- ब्लड डोनेशन के लिए शरीर में होना चाहिए 12.5 ग्राम से उपर हीमोग्लोबिन की मात्रा

- निगेटिव ब्लड की ब्लड बैंकों में किल्लत से होती है ज्यादा परेशानी

- शारीरिक कमी से महिलाएं ब्लड डोनेट करने में रह जाती है पीछे

DEHRADUN आज व‌र्ल्ड ब्लड डोनर डे है। यानी उन महान डोनरों का दिन जिन्होंने अपनी एक छोटी सी पहल से कई लोगों को नई जिंदगी दी है। ऐसे महान लोगों को आई नेक्स्ट 'व‌र्ल्ड ब्लड डोनर डे' के मौके उनके हौसलों को सलाम करता है। दून के प्राइवेट व सरकारी सभी ब्लड बैंक इन्हीं साहसी ब्लड डोनरों के साहस से भरे हैं। तो वक्त पड़ने पर मरीजों की जिंदगी बचाने में वरदान साबित होते हैं।

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केस क् -

तीन दिन में मिला ब्लड

शहर के प्रेमनगर निवासी सचिन भाटिया बताते है कि फरवरी में उनकी बहन की डिलीवरी के समय ओ-निगेटिव ब्लड की जरूरत पड़ी थी, लेकिन शहर के किसी भी ब्लड बैंक में संपर्क करने पर इस ग्रुप का ब्लड नहीं मिल पाया। इसके बाद उन्होंने दिल्ली व अन्य बड़े शहरों की पैथोलॉजी लैब में संपर्क किया। वहां की स्थित भी निराशाजनक रहीे। इसके बाद उन्होंने रिश्तेदारों और दोस्तों से कांटेक्ट किया तो उनके एक मित्र अक्षय कोरिया का ब्लड उनकी बहन के ब्लड से मैच हुआ, लेकिन चेकिंग प्रक्रिया के लंबी होने से ब्लड चढ़ाने में देर हो रही थी। तभी उनके पास आईएमए ब्लड बैंक से फोन आया और एक यूनिट ब्लड होने की सूचना मिली, जिससे उनकी बहन की जान अंतिम समय बच सकी। सचिन बताते हैं कि बहन के ब्लड के लिए उन्होंने तीन दिन तक दिन-रात एक कर दी थी।

राधेश्याम ने कैंप लगाकर जुटाया ब्लड

सिविल डिफेंस में नौकरी करने वाले राधेश्याम वैसे तो डायबिटीज के मरीज है। लेकिन उन्होंने कैंप लगाकर अन्य लोगों को ब्लड डोनेट के लिए प्रेरित किया। इसके लिए उन्होंने जाखन में पांच कैंप लगाए, जिसमें उन्होंने क्भ्0 यूनिट से ज्यादा ब्लड एकत्रित किया और आईएमए, दून हॉस्पिटल और श्री महंत इन्दिरेश हॉस्पिटल की लैब में दे दिया।

शहर में हैं 8 ब्लड बैंक

दून में कुल ब्लड बैंकों की संख्या 8 है, जिसमें दून हॉस्पिटल, मिल्ट्री हॉस्पिटल, श्री महंत इन्दरेश हॉस्पिटल, आईएमए, ओएनजीसी, हिमालयन और मैक्स हैं। जो रक्त दान शिविर लगाकर ब्लड एकत्रित कर रखते हैं।

फ्भ् दिन बाद घटने लगती है गुणवत्ता

ब्लड बैंकों में जमा किए जाने वाले ब्लड में वह ब्लड सबसे बेस्ट रहता है, जिसको शरीर से निकालने का समय फ्भ् दिन से ज्यादा न हुए हों। क्योंकि फ्भ् दिन के बाद ब्लड की सेल्स घटनी शुरू हो जाती है। जो उतनी लाभदायक नहीं रहती, जितनी फ्भ् दिनों के भीतर रहती है।

