हाईकोर्ट का आदेश, काम पर नहीं लौटते तो बेरोजगारों की हो भर्ती

-जनहित याचिका पर सुनावाई के बाद हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी

-कहा, शिक्षा के अधिकार के हनन कर रहे हैं हड़ताली शिक्षक

नैनीताल: राज्य में चल रही शिक्षकों की हड़ताल पर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अख्तियार किया है। हाईकोर्ट ने सरकार को आदेश दिया है कि या तो हड़ताल पर गए शिक्षक तुरंत काम पर लौटें या फिर सरकार उनके पदों पर तुरंत योग्य बेरोजगार शिक्षकों की भर्ती कर दे। हाईकोर्ट ने ये भी कहा है कि हड़ताल पर गए शिक्षक शिक्षा के अधिकार का हनन कर रहे हैं। हाईकोर्ट ने ये तल्ख टिप्पणी एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दी।

क्या कहा गया याचिका में?

राज्य में प्राथमिक शिक्षक संघ, राजकीय शिक्षक संघ व जूनियर हाई स्कूल शिक्षक अलग-अलग मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। राजकीय शिक्षक संघ के प्रांतीय आह्वान पर प्रदेश के करीब 20 हजार राजकीय शिक्षक 12 सितंबर से हड़ताल पर हैं। इससे राज्य के राजकीय हाई स्कूल व इंटर कॉलेजों में पठन-पाठन ठप हो रखा है। प्रधानाचार्य व चंद अतिथि शिक्षक ही पढ़ा पा रहे हैं। इधर, अधिवक्ता मनोज लखचौरा ने कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा कि प्रदेश के 72 हजार शिक्षकों की हड़ताल से छात्रों का पठन-पाठन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। मोटी पगार व अत्यधिक अवकाश के बावजूद शिक्षक हड़ताल पर गए हैं। शिक्षक संगठन हड़ताल कर नागरिकों संविधान के अनुच्छेद-21(ए) के तहत मिले शिक्षा का अधिकार का हनन कर रहे हैं।

कोर्ट ने दिया झटका

वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति वीके बिष्ट व न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ ने शिक्षकों से तत्काल हड़ताल वापस लेने व ऐसा न करने वालों को बर्खास्त करने के निर्देश सरकार को दिए। साथ ही योग्य बेरोजगारों को नियुक्ति देने को कहा। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में 2300 राजकीय हाई स्कूल-इंटर कॉलेजों में करीब 20 हजार राजकीय शिक्षक नियुक्त हैं।

यूपी की हड़ताल का जिक्र

हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में 1970 में हुई शिक्षकों की हड़ताल के बाद सरकार द्वारा अपनाए गए वैकल्पिक मार्ग का भी जिक्र किया। इसी आधार पर आदेश भी सुनाया।