देहरादून (ब्यूरो) दून के कचहरी परिसर में अंग्रजों के जमाने का एक ऐतिहासिक कुआं मौजूद है। लेकिन, उसकी तरफ शासन-प्रशासन या फिर अन्य सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं की नजरें भी इनायत नहीं हो पा रही हैं। इस वजह से ये विरासत गुमनामी के अंधेरों में कैद है। कहा जाता है कि इस कुएं को अंग्रेजी शासक एफजे शोरी ने 1823 में बनवाया था। यहां तक कि इस कुएं को 'शोरीज वैल' यानी शोरी का कुआं भी कहा जाता है।

लाहौरी ईंटों और लेप से बना है कुआं
कचहरी परिसर स्थित इस कुएं के चारों तरफ बड़ी-बड़ी दीवारों बनाई गई हैं, जिससे उसमें कूड़ा-कबाड़ा न गिरे। बताया जाता है कि कु एं की दीवारों को लाहौरी ईटों से बनाया गया है। इन ईटों को चिपकाने और मजबूती प्रदान करने के लिए उड़द की दाल तक के लेप का इस्तेमाल किया गया था।

कई किस्से-कहानियां प्रचलित
शासन प्रशासन के उदासीन रवैया सबके सामने जगजाहिर है। लेकिन, आसपास के लोग इसको लेकर कई किस्से और कहानियां बताते हैं। उनका कहना है कि कुआं में डाकू सुल्ताना ने सुरंग बनाई थी जो कि डोईवाला तक जाती है। इस कुएं के बीच से सुरंग का दरवाजा होने का भी दावा किया जाता है। इसकी गहराई का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि इसके अंदर पत्थर फेंके जाने पर उसके नीचे टकराने की आवाज काफी देर बाद सुनाई देती है। कहा जाता है कि आजादी के आंदोलन के दौरान अंग्रेज स्वतंत्रता सेनानियों को कुएं पर फांसी देते थे और शवों को इसमें फेंक देते थे। अब तो आसपास के कुछ लोग इसे भुतहा कुआं भी कहने लगे हैं।

कौन करेगा इसका जीर्णोद्वार
कुएं के आसपास झाडिय़ां मौजूद हैं। जबकि, पास में ही डीएम, एडीएम और पीडब्ल्यूडी जैसे ऑफिस हैं। कुल मिलाकर ये ऐतिहासिक कुआं अब खंडहर में तबदील हो चुका है। आसपास के लोगों को डर है कि कोई इसमें न गिर जाए। लोगों का ये भी कहना है कि कई बाद कुएं में मुर्गी और बतख गिरी। बचाने के फायर ब्रिगेड को बुलाया तो उन्होंने भी कुएं की गहराई देखकर हाथ खड़े कर दिए।

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:::क्या कहते हैं लोग::
यह पुरानी धरोहर है और इसे संजोने की जरूरत है। ये टूरिस्ट स्पॉट भी बन सकता है। अब तो इसमें लोगों के गिरने का डर बना हुआ है। लेकिन, इसके साफ-सफाई कोई नहीं करता है।
-विनोद कुमार।

सेफ्टी के लिए जाली तो लगाई गईं। लेकिन, अब वह खराब हो चुकी हैं। बच्चों के लिए अब ये खतरा बना हुआ है। स्थिति ये है कि ये कभी से गिर सकता है। सरकार किस पर ध्यान देना चाहिए और इसकी मरम्मत करानी चाहिए।
-मनोज कुमार

ये एक ऐतिहासिक स्थल है। इसका जीर्णोद्वार होना चाहिए। आसपास जो झाडिय़ां उग गई हैं और कूड़ा पड़ा हुआ है। इसकी साफ सफाई होनी चाहिए। बरसात के समय पर तो इसके गिरने का खतरा और बढ़ जाता है।
-अर्जुन

सरकार को इसका रख रखाव करना चाहिए। जिससे दून पहुंचने वाले पर्यटक इस बारे में जानकारी प्राप्त कर सकें और यह टूरिस्ट स्पॉट बन सकता है। लेकिन, शासन-प्रशासन की ओर से 23 वर्ष बाद भी ध्यान नहीं दिया गया है।
-करन