ब्लड का होता है आरएस टेस्ट

मनुष्य के शरीर से ब्लड लेने के बाद उसका आरएस टेस्ट किया जाता है, जिसके बाद डॉक्टर्स उसे दूसरों के शरीर के लिए पास करते हैं। वहीं ग्रुपों के लिए ब्लड बैंक में रखा जाता है। इसमें ए, बी, एबी, ओ व आरएस निगेटिव गु्रप होते हैं।

वजन में 7 परेसेंट होता है ब्लड

मनुष्य के शरीर में उसके वजन का 7 प्रतिशत पार्ट उसके ब्लड का होता है। वहीं कभी भी बनाया नहीं जा सकता। बल्कि यह दूसरे के शरीर से ही लिया जा सकता है। प्रतिवर्ष फ्0 मिलियन ब्लड टांसर्फर होता है।

कैंप में एकत्रित किया जाता है ब्लड

शहर के सभी ब्लड बैंक विभिन्न स्थानों पर कैंप लगाते है, जिसके जरिए उन्हें डोनर का ब्लड मिल पाता है। इसके बाद वे लैब में टेस्ट कर विभिन्न हिस्सों में रखते है। ताकि मरीज को वे तुरंत जरूरत के हिसाब से ब्लड मुहैया करा सके।

ये नही कर सकते ब्लड डोनेट

डॉक्टर्स बताते है कि ब्लड डोनेट करने के लिए शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा क्ख्.भ् ग्राम से कम नहीं रहनी चाहिए। ब्लड डोनर का वजन भी ब्भ् किलो से ऊपर हो। वहीं वह ही ब्लड डोनेट कर सकता है जिसकी उम्र क्8 से म्0 वर्ष हो।

महिलाएं रह जाती है पीछे

ब्लड डोनेट करने में महिलाओं की संख्या पुरूषों के मुकाबले कम होती है। इसका मुख्य कारण उनकी शारीरिक कमी है, जिस कारण उनका हीमोग्लोबिन क्ख्.भ् ग्राम से कम पाया जाता है। इस कारण जांच के बाद डॉक्टर्स भी उन्हें ब्लड डोनेट करने से मना कर देते हैं।

निगेटिव ब्लड की रहती है किल्लत

आईएमए ब्लड बैंक के इंचार्ज ने बताया कि वैसे तो सभी निगेटिव ब्लड की किल्लत रहती है। लेकिन ओ-निगेटिव ब्लड बहुत कम मिल पाता है। क्योंकि ओ-निगेटिव गु्रप वाले लोग बहुत कम होते हैं।

सभी को चढ़ा सकते हैं ओ-निगेटिव

वैसे तो ओ-निगेटिव ब्लड की किल्लत रहती है, लेकिन सभी ग्रुपों में यह ही एक ऐसा गु्रप है जो सभी को चढ़ाया जा सकता है। अन्यथा बाकी ब्लड ग्रुप मैच कर ही चढ़ाया जा सकता है।

इतने महीने बाद ही करे ब्लड डोनेट

डॉक्टर्स बताते है कि पुरुषों को फ् महीने व महिलाओं को म् महीने के बाद ही ब्लड डोनेट कराना चाहिए। ताकि उनके भीतर कमजोरी न पैदा हो। इसका मुख्य कारण यह हे कि ब्लड निकलने के बाद पुरुषों में फ् व महिलाओं में म् महीने बाद ही खून अपने सामान्य स्तर पर आता है।

'दून हॉस्पिटल में प्रतिदिन क्भ्0 से ख्00 ब्लड यूनिट की जरूरत होती है। जो विभिन्न कैंपों के माध्यम से हॉस्पिटल में आता है। ब्लड देने से कमजोरी नही आती बल्कि शरीर का विकास होता है। इसलिए किसी को ब्लड देने में संकोच नहीं करना चाहिए.'

- एके नोटियाल, ब्लड बैंक इंचार्ज, दून हॉस्पिटल

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