- गांव के पुनर्वास को प्रशासन ने की भोजावाला, चीलियो, खैरना और लांघा रोड पर जमीन चिन्हित
- चिन्हित जमीन का जियोलॉजिकल सर्वे कराने के बाद ही होगी बसाने की कार्रवाई शुरू

देहरादून (ब्यूरो): ग्रामीण भी इसको लेकर लगभग सहमत है। साफ है कि गांव के लोग इतना डर गए हैं कि वह भी पहाड़ में नहीं रहना चाहते हैं। हालांकि कुछ लोग गांव के पास ही बसना चाहते हैं, तो गांव के पास प्राइवेट लैंड भी तलाशी जा रही है। इधर, प्रशासन यह देख रहा है कि अब तक चिन्हित की गई जगहों पर ग्राम पंचायत की कितनी जमीन है इसके लिए नक्शा-खसरों की तहसील से रिपोर्ट मांगी गई है। चिन्हित जगहों का जियोलॉजिकल सर्वे कराया जा रहा है, ताकि भविष्य में किसी तरह फिर से ग्रामीणों को आपदा का दंश न झेलना पड़े।

भूस्खलन लील गया जाखन गांव
बता दें कि 16 अगस्त को अतिवृष्टि ने जाखन गांव को लील लिया था। गांव के 10 मकान पूरी तरह जमींदोज हो गए थे, जबकि बाकी बचे भी दरक रहे हैं। गांव में 28 परिवार रह रहे थे। जियोलॉजिस्ट््स की टीम ने गांव का जियोलॉजिकल सर्वे किया और बताया कि गांव में अब निर्माण कार्य संभव नहीं है और यहां की आबादी कहीं और बसाना ही सुरक्षित विकल्प है, जिसके बाद डीएम सोनिका ने एसडीएम विकासनगर को गांव को बसाने के लिए जमीन तलाशने के निर्देश दिए।

आस-पास ही रहना चाहते हैैं प्रभावित
जाखन गांव के बेघर हुए ग्रामीण गांव के आस-पास ही रहना चाहते हैं, क्योंकि प्रभावित ग्रामीणों ने मवेशियों को आस-पास क्षेत्र की दूसरों की छानियों में रखा है, जिनके लिए चारा पत्ती भी जुटानी है, साथ ही खेतों में मक्का व झंगोरा की फसल भी है। इसलिए वे गांव के आस-पास ही बसना चाहते हैं। इस विकल्प पर भी प्रशासन काम कर रहा है। गांव के पास ग्राम समाज और प्राइवेट लैंड की तलाश कर रही है।

लगातार दरक रही पहाड़ी
सर्वे करने के बाद भू-वैज्ञानिक कामिनी बिष्ट ने डीएम को सौंपी रिपोर्ट में कहा है कि जाखन गांव के प्रभावित क्षेत्र की पहाड़ी में मजबूत चट्टानें नहीं है। अधिकांश भाग मिट्टी का है। भूधंसाव को रोकने के लिए नीचे कोई हार्ड रॉक भी नहीं है। एक्टिव जोन के भू-धंसाव को रोकने के लिए कोई इंतजाम किया जाना भी संभव प्रतीत नहीं हो रहा है। ऐसे में प्रभावित क्षेत्र में रहने लायक स्थिति में नहीं है। जियोलॉजिकल रिपोर्ट के बाद प्रशासन गांव को पुनर्वासित करने की योजना बना रहा है।

एक नजर में जाखन
16 अगस्त की शाम लैंड स्लाइड लेकर आया तबाही
28 परिवार के करीब सवा सौ लोग हुए बेघर
10 मकान पूरी तरह हुए जमींदोज
12 अन्य मकानों में चौड़ी दरार, लगातार दरक रही पहाड़
18 परिवार रह रहे राहत शिविरों में, कई रिश्तेदारों के यहां लिए हैं शरण
04 हजार रुपये प्रत्येक परिवार को मिलेगी राहत राशि
20 मीटर तक नीचे धंस गई गांव के ऊपर की रोड
20 लाख यूनिट रोजाना लॉस हो रहा बिजली का, हाईटेंशन टावर को क्षति

अब भू-धंसाव की चपेट में लेल्टा गांव
दून में लखवाड़ और खमरौली के बाद अब कालसी ब्लॉक का लेल्टा गांव के लोग भी भू-धंसाव से भयभीत हैं। यहां भूधंसाव के कारण 10 से अधिक भवनों में दरार आ गई है। इसके साथ ही सड़क और खेतों में पड़ी दरार भी चौड़ी होती जा रही है। ग्रामीणों का मानना है कि गांव में कच्ची पहाड़ी पर बसे होने के चलते यहां भूधंसाव हो रहा है। ऐसे में हल्की वर्षा होते ही ग्रामीण खौफजदा हो जाते हैं और रातभर जागकर बिता रहे हैं। उन्हें डर है कि भू-धंसाव उनके घरों के साथ खेत और बगीचों को भी तबाह कर देगा। लेल्टा गांव में करीब 80 परिवार रहते हैं।

जाखन गांव के पुनर्वास के लिए जमीन तलाशी जा रही है। चार जगहों पर भूमि का चिन्हांकन किया गया है। चिन्हित भूमि का भू-सर्वेक्षण कराया जा रहा है। ग्रामीणों की राय के साथ ही सर्वे रिपोर्ट के आधार पर शीघ्र ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।
विनोद कुमार, एसडीएम, विकासनगर
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