-कुंभ के पहले शाही स्नान पर 13 अखाड़ों के हजारों साधु-संतों ने लगाई डुबकी

-सुबह 9.45 पर शुरू हुआ शाही स्नान, शाम 6.20 बजे तक चला

-हेलीकॉप्टर के जरिए शाही जुलूसों पर हुई पुष्प वर्षा

हरिद्वार (जेएनएन), सोमवती अमावस्या पर हरिद्वार में कुंभ के पहले शाही स्नान पर गंगा तट सनातनी वैभव से आलोकित हो उठा। कुंभ के पहले शाही स्नान पर एक-एक कर 13 अखाड़ों के हजारों साधु-संत जब हरकी पैड़ी पर गंगा में डुबकी लगाने पहुंचे तो सबकी नजर मानो ठहर गई। बैरागी अखाड़ों के वैराग्य का रंग और नागा संन्यासियों का आकर्षण अलग ही अनुभूति करा रहा था।

हर दिशाओं में बम-बम भोले के जयघोष

चारों दिशाओं में गूंजते 'हर-हर महादेव' व 'बम-बम भोले' के जयघोष के साथ ही पंचाक्षरी मंत्र की धुन से वातावरण महकने लगा। सुबह 9.45 बजे शुरू हुआ स्नान का क्रम शाम 6.20 बजे तक चला। प्रशासन के अनुसार शाम छह बजे तक अखाड़ों के साधु-संतों समेत 30 लाख से अधिक श्रद्धालु गंगा घाटों पर स्नान कर चुके थे। उल्लास के बीच कोविड गाइड लाइन के नियम कब पीछे छूट गए पता ही नहीं चला।

-रात्रि प्रथम प्रहर से ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचने लगे हरकी पैड़ी

-हालांकि मेला अधिष्ठान ने हरकी पैड़ी को आम श्रद्धालुओं के लिए किया था प्रतिबंधित।

-श्रद्धालुओं की भीड़ और आस्था को देख उन्हें सुबह सात बजे तक यहां स्नान करने दिया गया।

-इसके बाद पूरे क्षेत्र को खाली करा अखाड़ों के लिए कर दिया गया रिजर्व

-इसके बाद उन्हें अन्य गंगा घाटों पर भेजा गया।

सुबह साढ़े नौ बजे सिलसिला शुरू

सुबह ठीक साढ़े नौ बजे जुलूस के रूप में अखाड़ों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हुआ। निर्धारित क्रम के अनुसार सबसे पहले श्रीपंचायती अखाड़ा श्रीनिरंजनी ने आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि के नेतृत्व में स्नान किया। उनके साथ ही श्रीपंचायती आनंद अखाड़े के संतों ने भी गंगा में डुबकी लगाई। फिर आचार्य महामंडलेश्वर अवेधानंद गिरि के नेतृत्व में श्रीपंदशनाम जूना अखाड़ा ब्रह्मकुंड पहुंचा। जूना अखाड़ा के छत्र तले आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी रामकृष्णानंद सरस्वती के साथ अग्नि, आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी शिवेंद्र पुरी के साथ आह्वान अखाड़े के संतों ने स्नान किया। किन्नर अखाड़े के संतों ने भी जूना अखाड़े के छत्र तले डुबकी लगाई। इसी क्रम में महानिर्वाणी अखाड़े ने आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विशोकानंद गिरि, अटल अखाड़े ने अपने आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विश्वात्मानंद महाराज के नेतृत्व में स्नान किया। इसके बाद तीनों बैरागी अणियों का क्रम था। इसमें निर्वाणी अणि के अध्यक्ष श्रीमहंत राजेंद्र दास, निर्मोही अणि के श्रीमहंत धर्मदास और दिगंबर अणि के श्रीमहंत कृष्णदास की अगुआई में संतों ने 1200 खालसों के साथ डुबकी लगाई। इसी प्रकार से अन्य अखाड़ों ने भी गंगा में डुबकी लगाई। अंत में निर्मल अखाड़े ने श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह वेदातचार्य की अगुआई में शाही स्नान किया। इस दौरान शाही जुलूसों पर राज्य सरकार की ओर से हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा की गई।

हर अखाड़े के लिए आधे घंटे का वक्त था निर्धारित

डीआईजी (मेला) संजय गुंज्याल ने बताया कि स्नान के लिए प्रत्येक अखाड़े के लिए आधा घंटे का समय निर्धारित किया गया था। श्रद्धालुओं का उत्साह देखकर प्रतीत हो रहा है कि 14 अप्रैल को बैशाखी पर्व पर होने वाले दूसरे शाही स्नान में भीड़ काफी हो सकती है।

श्रीमहंत नरेंद्र गिरि ने नहीं लिया शाही स्नान में भाग

संडे को कोरोना संक्रमित हुए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि सहित करीब 100 संतों ने शाही स्नान में भाग नहीं लिया। वह श्रीपंचायती अखाड़ा निरंजनी के श्रीमहंत भी हैं। श्रीमहंत संडे से ही निरंजनी अखाड़ा स्थित अपने निवास में आइसोलेशन में हैं।

बेहोश हुई किन्नर अखाड़े की प्रमुख

श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के छत्र तले शाही स्नान में भाग ले रहे किन्नर अखाड़े की प्रमुख लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी शाही स्नान के दौरान हरकी पैड़ी पर बेहोश हो गई। जिन्हें एंबुलेंस से डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल पहुंचाया गया। होश आने पर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने बताया कि उन्हें अचानक चक्कर आ गया। अब वह स्वस्थ महसूस कर रही हैं। कुंभ मेला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ। अर्जुन सिंह ने बताया किकिन्नर अखाड़ा प्रमुख ने रैपिड एंटीजन टेस्ट कराने से इन्कार कर दिया है।

नेपाल के पूर्व नरेश ने भी किया शाही स्नान

नेपाल के पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र वीर विक्रम शाह देव ने भी अखाड़ों के साथ शाही स्नान किया। उन्होंने श्रीपंचायती अखाड़ा श्रीनिरंजनी ने आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि के नेतृत्व में गंगा में डुबकी लगाई।

वीआईपी नहीं हुए शामिल

कोरोना संक्रमण के बीच इस बार कुंभ के पहले शाही स्नान में कोई वीआईपी नहीं पहुंचा। उत्तराखंड सरकार भी स्पेशल गेस्ट से इसके लिए आग्रह कर चुकी थी।