हरदा राज में हाशिये पर पहुंचे आर्य को बीजेपी में ही दिखी राह

-अध्यक्ष की कुर्सी गंवाने के बाद पार्टी में कम हो गया था वजन

-बेटे संजीव आर्य के टिकट के लिए नहीं बन पा रहा था माहौल

DEHRADUN: लगभग ब्0 साल कांग्रेस से जुडे़ रहे यशपाल आर्य के पाला बदल पर एक शेर सियासी फिजाओं में गूंज रहा है-कुछ तो रही होगी मजबूरी, यूं ही कोई बेवफा नहीं होता। हरदा राज में हाशिये पर पहुंचे यशपाल आर्य के संबंध में शेर की इन लाइनों को पकड़ने की कोशिश भी हो रही है। क्या वास्तव में आर्य का ये कदम मजबूरी में उठाया गया कदम है या फिर एक मंझे हुए खिलाड़ी की तरह उन्होंने बेटे और अपने लिए एक ऐसी नई राजनीतिक जमीन तलाश ली है, जिस पर उन्हें तेजी से आगे बढ़ने की संभावना ज्यादा दिखाई दे रही है।

पहले भी की थी इस्तीफे की पेशकश

यशपाल आर्य के फैसले ने न सिर्फ कांग्रेस को, बल्कि पूरे उत्तराखंड को घोर आश्चर्य से भर दिया है। पार्टी में तमाम उपेक्षा के बावजूद कोई आसानी से ये बात मानने के लिए तैयार नहीं था, कि आर्य कांग्रेस छोड़ सकते हैं। हालांकि कुछ पिछले साल इस तरह की खबरें भी आई थीं कि सोनिया-राहुल से मिलकर आर्य ने इस्तीफे की पेशकश कर दी थी। हाईकमान के मनाने के बाद ही उन्होंने कांग्रेस में रुकने का फैसला किया था।

अध्यक्षी जाने के बाद से हाशिये पर

यशपाल आर्य ने विभिन्न गुटों में बंटी कांग्रेस में पीसीसी चीफ का पद आठ सालों तक लगातार थामे रखा। यह आसान काम नहीं था, लेकिन जब से अध्यक्षी गई, कांग्रेस में आर्य का वजन कम होने लगा। ये ही कारण है कि वह लंबे समय से पार्टी में खिन्न चल रहे थे। आज भले ही वह पूर्व सीएम विजय बहुगुणा के साथ खडे़ दिख रहे हैं, लेकिन बहुगुणा जब सीएम थे, तब एक मामले में नाराज होकर उन्होंने सरकारी सुविधाएं वापस कर दी थीं। हालांकि बाद में वह मान गए थे। इसी तरह, हरीश रावत सरकार के दौरान तो उनकी नाराजगी कई मौकों पर दिखी। आपदा प्रबंधन विभाग भी उन्होंने नाराजगी के कारण नहीं संभाला।

कुछ फायदा, कुछ नुकसान भी होगा

नए घटनाक्रम के बाद यशपाल और उनके बेटे संजीव आर्य के टिकट की राह भले ही आसान हो जाए, लेकिन कुछ नुकसान आर्य को भी उठाना पडे़गा। दरअसल, कांग्रेस का प्रमुख दलित चेहरा उत्तराखंड में यशपाल आर्य ही रहे। ये ही वजह रही कि सीएम की दौड़ में भी उनका नाम उछलता रहा। बीजेपी का दलित चेहरा बनना आर्य के लिए बहुत कठिन होगा।

क्या सीबीआई का दबाव भी रहा कारण

आर्य के सहकारिता मंत्री रहते हुए किए कार्यो के साथ कांग्रेस सीबीआई कनेक्शन जोड़ रही है। कांग्रेस इस बात को उछाल रही है कि सहकारी बैंकों में जमा राशि के कारण सीबीआई के रडार पर आर्य आ सकते थे। सीबीआई से बचने के लिए ही बीजेपी का दामन थामा गया है।

यशपाल आर्य-खास बातें

0भ्

बार यशपाल आर्य चुने गए विधायक।

08

साल तक लगातार रहे पीसीसी चीफ

ख्00ख्

में बने आर्य विधानसभा के अध्यक्ष।

ख्0क्ख्

में यशपाल आर्य बने कैबिनेट मंत्री।

यशपाल आर्य का प्रोफाइल

-जन्म- म् जनवरी, क्9भ्ख्

-निवास - छड़ायल सुयाल, हल्द्वानी

-शिक्षा- स्नातक

-वर्ष क्978 में एमबीपीजी कॉलेज हल्द्वानी में चीफ प्रीफेट

-वर्ष क्98ब् में ग्राम छड़ायल सुयाल, मानपुर पश्चिम के ग्राम प्रधान

-वर्ष क्98ब् से क्989 तक नैनीताल जिला युवा कांग्रेस के अध्यक्ष

-वर्ष क्989 में प्रथम बार खटीमा से उप्र विधानसभा सदस्य निर्वाचित

-वर्ष क्99फ् से क्99म् तक खटीमा से उप्र विधानसभा में दूसरी बार निर्वाचित

-वर्ष क्99म् से ख्000 तक जिला कांग्रेस कमेटी ऊधमसिंह नगर के अध्यक्ष

-वर्ष ख्00ख् में आम चुनाव में मुक्तेश्वर से निर्वाचित

-कांग्रेस की तिवारी सरकार में विधानसभा अध्यक्ष रहे

-वर्ष ख्007 में मुक्तेश्वर सीट से विधानसभा सदस्य निर्वाचित

-वर्ष ख्007 से अक्टूबर में उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी प्रदेश अध्यक्ष

-वर्ष ख्0क्0 में कांग्रेस कमेटी के फिर से प्रदेश अध्यक्ष बने

-वर्ष ख्0क्ख् में बाजपुर विधानसभा सीट से निर्वाचित और कैबिनेट मंत्री