झारखंड के ठग, प.बंगाल में ठिकाना, दिल्ली-लखनऊ से धोखा

-पेटीएम की केवाईसी अपडेट का धोखा देकर युवती से ठगे थे 4.45 लाख

-दो साइबर ठगों से 47 सिमकार्ड मिले फर्जी पेटीएम वालेट की चल रही जांच

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देहरादून

सहस्त्रधारा रोड की रहने वाली एक युवती से 4.45 लाख रूपए की ऑन लाइन ठगी के मामले में दून पुलिस ने करीब दस दिन तक चार राज्यों की खाक छानकर दो साइबर ठगों को ढूंढ निकाला। दोनों झारखंड के रहने वाले हैं और पं। बंगाल में ठिकाना बनाकर दिल्ली व लखनऊ की आईडी के बनाए गए पेटीएम वॉलेट के जरिए साइबर ठगी कर रहे थे। पुलिस ने चारों राज्यों में एक साथ मोबाइल नंबर ,पेटीएम वॉलेट और बैंक अकाउंटस में यूज की गई आर्डडी के साथ ही मोबाइल नंबर्स की लोकेशन को आधार बनाकर कड़ी से कड़ी जोड़कर ठगों को दबोचा। उनके कब्जे से ठगी के 53 हजार से अधिक रुपए बरामद भी कर लिए हैं।

पुलिस कप्तान अरूण मोहन जोशी ने बताया कि 19 फ रवरी 2020 को सहस्त्रधारा रोड पर , मकान नं.2, तिरूपति एन्क्लेव, शक्तिविहार की रहने वाली टीना ने थाना रायपुर पहुंच कर तहरीर दी थी कि एक कॉलर ने खुद को पेटीएम कम्पनी का नुमाइन्दा बताते हुए केवाईसी अपडेट के लिए साफ्टवेयर इंस्टाल करने के लिए कॉल किया। वह कॉलर की बातों में आ गई और बैंक अकाउंट व डेबिट कार्ड की जानकारी दे दी। जिससे उसने 4.45 लाख रूपये निकाल लिए। पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर बताए गए मोबाइल नंबरों की सर्विलांस स्टार्ट कराई तो लास्ट लोकेशन झारखंड के जमतारा जिले में होनी ज्ञात हुई। परन्तु उनकी आईडी जनपद 24 परगना पश्चिमी बंगाल की पायी गयी।

फ र्जी पेटीएम वॉलेट से ठगा था:

दौरान सर्विलांस टीम को अभियुक्तों द्वारा इस्तेमाल किये जा रहे कुछ फर्जी पेटीएम वॉलेट की जानकारी प्राप्त हुई जिनकी आईडी का लखनऊ तथा दिल्ली की होना ज्ञात हुआ। जिस पर गठित पुलिस टीम को तत्काल अलग-अलग झारखंड प.बंगाल, दिल्ली तथा लखनऊ के लिये रवाना किया गया तथा सर्विलांस के माध्यम से उक्त नंबरों पर लगातार सतर्क दृष्टि रखी गयी। उक्त अलग-अलग टीमों द्वारा सभी सम्भावित स्थानों पर स्थानीय पुलिस से समन्वय स्थापित करते हुए इस प्रकार के अपराधों में लिप्त पूर्व अपराधियों के सम्बंध में जानकारी एकत्रित की गयी तथा उक्त सिमों की आईडी से प्राप्त पतों पर दबिश देकर तस्दीक किया गया।

ज्यादातर पते फ र्जी पाये गये:

इसी बीच सर्विलांस टीम को उक्त अभियुक्तों द्वारा इस्तेमाल किये जा रहे एक नये नम्बर की जानकारी प्राप्त हुई। जो शरीद पुत्र चिराउद्दीन निवासी ग्राम बदिया थाना करौं जनपद देवघर झारखंड के नाम पर रजिस्टर्ड होना ज्ञात हुआ। जिस पर झारखंड रवाना हुई पुलिस टीम द्वारा तुरन्त देवघर पहुंचकर उक्त पते के सम्बन्ध में गोपनीय रूप से जानकारी प्राप्त की गयी तथा उक्त व्यक्ति की जानकारी हेतु स्थानीय मुखबिरों को सक्रिय किया गया। इसी बीच पुलिस टीम को स्थानीय मुखबिर के माध्यम से जानकारी प्राप्त हुई कि शरीद नाम का उक्त व्यक्ति अपने दो अन्य साथियों के साथ बदिया में ही मौजूद है तथा कहीं जाने की फि राक में है। जिस पर पुलिस टीम द्वारा मुखबिर की निशानदेही पर शरीद को उसके दो अन्य साथियों तनवीर आलम तथा नबुवत अन्सारी के साथ बदिया से गिरफ्तार किया गया। जिनके कब्जे से ठगी में इस्तेमाल किये गये मोबाइल फ ोन, सिमकार्ड तथा नकदी बरामद हुई। अभियुक्तों को न्यायालय देवघर के समक्ष पेश कर अभियुक्त को ट्रांजिट रिमांड पर देहरादून लाया गया।

