देहरादून ब्यूरो।
पिछले तीन दिनों में ही राज्य में 7 ऐसे बड़े रोड एक्सीडेेंट हुए हैं। इनमें 35 लोगों की डेथ हुई है। 5 जून को डाम्टा में हुई बस दुर्घटना में 26 लोगों की मौत हुई थी। इसी दिन अल्मोड़ा जिले में भी एक रोड एक्सीडेंट में 1 व्यक्ति की मौत हुई और 4 घायल हुए। 6 जून को भी रोड एक्सीडेंट का सिलसिला जारी रहा। चम्पावत जिले में एक मैक्स खाई में गिरने से 3 लोगों की डेथ हुई और 6 घायल हुए। इसी दिन मसूरी के निकट हाथीपांव में एक कार खाई में गिरने से एक टूरिस्ट की डेथ हुई और एक घायल हुआ।

ट््यूजडे को तीन एक्सीडेंट
ट्यूजडे को राज्य में 3 रोड एक्सीडेंट हुए। पिथौरागढ़ जिले में कार एक्सीडेज में 2 लोगों की डेथ हुई और 5 घायल हुए। बदरीनाथ रोड पर देवप्रयाग के पास ट्रक खाई में गिरने के ड्राइवर की डेथ हो गई और 2 अन्य लोग घायल हो गये। पिथौरागड़ में भी एक पिकअप वाहन एक्सीडेंट में 4 लोग घायल हुए।

8 घंटे में एक डेथ
उत्तराखंड में पिछले 5 वर्षों में हुए करीब 700 रोड एक्सीडेंट में 4,700 लोगों की डेथ हुई है। यानी हर वर्ष एवरेज 1 हजार लोगों की डेथ रोड एक्सीडेंट में हुई है। इस हिसाब से देखें तो राज्य में हर 8 घंटे में एक व्यक्ति की डेथ रोड एक्सीडेंट में हुई है। इस वर्ष पहले 4 महीनों में यानी जनवरी से अप्रैल तक राज्य में 482 रोड एक्सीडेंट हुए। इनमें 302 लोगों की डेथ हुई और 500 से ज्यादा घायल हुए। मई के महीने में राज्य में तीर्थयात्रियों के पहुुंचने के बाद से रोड एक्सीडेंट की संख्या तेजी से बढ़ी है।

फस्र्ट रिस्पॉन्डर ट्रेनिंग की जरूरत
ट्यूजडे को राज्य के परिवहन मंत्री चंदन रामदास ने भी बढ़ते रोड एक्सीडेंट पर चिन्ता जताई। परिवहन विभाग के अधिकारियों के साथ की गई एक बैठक में उन्होंने कहा कि किसी भी एक्सीडेंट में मदद करने के लिए सबसे पहले स्थानीय लोग मौके पर पहुंचते हैं, इसलिए स्थानीय लोगों को फस्र्ट रिस्पोंडर ट्रेनिंग देने की जरूरत है। उन्होंने सभी ब्लैक स्पॉट और सेंसटिव जगहों पर क्रैश बैरियर लगाने के साथ ही ओवर स्पीड और ड्रंक एंड ड्राइव जैसे मामलों में कडृी कार्रवाई करने की जरूरत बताई। उन्होंने अधिकारियों का यह भी निर्देश दिये कि वे नियमित रूप से यह भी जांच करें कि ड्राइवर बीमार अथवा थका हुआ तो नहीं है।