-देश की पहली सेमी हाई स्पीड ट्रेन के सफल ट्रायल से रेलवे को जगी उम्मीद
-अब वंदे भारत एक्सप्रेस का आपरेशन सफल होते ही 30 साल पुरानी शताब्दी होगी रिप्लेस
VARANASI : पूरी तरह से भारत में बनी पहली सेमी हाई स्पीड ट्रेन 'वंदे भारत' एक्सप्रेस ने रेलवे को नयी आशा की किरण भी दी है। इस ट्रेन के सफल संचालन के साथ ही देश में सबसे तेज चलने वाली रेलगाड़ी की टेक्नोलॉजी पूरी तरह से भारतीय हो जाएगी। तब यह वंदे भारत एक्सप्रेस पिछले 30 साल से देश के विभिन्न सिटी को हाई स्पीड ट्रेन से जोड़ रही शताब्दी एक्सप्रेस की जगह ले लेगी। ऐसा हमारा नहीं, नॉर्दन रेलवे के जीएम टीपी सिंह का दावा है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट से खास बातचीत में जीएम ने कहा कि कि वंदे भारत एक्सप्रेस कई मायने में खास है।
18 महीने में किया निर्माण
बताया कि देश की पहली बिना इंजन वाली 16 कोच की वंदे भारत एक्सप्रेस को भारतीय इंजीनियर्स ने 18 महीने के रिकॉर्ड टाइम में बनाया है। इस पर 97 करोड़ रुपये की लागत आई है और इसे इंटीग्रल कोच फैक्टरी चेन्नई में बनाया गया है। आगे आने वाले समय में वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन 30 साल पुरानी शताब्दी एक्सप्रेस की जगह लेगी। जिससे स्पीड बढ़ने के साथ ही पैसेंजर्स अमेनटीज में भी इजाफा हो जाएगा।
विदेशों में होगा एक्सपोर्ट
जीएम ने बताया कि यह ट्रेन कैंट स्टेशन वाराणसी से नई दिल्ली का सफर आठ घंटे में तय करेगी। उन्होंने कहा कि आखिर हम कब तक विदेशी तकनीक के भरोसे रहेंगे और इसी सोच के साथ इस ट्रेन को बनाया गया है। देश में सक्सेस होने पर इसे विदेशों में भी निर्यात करने की योजना रेलवे ने बनाई है। हालांकि वर्तमान समय में भारत से विभिन्न देशों को डीजल व इलेक्ट्रिक इंजन की सप्लाई की जा रही है। अब सेमी हाई स्पीड ट्रेन की बारी है।
देश में 27 जोड़ी चल रही शताब्दी
देश के विभिन्न जगहों पर शताब्दी ट्रेन का संचालन हो रहा है। विभिन्न रूट पर 27 जोड़ी शताब्दी चलायी जा रही है। सन् 1988 में पहली बार तत्कालीन रेलमंत्री माधव राव सिंधिया ने नई दिल्ली से झांसी जंक्शन के बीच शताब्दी ट्रेन को हरी झंडी दिखायी थी। तब से लेकर अब तक 56 शताब्दी ट्रेनों को रेलवे विभिन्न रूट पर संचालित कर रहा है। एक दिन में जर्नी पूरी करने वाले रूट पर शताब्दी को चलाया जा रहा है। यह रेलवे की सबसे फास्ट और पैसेंजर्स सुविधा के लिए पहचान रखने वाली ट्रेन है। हालांकि रेलवे ने एक और कदम आगे बढ़ते हुए राजधानी, गतिमान और तेजस का भी संचालन किया है। लेकिन इन सबको वंदे भारत एक्सप्रेस पीछे छोड़ देगी। कारण कि इसकी स्पीड और सुविधा दोनों वर्ल्ड लेवल के हैं।
वंदे भारत को ये करते हैं अलग
-वंदे भारत एक्सप्रेस पूरी तरह से मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट का हिस्सा है
-यह ट्रेन (इंटीग्रल कोच फैक्ट्री) आईसीएफ चेन्नई में निर्मित है
-ट्रेन में 16 चेयरकार कोच (एग्जिक्यूटिव व नॉन एग्जिक्यूटिव हैं)
-14 नॉन एग्जिक्यूटिव और 2 एग्जिक्यूटिव कोच हैं
-एग्जिक्यूटिव कोच में 56 पैसेंजर्स के बैठने की सीट है
-नॉन एग्जिक्यूटिव कोच में 78 लोगों के बैठने की सुविधा है
-स्टेनलेस स्टील कार बॉडी जिसका आधार डिजाइन एलएचबी है
-ट्रेडिशनल ट्रेन्स से अलग खिड़कियां हैं
-पूरी तरह से एसी ट्रेन में खास तरह की सीट है
-पूरी ट्रेन वाई-फाई और इंफोटेनमेंट की सुविधा से लैस है
-जीपीएस आधारित यात्री सूचना प्रणाली से लैस है वंदे भारत
-स्वचालित दरवाजे, स्लाइडिंग फूट स्टेप की सुविधा
-हाइलोजन मुक्त रबड़-ऑन रबड़ का फर्श है
-जीरो डिस्चार्ज बायो-वैक्यूम टॉयलेट
-मॉड्यूलर टॉयलेट में एस्थेटिक टच-फ्री बाथरूम
-लगेज रखने के लिए बड़ा केस
-दोनों छोर पर लोको पायलट केबिन
-विकलांग पैसेंजर्स के लिए कोचेज में व्हील चेयर की जगह
-पैसेंजर्स के लिए सीट के सामने टेबल की व्यवस्था
-सीट 180 डिग्री तक घूम सकती है
वंदे भारत एक्सप्रेस का ऑपरेशन सफल होने के बाद सन् 1988 से चल रही शताब्दी धीरे-धीरे रिप्लेस होने लगेगी। इससे पैसेंजर्स को रेलवे में सेमी हाई स्पीड ट्रेन के साथ ही वर्ल्ड लेवल की फैसिलिटीज भी मिलेंगी।
टीपी सिंह, जीएम
नॉर्दन रेलवे, नई दिल्ली