गिरफ्तार अभियुक्तों को पता:

1. शरीद अन्सारी पुत्र सिराउद्दीन निवासी ग्राम बदिया थाना करौं, जनपद देवघर, झारखंड, उम्र 28 वर्ष।

2. तनवीर आलम पुत्र इतरूद्दीनए निवासी उपरोक्त, उम्र 19 वर्ष।

3. नबुवत अंसारी पुत्र स्व। इस्माइल निवासी उपरोक्त उम्र 25 वर्ष।

2 खाते से ठगी, 85 से विड्राल

गैंग के सरगना शरीद अंसारी द्वारा बताया कि देहरादून से की गई उक्त ठगी में 4 लाख 45 हजार रूपये की धनराशि को अपने फ र्जी वालेट में ट्रांसफ र कर उसे पूर्व में बनाये गये 85 अन्य पेटीएम वालेटों में छोटे-छोटे अमाउंट के रूप में ट्रांसफ र किया गया। अंसारी पूर्व में पश्चिम बंगाल के आसनसोल जिले के होटल रॉयल में कार्य करता था। मेरे गांव बदिया व आस-पास के इलाके बस्कुपी तथा मदनकट्टा के अधिकतर लोग आनलाइन ठगी के मामलों में संलिप्त हैं। जिनके रहन-सहन को देखकर मैने भी आनलाइन ठगी के माध्यम से लोगों के साथ ठगी करने की साजिश रची। चूंकि मैं ज्यादा पढा-लिखा नहीं था। इसलिये मैनें अपने पड़ोस में रहने वाले अपने दो साथियों नबुवत अंसारी व तनवीर आलम को अपनी इस योजना के बारे में बताते हुए उन्हें अपने साथ शामिल कर लिया। नबुवत अन्सारी 12 वीं तक पढा़-लिखा है तथा उसके पास एडवांस कम्प्यूटर कोर्स का डिप्लोमा भी है एवं तनवीर आलम पूर्व में कोलकता के होटलों में कार्य करता था तथा पिछले कुछ समय से बेरोजगार था। सिम पश्चिम बंगाल के 24 परगना मुर्शिदाबाद से उपलब्ध हो जाते थे। वहां से लाये गये सिमों में से कुछ को हम इस्तेमाल कर लेते थे। तथा कुछ को गांव के ही अन्य लोगों को ऊंचे दामों में बेच देते थे। हमारे द्वारा अब तक कई लोगों को अपनी ठगी का शिकार बनाया गया है। हम लोगों को कॉल करके पेटीएम की केवाईसी करवाने या अन्य चीजों का प्रलोभन देकर उनसे पूर्व में ही हमारे द्वारा बनाये गये फर्जी पेटीएम वालेट में उसके एवज में 1 रूपये ट्रांसफ र करवाकर इस दौरान उनके मोबाइल में प्राप्त ओटीपी की जानकारी प्राप्त कर लेते थे। ओटीपी प्राप्त होते ही हम उनके खातो से समस्त धनराशी को अपने फ र्जी वालेट में स्थानान्तरित कर उसे तत्कल हमारे द्वारा बनाये गये अन्य अलग-अलग पेटीएम वालेटों में ट्रांसफ र कर लेते हैं। पूर्व में बनाये गये फ र्जी वालेट में हम किसी प्रकार की धनराशि नहीं छोडते हैं। क्योंकि शिकायतकर्ता द्वारा शिकायत करने पर पुलिस द्वारा सर्वप्रथम उक्त वालेट को फ ्रीज कर दिया जाता है। अलग-अलग पेटीएम वालेट में ट्रांसफ र की गयी धनराशि को हमारे द्वारा बैंकों पोस्ट आफि स के खातों में डालकर उसकी निकासी की जाती है। हमारे द्वारा ऐसे व्यक्तियों के बैंक खातों में धनराशि डाली जाती है जो बेहद गरीब या उम्रदराज हों तथा आसानी से पैसों के लालच में हमारी बातों में विश्वास कर लें। ऐसे व्यक्तियों को हम उनके खातों में आये पैसों का 10 से 15 प्रतिशत हिस्सा देते हैं। धोखाधडी से प्राप्त रकम छोटी-छोटी मात्रा में अलग-अलग बैंक खातों में डलवाया जाता है, क्योंकि एक साथ बड़ी धनराशि को किसी के खाते में डलवाने पर हमें उक्त खाता धारक को धनराशि का 30 से 40 प्रतिशत तक हिस्सा देना पडता है। अभियुक्तों द्वारा बनाये गये अन्य पेटीएम वालेटों व उनसे हुए ट्रान्जेक्शनों के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त की जा रही है।

बरामदगी

1 मोबाइल फ ोन

27 सिमकार्ड यूज्ड

20 नये सिमकार्ड

53,050 कैश