देहरादून ब्यूरो : नेशनल जियोग्राफिक प्रोजेक्ट के तहत डब्ल्यूआईआई (वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया) ने अरुणाचल से फ्रॉग (मेंढक) की 3 नई स्पेशीज खोज निकाली हैं। साइंटिस्ट का दावा है कि मेंढक की ये स्पेशीज देशभर में पहली बार पाई गई हैं। हालांकि, अब तक इनके प्रवास चाइना, म्यांमार व फिलिपींस में देखा गया है। लेकिन, इंडिया में ऐसी प्रजाति के मेंढक की पहली बार खोज हुई है। इसको लेकर डब्ल्यूआईआई की साइंटिस्ट ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर जानकारी भी शेयर की है।

2022-23 प्रोजेक्ट के तहत सर्वे


प्रोजेक्ट को हेड कर रहे साइंटिस्ट डा। अभिजीत दास के मुताबिक नेशनल जियोग्राफिक प्रोजेक्ट के तहत वर्ष 2022-23 में दून स्थित डब्ल्यूआईआई की टीम ने अरुणाचल प्रदेश के टाइगर लैंड स्केप का विजिट किया। जो, अरुणाचल का एक रिमोट एरिया है। बताया, अरुणाचल के टाइगर लैंडस्केप में स्थित कामलांग नामदफा बायोडाइवर्सिटी के लिए हॉटस्पॉट माना जाता है। डा। अभिजीत दास के मुताबिक देश के नॉर्दन इस्टर्न रीजन में स्थित इस लैंडस्केप में जंगल खत्म हो रहे हैं। ऐसे में यहां मौजूद वाइल्ड लाइफ को बचाना और वहां मौजूद बायोडाइवर्सिटी की पहचान करना प्रोजेक्ट का दूसरा उद्देश्य भी था। इसी क्रम में नेशनल जियोग्राफिक प्रोजेक्ट के तहत साइंटिस्ट ने इस मेंढक की स्पेशीज को ढंूढ़ निकाला।

संरक्षित होंगी ये प्रजातियां


डा। अभिजीत के मुताबिक इस लैंडस्केप में जिस प्रकार से जंगल खत्म हो रहे हैं, कहीं भविष्य में यहां बायोडाइवर्सिटी पर खत्म न हो जाए। इससे पहले यहां के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए साइंटिस्ट ने अपनी रिसर्च की। जिस प्रकार से मेंढक की ये तीन नई प्रजातियां साइंटिस्ट को मिली हैं। वह पहली बार इंडिया में देखी गई। जाहिर है कि मेंढक की इन प्रजातियों को भविष्य में बचाने में मदद मिल सकती है। इसी के तहत वर्ष 2022-23 में डब्ल्यूआईआई की साइंटिस्ट से इन पर सर्वे का काम पूरा किया और सफलता भी हाथ लगी। डा। दास के अनुसार साइंटिस्ट को जो तीन मेंढक की नई प्रजातियां मिली हैं, उनका साइंटिफिक डिस्क्रिप्शन भी किया है।

100 से ज्यादा एंफीबियंस ढूंढे


ये मेंढक कैसे रहते हैं, कहां प्रवास करते हैं और इनको बचाने के लिए क्या प्लान भविष्य में किए जा सकते हैं। इस पर भी मंथन चल रहा है। खोजे गए इन मेंढक की स्पेशीज के नामकरण भी उनके हैबिटेड के आधार पर किया गया है। मतलब, जिस इलाके में उनके प्रवास है। वहां के नाम के आधार पर मेंढक का नामकरण भी किया गया है। डा। दास के मुताबिक अरुणाचल के इस टाइगर लैंडस्केप में साइंटिस्ट ने करीब 100 से ज्यादा एंफीबियंस और रेप्टाइल्स स्पेशीज ढूंढ़ निकाले। लेकिन, इनमें 3 मेंढक की स्पेशीज नई मिलीं।

ये नई प्रजाति मिलीं मेंढक की

1-ग्रैसिक्सलस पेटकैएंसिस
-ये हरे रंग का मेंढक है, जो लगभग पारदर्शी के साथ जेली जैसा दिखता है। करीब 2.2 सेमी लंबाई का यह मेंढक सदाबहार जंगल के घने मैदान में पाया जाता है।

2- अल्कलस फॉन्टिनालिस
ये मेंढक भूरे रंग के साथ बौने आकार का है। इसका प्रवास तेज बहने वाली नदियों व झरनों में रहता है।

3- निदीराना नोडिहिंग
ये मेंढक घुटने तक गहरे दलदल में पाया जाता है। ये अपनी आवाज के लिए अलग होता है, जिसमें दो अलग-अलग प्रकार के नोट होते हैं। इसी से इसकी पहचान होती है

dehradun@inext.co.in