देहरादून ब्यूरो।
इस भीषण अग्निकांड को सबसे दुखद पहलू यह है कि जिन चार बच्चों की मौत हुई, वे तीन सगी बहनों के थे। बताया जाता है कि त्यूनी में शिक्षा विभाग में बीईओ रहे सूरतराम जोशी का चार मंजिला मकान है। इस क्षेत्र के परंपरागत मकानों की तरह यह भी लकड़ी से बना मकान था। मकान की चौथी मंजिल में गांव जाकटा के त्रिलोक सिंह चौहान अपनी पत्नी पूनम और बेटी के साथ किराये पर थे। कुछ दिन पहले पूनम की दो बहने कुसुम और संजना भी बच्चों को पढ़ाने के लिए त्यूनी शिफ्ट हो गये और तीनों परिवार इसी मकान में रहने लगे। दो अन्य परिवार भी इस मकान में किरायेदार थे।

सिलेंडर से लगी थी आग
बताया जाता है कि थर्सडे शाम कुसुम गैस सिलेंडर बदल रही थी। इसी दौरान सिलेंडर में आग लग गई। आग तेजी से फैली। कुसुम बच्चों को बचाने लपकी तो एक बच्चा ही उसकी पहुंच में आ पाया। घर में उस समय दो अन्य पुरुष में बच्चों को बचाने के प्रयास के झुलस गये, लेकिन वे बच्चों तक नहीं पहुंच पाये। कुसुम एक बच्चा और दोनों पुरुष किसी तरह बाहर निकल आये, लेकिन चार बच्चियां फंसी रह गयी। चारों की मौत हो गई। आग में मरने वाली 6 वर्ष की आदिरा और 3 वर्ष की सेजल कुसुम की बेटियां थी। 10 वर्षीय गुंजन पूनम की और 10 वर्षीय रिद्धि संजना की बेटी थी।

डीएम-एसएसपी पहुंचे त्यूनी
आग लगने से चार बच्चियों की मौत की खबर सुनते ही एसएसपी दिलीप कुंवर देर रात मौके पर पहुंचे। पूरी रात वे रेस्क्यू अभियान का संचालन करते रहे। दोपहर को उन्होंने एक वीडियो के जरिये दो बच्चों की डेडबॉडी मिलने की सूचना दी। फ्राइडे दोपहर डीएम सोनिका भी मौके पर पहुंची। उन्होंने घटनास्थल का निरीक्षण करने के साथ ही त्यूनी के सरकारी हॉस्पिटल भर्ती घायलों का हाल-चाल जाना। डीएम ने कहा कि हॉस्टिपल को लेकर शिकायतें मिली हैं। यह भी शिकायत है कि डॉक्टर बाहर की दवाइयां लिखते हैं। उन्होंने कहा कि इस बारे में जरूरी निर्देश दिये गये हैं।

6 कर्मचारी सस्पेंड
जिला प्रशासन इस घटना के बाद लापरवाही बरतने के आरोप में क्षेत्र के नायब तहसीलदार, त्यूनी के फायर स्टेशन के इंचार्ज और फायर स्टेशन के चार कर्मचारियों को सस्पेंड करने के आदेश दिये। बताया जाता है कि घटनास्थल ने आधा किमी दूर से फायर ब्रिगेड की गाड़ी आधा घंटे बाद मौके पर पहुंची। गाड़ी का पानी भी सिर्फ 10 मिनट में ही खत्म हो गया। बाद में हिमाचल प्रदेश से फायर ब्रिगेड की गाडिय़ां मंगवानी पड़ी। घटना के बाद नायब तहसीलदार ने भी अपने स्तर पर कोई प्रयास नहीं किया।

डीआईजी को जांच का जिम्मा
पुलिस मुख्यालय ने इस घटना की जांच की जिम्मेदारी डीआईजी फायर नवेदिता कुकरेती को दी है। उन्हें तीन दिन में रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है। राज्य सरकार ने मृतक बच्चों के परिजनों को दो-दो लाख रुपये मुआवजा देने के साथ घायलों का मुफ्त इलाज करने की घोषणा की है।