- संविदा टीचर्स को भी मातृत्व अवकाश का लाभ
देहरादून, 4 जनवरी (ब्यूरो)।
स्टेट के स्कूली बच्चों का बोझ कम करने के लिये राज्य सरकार शीघ्र दिशा-निर्देश जारी करेगी। विभागीय अधिकारी संबंधित प्रस्ताव तैयार कर शीघ्र शासन को उपलब्ध कराएंगे। बस्ते का बोझ कम करने संबंधी आदेशों का अनुपालन कराने की जिम्मेदारी चीफ एजुकेशन ऑफिसर क्र(सीईओक्र) की होगी। इसके अलावा स्कूलों में तैनात संविदा व नियत वेतनमान पर कार्यरत अस्थाई शिक्षिकाओं को भी मातृत्व अवकाश का लाभ दिया जाएगा।

चलेगा पब्लिक अवेयरनेस कैंपेन
इससे पहले 26 जनवरी 2024 तक पूरे प्रदेश में निजी स्कूल संचालकों, मैनेजमेंट, प्रिंसिपल व पैरेंट्स के साथ जिला व राज्य स्तर पर बैठकों का आयोजन कर पब्लिक अवेयरनेस कैंपेन शुरू किया जाएगा। शिक्षा मंत्री डॉ। रावत ने कहा कि राज्य में आईसीएसई, सीबीएसई, उत्तराखंड बोर्ड व भारतीय शिक्षा बोर्ड के तहत कक्षा-1 से 12 तक के प्राइवेट स्कूल संचालित की किए जा रहे हैं। जिसमें अध्ययन करने वाले बच्चों के बस्ते का बोझ उनकी क्षमता से भी कई गुना अधिक है। जिसको कम करने के लिये नई शिक्षा नीति-2020 में भी सिफारिश की गई है। इसके अलावा मद्रास हाईकोर्ट के द्वारा वर्ष 2019 में जारी आदेश के क्रम में राज्य सरकार पहले ही बस्ते का बोझ कम करने का आदेश जारी कर चुकी है। जिसका अनुपालन कतिपय कारणों से राज्य में नहीं हो सका।

केंद्र सरकार कर चुकी है सिफारिश
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय भी माह अक्टूबर 2023 में इसी तरह की सिफारिश देश में संचालित सभी शिक्षा बोर्डों को कर चुकी है। उपरोक्त दोनों आदेशों का संज्ञान लेते हुये राज्य में आगामी शैक्षणिक सत्र से ही बस्ते का बोझ कम करने संबंधी आदेशों का सख्ती से पालन कराया जाएगा।

शिक्षा मंत्री बोले
-स्कूलों में कार्यरत संविदा व अस्थाई शिक्षिकाओं को अन्य कार्मिकों की तर्ज पर मातृत्व अवकाश दिया जाएगा।
-विभागीय स्तर से सभी जिलों के सीईओ को आदेश जारी कर दिये जाएंंगे।
-नए निजी स्कूलों को वित्तीय अनुदान के स्थान पर टोकन मनी देने के निर्णय पर सहमति।
-इसके लिये नियमावली में शीघ्र संशोधन करने के निर्देश अधिकारियों को दिए गए।
-एलटी व जूनियर हाईस्कूलों के शिक्षकों की पदोन्नति किए जाने, एलटी, प्रवक्ता व बेसिक शिक्षकों के खाली पदों पर चर्चा।
-बोर्ड परीक्षाओं का आयोजन व रिजल्ट समय पर जारी करने को लेकर भी हुआ मंथन।