंपनी ने रुचि नहीं ली। डीजल बसों में भी सीएनजी किट लगाने के लिए प्रयास किए गए, लेकिन असफल रहे। इसके बाद नई सीएनजी व इलेक्ट्रिक बसों की खरीद की योजना बनी, जो अभी तक प्रॉसेस में है।

कंपनियों का बकाया बना रोड़ा
बताया जा रहा है कि प्राइवेट कंपनियों का करोड़ों का बकाया रोडवेज के पास है, लंबे समय से इसका भुगतान नहीं हो पाया है। ऐसे में प्राइवेज कंपनियों ने रोडवेज को सर्विस देने से हाथ खींच लिए और टेंडर प्रॉसेस में शामिल नहीं हुईं। सूत्रों के मुताबिक अब भी रोडवेज करीब 75 करोड़ के घाटे में है।

रोडवेज के बेड़े में इतनी बसें

रोडवेज की बसें- 950
अनुबंधित बसें- 290
वॉल्वो, एसी बसें- 52
सीएनजी बसें -13

अपनी एक भी यूरो-6 बस नहीं
रोडवेज के पास अनुबंधित बसों को छोड़ सभी बसें यूरो-4 की हैं। ऐसे में यूरो-6 बसों की ख्ररीद की जानी है। 2019 में रोडवेज में 300 नई बसें खरीदी थीं, लेकिन वे सभी यूरो-4 थीं। अब दिल्ली में यूरो-4 बसों की एंट्री बैन हो रही है, ऐसे में यूरो-6 बसें कहां से आएंगी, ये बड़ा सवाल है।

186 बसें रोज दिल्ली रवाना
उत्तराखंड रोडवेज की कुमांऊ व गढ़वाल दोनों डिपो से 350 से ज्यादा बसों का डेली संचालन होता है। इनमें से 186 बसों का संचालन देहरादून से होता है, जिनमें हजारों पैसेंजर सफर करते हैैं। गुरुवार को काशीपुर व देहरादून डिपो की जो बसें दिल्ली गईं, उनके ड्राइवर्स को दिल्ली पुलिस ने रिमाइंडर दिया कि एक अक्टूबर से डीजल बसों को दिल्ली से बाहर ही रोक दिया जाएगा। ऐसे में डीजल बसें दिल्ली के बॉर्डर तक ही जा सकेंगी।

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दिल्ली में डीजल बसों की नो एंट्री का फिलहाल अपडेट नहीं मिला है। अगर एक अक्टूबर से डीजल बसों को दिल्ली में एंट्री से रोका जाता है, तो यूरो-6 बसों का इंतजाम होने तक कोई विकल्प तलाशा जाएगा।
- दीपक जैन, जीएम, रोडवेज

रोडवेज मैनेजमेंट की तैयारी शून्य है। रोडवेज के अधिकारियों को चाहिए कि वे दिल्ली सरकार से इस संबंध में बात करें। यात्रियों की सुविधा का हवाला देकर रियायत की अपील करें।
- अशोक चौधरी, महामंत्री, उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन
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