World cup जीत कर रचा इतिहास

अंडर-19 क्रिकेट वल्र्ड कप में विजेता भारतीय टीम का कप्तान उन्मुक्त चंद उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जनपद का मूल निवासी है। पहाड़ की कठोर चट्टानों में बनी पगडंडी से गुजरकर क्रिकेट ग्राउंड में पहुंचे उन्मुक्त आज एक सफल क्रिकेटर हैं। उन्हें अंडर-19 वल्र्ड कप में बतौर भारतीय कप्तान जिम्मेदारी दी गई थी। उनकी नेतृत्व में भारत ने ट्रॉफी फतह कर इतिहास रच दिया था। उन्मुक्त का जीत का सिलसिला यहीं नहीं रुका। वल्र्ड कप जीतने के बाद अंडर-19 इंडिया टीम ने एसीए कप भी जीत लिया। टीम इंडिया की लगातार जीत के बाद उन्मुक्त चंद हीरो बन गए। साथ में बाजार के लिए टॉप ब्रांड भी।

अकेले हैं players

सबसे पहले पेप्सी ने उनके साथ लाखों रुपयों का अनुबंध किया। वह भारतीय टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के साथ पेप्सी के विज्ञापन में आजकल दिख रहे हैं। वहीं उन्होंने ब्रिटानिया कंपनी के साथ भी एक अनुबंध किया है। सूत्रों के अनुसार, उनके पास इस समय उत्पादक कंपनियों के ढेरों विज्ञापन ऑफर हैं। अंडर-19 टीम के उन्मुक्त चंद अकेले ऐसे खिलाड़ी है जो इस उम्र में कई विज्ञापनों में एक साथ काम कर रहे हैं।

टी-20 नेशनल टीम में स्नेह का सलेक्शन

लडक़े ही नहीं अब तो उत्तराखंड की लड़कियां भी खेलों के मैदान में दम ठोक रही हैं। स्नेह राणा का चयन मुंबई में 12 मार्च से आयोजित होने जा रहा सीनियर नेशनल ट्वंटी-20 क्रिकेट टूर्नामेंट लिए हुआ है। स्नेह फिलहाल पंजाब की तरफ से खेल रही हैं। कुछ साल पहले स्नेह दून में लिटिल मास्टर क्रिकेट क्लब से प्रशिक्षण लिया करती थीं। राज्य में क्रिकेट एसोसिएशन न होने के कारण स्नेह को पंजाब की तरफ खेलना पड़ा।

मुंबई पहुंच गई हैं स्नेह

पंजाब टीम में बेहतर ऑल राउंडर प्रदर्शन के चलते स्नेह का चयन ऑल इंडिया ट्वंटी-20 क्रिकेट टूर्नामेंट में हो गया। नॉर्थ जोन में पंजाब की की टीम ने हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल व जम्मू कश्मीर की टीमों को हराया था। फोन पर हुई बातचीत में स्नेह ने बताया कि मुंबई पहुंच गई है। कुछ दिन नेट प्रेक्टिस की जाएगी। उन्होंने बताया कि उन्हें दुख है कि उत्तराखंड में आपसी खींचतान से अभी तक एसोसिएशन नहीं बन सकी है। जिसके चलते प्रतिभावान खिलाडिय़ों को अन्य राज्यों की तरफ पलायन करना पड़ रहा है।

खुशी के  साथ झलक उठा दर्द

स्नेह राणा से फोन पर बातचीत हुई तो खुशी के साथ दर्द भी साफ झलका। वह बताती है कि मेरे साथ ही मेरे कोच, परिवार और राज्य वासियों को मेरी प्रतिभा पर खुशी है। लेकिन अगर उत्तराखंड में क्रिकेट संघ होता तो मुझे पंजाब नहीं जाना पड़ता। मंै आज उत्तराखंड के लिए खेल रही होती। असल में, उत्तराखंड के गठन के बाद से ही राज्य में क्रिकेट एसोसिएशन की जंग शुरू हो गई थी। इस समय स्टेट में आधा दर्जन कथित क्रिकेट एसोसिएशन को अपना दावा है। जिसमें प्रमुख रूप से उत्तरांचल क्रिकेट एसोसिएशन, क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड, यूनाइटेड क्रिकेट एसोसिएशन और सीएयू है।

नहीं हो सकी एका

सभी के अपने दावे हैं और सभी के सिर पर मजबूत राजनैतिक हाथ भी हैं। हालांकि क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तरांचल (सीएयू) साठ के दशक से कार्य कर रही है। उत्तराखंड के साथ राज्य बनने वाले झारखंड और छत्तीसगढ़ को तो बीसीसीआई मान्यता दे चुकी है। हर साल सितंबर माह में मुंबई में बीसीसीआई की एजीएम होती है। पिछले वर्ष भी उत्तराखंड से उत्तरांचल क्रिकेट एसोसिएशन, सीएयू और यूसीए को एजीएम में आंमत्रित किया गया था। बीसीसीआई के ऑफिसर्स ने वहां पर दो टूक कह दिया था कि बिना एका के मान्यता नहीं दी जाएगी। लेकिन, बावजूद इसके एका नहीं हो सकी है।

स्टेट की तरफ से न खेलने का गम

उनमुक्त चंद और स्नेह राणा की सफलता पर हर कोई खुश है। लेकिन दोनों के अंदर एक टीस भी है। उन्मुक्त इंटरनेशनल तो स्नेह नेशनल प्लेयर हैं, लेकिन जिन मैदान में बचपन में पसीना बहाया। उस राज्य के लिए वह नहीं खेलते। कारण बस एक ही है। उत्तराखंड में खेल एसोसिएशन का गठन न होना.  खेल एसोसिएशनंस में ‘जिद’ और ‘अहम’ इतना हावी है कि वह पिछले एक दशक से ज्यादा का कालखंड बीत के बावजूद कथित संघों में एका न हो सकी। वह अपने प्लेयर का भला भूल चुके हैं। प्रतिष्ठा और सम्मान की लड़ाई ने प्लेयर्स को पलायन के लिए मजबूर कर दिया है। अगर यह एसोसिएशनंस एक हो चुकी होती तो भारतीय टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी, अंडर-19 टीम के कप्तान उन्मुक्त चंद और भारतीय महिला टीम की सदस्य एकता, स्नेह और न जाने की कितनी प्रतिभा उत्तराखंड से खेल रहे होते।