मिल गई 152वीं रैंक
सिविल सर्विस एग्जॉम एग्जॉम क्िलयर करने का सपना देख रहीं वनमति आज सफलता के झंडे गाड़ चुकी हैं। पहले 3 प्रयासों में मिली असफलता ने वनमति को इतना मजबूत बना दिया कि अंत में उनका सपना पूरा हो ही गया। इस दौरान वे कभी थकी या हारी नहीं बल्िक लगातार और अधिक परिश्रम करने का जूनुन उन्हे आगे ले जाता रहा। 26 साल की वनमति फिलहाल इंडियन ओवरसीज बैंक में असिस्टेंट मैनेजर पद पर कार्यरत हैं। वह बताती हैं कि, 2001 में पर्सनैलिटी टेस्ट में फेल हुई, फिर अगली बार जब एग्जॉम दिया तो प्री-एग्जॉम क्िलयर नहीं हो पाया। जबकि 2013 में मेन एग्जॉम पास नहीं कर पाई। लेकिन आखिर में चौथे प्रयास में उन्हें सफलता मिल ही गई।

मध्यम वर्गीय परिवार
वनमति के परिवार की आर्थिक हालत सामान्य है। उनके पिता ड्राइवर का काम करते थे। फिलहाल स्पाइनल इंजरी की वजह से वे पिछले दो माह से घर पर हैं। पिता के बीमार रहने के दौरान वनमति ने अपना इंटरव्यू राउंड पूरा किया। आज वनमति की सफलता से परिवार की खुशियों का कोई ठिकाना नहीं है। वैसे वनमति का यह सफर इतना आसान न था। वह बताती हैं कि, पशुओं को चराने से लेकर IAS अफसर बनने का सफर काफी लंबा रहा। गौरतलब है कि कुछ साल पहले तक उन्हें तमिलनाडु के इरोड जिले में पढ़ाई के साथ गायों को चराने का काम भी करना पड़ता था।

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