देहरादून (ब्यूरो)। दून-हरिद्वार रोड पर डोईवाला में स्थित है लच्छीवाला नेचर पार्क। नए कलेवर में तैयार यह पार्क पिछले कुछ वर्षों तक सिर्फ एक पिकनिक स्पॉट हुआ करता था। अब इसका कायाकल्प किया गया है और इसे नेचर पार्क का नाम दिया गया है। यहां तैयार म्यूजियम को धरोहर का नाम दिया गया है और यहां उत्तराखंड की धरोहर को संजोया गया है। म्यूजियम में 50 से 70 के दशक की कुछ मूवीज भी दिखाई जाती हैैं, जिनका उत्तराखंड के इतिहास से संबंध है।

नेचर पार्क में देखिये ये मूवीज
ईयर डॉक्यूमेंट्रीज
1968 नंदा देवी राज जात
1949 टिहरी मर्जर विद इंडिया
1966 रोड टू बदरीनाथ
1957 पीओपी ऑफ द आईएमए
1959 द दून स्कूल
1974 हरिद्वार कुंभ मेला।
1951 बागेश्वर मेला।
1959 तिब्बती गुरु दलाई लामा के मसूरी पहुंचने पर पीएम पं। नेहरू की मुलाकात।
1960 जीबी पंत एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के इनॉग्रेशन पर पं। नेहरू का आगमन।

धरोहर खुलते ही शुरू हो जाती है डॉक्यूमेंट्री
राज्य में फॉरेस्ट डिपार्टमेंट का यह ऐसा नेचर पार्क है, जहां पहली बार ट्रूरिस्ट को उत्तराखंड के इतिहास के बारे में रूबरू कराने के लिए इनिशिएटिव लिया गया है। लच्छीवाला नेचर पार्क के फॉरेस्टर चंडी उनियाल के अनुसार धरोहर म्यूजियम खुलते ही टूरिस्ट को ऑटोमैटिक मोड में उत्तराखंड से संबंधित इतिहास से जुड़ी फिल्मों को देखने का मौका मिल जाता है।

डिपार्टमेंट ने लिया है कॉपीराइट
फॉरेस्ट डिपार्टमेंट ने नेचर पार्क में पहुंचने वाले टूरिस्ट को उत्तराखंड के इतिहास के बारे में जानकारी देने के लिए बाकायदा केंद्र सरकार के फिल्म डिविजन विभाग मुंबई के ऑर्काइव से कॉपीराइट्स लिए हैं। दरअसल, दूरदर्शन की स्थापना से पहले फिल्म प्रभाग की ओर से न्यूज कवरेज हुआ करती थी। जिनको अवेयरनेस व जानकारी शेयर करने के लिए सिनेमाहॉल में इंटरवल व फिल्म के शुरू होने से पहले प्रदर्शित किया जाता था। फिल्म लच्छीवाला नेचर पार्क प्रशासन की ओर से उत्तराखंड के इतिहास से जुड़ी कुछ फिल्मों को फिल्म डिवीजन से खरीद कर प्रदर्शित किया जा रहा है।

परिधान, बर्तन व वाद्य यंत्र हैैं संजोये
परिधान
-चमोली की भोटिया पोशाक
-पिथौरागढ़-नेपाल से जुड़े परिधान
-चकराता की हिमाचल से टच करने वाली ड्रेस।
-धारी वाली टोपी।

बर्तन
-भट्ट
-कांसे की थाली
-तांबे व पीतल की परात
-ढिकची

वाद्य यंत्र
-ढोल
-दमाऊ
-ढंगौर
-रणसिंघा

यहां देखिये 100 वर्ष पुरानी खोली
म्यूजियम में मौजूद धरोहर में टिहरी से लाई गई करीब 100 वर्ष पुरानी ब्रिटिशकालीन खोली (घर का प्रवेश द्वार) सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र है। जिस पर अब तक ब्रिटिशकालीन चिन्ह भी मौजूद हैं। नेचर पार्क के फॉरेस्टर चंडी उनियाल कहते हैं कि पार्क में पानी की पर्याप्तता के चलते अब घराट (पनचक्की) को भी स्थापित किए जाने की तैयारी की जा रही है। जिससे उत्तराखंड पहुंचने वाले टूरिस्ट उत्तराखंड के हेरिटेज कल्चर से वाकिब हो सके।