देहरादून (ब्यूरो): उत्तराखंड विधानसभा ने वेडनसडे को इतिहास रच दिया। दो दिनों में करीब 10 घंटे लंबी चली चर्चा के बाद समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक ध्वनिमत से पारित हुआ। इसके साथ ही देश में उत्तराखंड पहला ऐसा राज्य बन गया है। जिसने संविधान निर्माताओं के समान नागरिक संहिता के लिए देखे सपने को धरातल पर उतारने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। विधेयक में सभी धर्म-समुदायों की महिलाओं को विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता, संपत्ति में समान अधिकार देते हुए सशक्त बनाया गया है। वहीं, बहुविवाह और बाल विवाह पर भी रोक लगाई गई है। अब ये विधेयक राज्यपाल के बाद राष्ट्रपति के अनुमोदन मिलने के बाद कानून बन जाएगा। सीएम पुष्कर ङ्क्षसह धामी ने विधेयक पर चर्चा के दौरान कहा कि इस विधेयक में समान नागरिक संहिता के तहत जाति, धर्म, क्षेत्र व ङ्क्षलग के आधार पर भेद करने वाले व्यक्तिगत नागरिक मामलों से संबंधित सभी कानूनों में एकरूपता लाने का प्रयास किया गया है। इससे पहले विपक्षी दलों कांग्रेस और बसपा की ओर से विधेयक को प्रवर समिति को सौंपने का प्रस्ताव सदन में ध्वनि मत से गिर गया। चर्चा के दौरान सत्तापक्ष बीजेपी ने प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस को निशाने पर लिया।

किसी के विरूद्ध नहीं कानून

ट्यूजडे को विधानसभा में समान नागरिक संहिता, उत्तराखंड-2024 विधेयक सदन में पेश किया गया। वेडनसडे को तीसरे दिन भी विधेयक पर करीब साढ़े पांच घंटे तक चर्चा हुई। दो दिनों से जारी चर्चा में प्रतिभाग करते हुए सीएम पुष्कर ङ्क्षसह धामी ने कहा कि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता की पहल के कारण तीसरे दशक को महिला सशक्तीकरण के दशक के रूप में याद रखा जाएगा। पीएम नरेन्द्र मोदी के एक भारत, श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना ने इस समानता के कानून को लागू करने की प्रेरणा दी। सीएम ने ये भी स्पष्ट किया कि समान नागरिकता संहिता के रूप में बन रहा कानून किसी के विरुद्ध नहीं है। सीएम ने कहा कि समान नागरिक संहिता का विधेयक पीएम के देश को विकसित, संगठित, समरस और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने के लिए किए जा रहे महान यज्ञ में हमारे प्रदेश से अर्पित की गई एक आहुति मात्र है।


विपक्ष ने जल्दबाजी में लाया विधेयक करार दिया

विधेयक में चर्चा के दौरान कांग्रेस विधायकों ने समान नागरिक संहिता का विरोध नहीं किया। लेकिन, इसे जल्दबाजी में लाया गया विधेयक करार दिया। उन्होंने इसमें शामिल ङ्क्षबदुओं को संविधान का उल्लंघन बताते हुए इसमें व्यापक अध्ययन व बड़े स्तर पर चर्चा किए जाने की जरूरत बताया।


आतिशबाजी के साथ खुशी का इजहार

विधानसभा में यूसीसी बिल पारित होने के बाद उत्तराखंड विधानसभा के गेट पर सीएम पुष्कर सिंह धामी का पुष्पवर्षा के साथ स्वागत किया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में लोगों ने आतिशबाजी कर खुशी का इजहार भी किया। बाद में सीएम प्रदेश बीजेपी मुख्यालय पहुंचे, जहां उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। जहां पर सीएम ने सभी का आभार जताया।

यूसीसी के मुख्य प्रावधान

-विवाह का रजिस्ट्रेशन जरूरी।
-रजिस्ट्रेशन होने पर सरकारी सुविधाओं से होना पड़ सकता है वंचित।
-पति-पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी पर प्रतिबंध।
-सभी धर्मों में विवाह की न्यूनतम उम्र लड़कों के लिए 21 वर्ष व लड़कियों के लिए 18 वर्ष निर्धारित।
-पति-पत्नी के तलाक या घरेलू झगड़े के समय 5 वर्ष तक का बच्चा मां के पास रहेगा।
-सभी धर्मों में पति और पत्नी को तलाक लेने का समान अधिकार।
-मुस्लिम समुदाय में प्रचलित हलाला और इद्दत की प्रथा पर रोक।
-संपत्ति में अधिकार के लिए जायज व नाजायज बच्चों में कोई भेद नहीं।
-नाजायज बच्चों को भी उस दंपति की जैविक संतान माना गया।
-व्यक्ति की मौत के बाद उसकी संपत्ति में उसकी पत्नी व बच्चों को समान अधिकार।
-उसके माता-पिता का भी उसकी संपत्ति में समान अधिकार होगा। -किसी महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे के संपत्ति में अधिकार को संरक्षित किया गया।
-लिव-इन रिलेशनशिप के लिए रजिस्ट्रेशन जरूरी।
-रजिस्ट्रेशन कराने वाले युगल की सूचना रजिस्ट्रार को उनके माता-पिता या पैरेंट्स को देनी होगी।
-लिव-इन के दौरान पैच हुए बच्चों को उस युगल का जायज बच्चा माना जाएगा।
-जनजाति समूहों को समान नागरिक संहिता के दायरे से किया बाहर.ऐसे हुआ डेवलपमेंट
-सरकार गठन के बाद पहली कैबिनेट में लिया गया था यूसीसी लागू करने का फैसला।
-इसके बाद विशेषज्ञ कमेटी का किया गया गठन।
- 27 मई 2022 को हाईकोर्ट की रिटायर्ड जज रंजना प्रकाश देसाई के नेतृत्व में हुआ कमेटी का गठन।
-इस कमेटी में 5 सदस्य किए गए थे शामिल।
-कमेटी ने 740 पृष्ठों की 4 वॉल्यूम में डिटेल ड्रॉफ्ट किया था तैयार।
-कमेटी ने दो उप समितियों का भी किया था गठन।
-इसमें से एक उपसमिति का कार्य संहिता का प्रारूप तैयार करने का था।
-दूसरी उपसमिति का कार्य प्रदेश के निवासियों से सुझाव आमंत्रित कर संवाद स्थापित करना था।
-कमेटी ने देश के प्रथम गांव माणा से जनसंवाद किया शुरू।
-सभी वर्ग के लोगों से प्राप्त किए सुझाव।
-कुल 43 जनसंवाद कार्यक्रम किए गए।
-सभी लोगों से एसएमएस व व्हाट्सएप मैसेज से सुझाव आमंत्रित किये गए।
-कुल मिलाकर तमाम माध्यमों से 2.33 लाख सुझाव प्राप्त हुए।
-10 हजार लोगों से संवाद व लगभग 2 लाख 33 हजार सुझावों के अध्ययन को कमेटी ने 72 बैठकें।

ये थे मेंबर्स

-सिक्किम हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश प्रमोद कोहली
-उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह
-दून यूनिवर्सिटी की कुलपति प्रो। सुरेखा डंगवाल
-समाजसेवी मनु गौड़

dehradun@inext.co.in