देहरादून। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश के पीडियाट्रिक कार्डियक सर्जरी विभाग ने 15 वर्षीय किशोरी की जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम देकर उसे नया जीवनदान दिया है। उत्तरप्रदेश निवासी इस किशोरी को जन्म से शरीर में नीलेपन की शिकायत थी। डॉक्टर के अनुसार इस तरह के जटिल ऑपरेशन से अब तक उत्तराखंड में किसी सरकारी मेडिकल संस्थान में नहीं किया गया है। जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक करने पर एम्स निदेशक प्रोफेसर रविकांत संस्थान के सीटीवीएस व कार्डियोलॉजी विभाग की टीम की सराहना की और चिकित्सकों को प्रोत्साहित किया। निदेशक एम्स प्रो। रविकांत ने बताया कि संस्थान में पेशेंट को व‌र्ल्ड क्लास स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं, जिससे उत्तराखंड व समीपवर्ती अन्य राज्यों के पेशेंट को किसी भी तरह के उपचार के लिए राज्य से बाहर के मेडिकल संस्थानों में नहीं जाना पड़े।

डाक्टर ने बताया कि घर के आसपास मुकम्मल स्वास्थ्य सेवा नहीं मिलने की वजह से किशोरी के परिजनों ने अन्यत्र उपचार कराना मुनासिब नहीं समझा। किशोरी को सांस फूलने की समस्या होने लगी थी,जिसके कारण वह अपने रोजमर्रा के कार्य करने में भी असमर्थ हो गई। कार्डियोलॉजी विभाग में उसकी जांच कराई। जिसमें पता चला कि किशोरी के दिल में जन्मजात छेद है और फेफड़े की नस सिकुड़ी हुई है। उसके दिल का एक वाल्व भी जन्म से ही अविकसित था, जिसे मेडिकल साइंस में टैट्रोलॉजी ऑफ फैलो विद एबसेंट पल्मोनरी वाल्व कहते हैं। जटिल ऑपरेशन को अंजाम देने वाली टीम में सीटीवीएस विभाग के डॉ। अनीश गुप्ता के अलावा डॉ। अजेय मिश्रा, डॉ। यश श्रीवास्तव व विभाग के अन्य सदस्य शामिल रहे।