NSUI ने की जबरन ताला बंदी

फाइडे को एनएसयूआई प्रोग्राम के विरोध में खुलकर सामने आ गई। एसजीआरआर पीजी कॉलेज में स्टूडेंट्स की राजनीति कॉलेज प्रशासन पर हावी होती दिखाई दे रही है। स्वामी विवेकानंद की 150 वीं जयंती के उपलक्ष्य में एबीवीपी ने एकेडमिक्स में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले स्टूडेंट्स के लिए युवा स्वाभिमान समारोह ऑर्गनाइज किया था। प्रोग्राम को लेकर काफी दिनों से दोनों गुटों के बीच अंदर ही अंदर टकराव भी हो रहे थे। कॉलेज द्वारा प्रोग्राम को लेकर एबीवीपी को परमिशन मिल गई। जिसके चलते फ्राइडे को जयंती के मौके पर प्रोग्राम ऑर्गनाइज किया जाना था, लेकिन एनएसयूआई ने जबरन तालाबंदी कर प्रोग्राम रोक दिया। इसी बीच हंगामा बढ़ा तो कॉलेज के प्रिंसिपल वीए बौड़ाई और पुलिस की मध्यस्थता में स्टूडेंट्स के बीच बातचीत हुई। मगर, स्थिति सामान्य होती तब तक प्रोग्राम का वक्त निकल चुका था। इस स्थिति में एबीवीपी की ओर से स्टूडेंट यूनियन इलेक्शन के प्रेसीडेंट पद के कैंडिडेट रहे विपिन काम्बोज और संगठन पदाधिकारी साकेन्द्र रावत कॉलेज की छत पर चढ़ गए। पुलिस ने इन्हें समझाने की कोशिश की लेकिन यह नहीं माने। इसी बीच साकेन्द्र तैश में आकर नीचे कूद गया और छज्जे पर लटक गया। विपिन ने हाथ पकड़कर उसे ऊपर खींचने की कोशिश की, पर वह फिसलकर नीचे गिर गया। पुलिस ने दोनों स्टूडेंट्स को हिरासत में लिया। बाद में दोनों को वॉर्निंग देकर छोड़ दिया गया।

घटना से दोनों गुट आमने सामने

इस घटनाक्रम के कारण एनएसयूआई व एबीवीपी फिर से आमने सामने आ गए हैं। दोनों गुटों के बीच तलवारें खिंच गई हैं। एबीवीपी का कहना है कि यूनियन प्रेसीडेंट मनमानी कर रहे हैं। परमिशन के बाद भी प्रोग्राम को न होने देना इसका जीता जागता उदाहरण है। उन्होंने कहा कि कॉलेज में अगर सभी प्रोग्राम्स के होना न होना यूनियन तय करेगी, तो यूनियन के सभी पदाधिकारियों की सहमति के बाद ही कोई भी प्रोग्राम होना चाहिए वरना कोई प्रोग्राम ऑर्गनाइज नहीं होगा। दूसरी ओर एनएसयूआई की ओर से स्टूडेंट यूनियन प्रेसीडेंट महादेव रतूड़ी का कहना है कि यह पूरा कार्यक्रम बाहरी तत्वों द्वारा राजनीति की जा रही थी जिसके चलते इसका विरोध किया गया। यह समारोह पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित था। इसी के चलते प्रोग्राम का विरोध किया गया। फिलहाल दोनों पक्ष एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं, लेकिन इस घटना से कॉलेज प्रशासन पर यूनियन हावी होती दिखाई दी। पूरे मामले में कॉलेज केवल मध्यस्थता कराता दिखाई दिया। जबकि प्रोग्राम के लिए बाकायदा परमिशन दी गई थी। पुलिस ने भी ताला खुलवाने की जहमत नहीं उठाई। माहौल शांत होने के बाद भी एनएसयूआई प्रोग्राम की ड्यूरेशन तय करती दिखाई दी। बहरहाल इस पूरे मामले से दोनों गुटों में एक नए मुद्दे को जन्म दे दिया है।

हमारी कोशिश यही रहती है कि कॉलेज का माहौल न बिगड़े। आज भी माहौल को बनाए रखने का प्रयास किया गया।

- प्रो। वीए बौड़ाई, प्रिंसिपल,

एसजीआरआर पीजी कॉलेज।