- मांग पूरी कराने की जिद पर अड़े वनटांगिया

- सात दिनों के भीतर कार्रवाई करने का आश्वासन

GORAKHPUR: अंग्रेजी हुकूमत में जंगलों के बसाए गए मजदूरों की हालत नहीं बदली। पीढ़ी दर पीढ़ी बदहाली बढ़ती चली गई। सालों से बुनियादी सुविधाओं का अभाव झेल रहे मजदूरों ने हक की लड़ाई शुरू की है। थर्सडे को गोरखपुर-महराजगंज जिले के वनटांगिया मजदूर इकट्ठा हुए तो प्रशासन सकते में आ गया। कमिश्नर आफिस पर प्रदर्शनकारियों को वाजिब हक दिलाने आश्वासन डीएम रंजन कुमार ने दिया। निषाद समुदाय के बाद वनटांगियों ने आवाज बुलंद की है। इसको लेकर प्रशासन अलर्ट हो गया है।

अंग्रेजों ने बसाया था, नहीं मिला वाजिब हक

गोरखपुर जिले के जंगलों के आसपास वनटांगियों की भारी तादाद है। वनटांगियां मजदूरों का कहना है कि वर्ष 1921 में अंग्रेजों ने उनको जंगलों के किनारे बसाया। जंगल में पौधे लगाने का काम उनके जिम्मे था। अंग्रेजों ने इसके बदले वनटांगियों को जंगल किनारे भूमि दे दी। उसी भूमि पर अनाज उपजाने की अनुमति वनटांगियों को थी। आजादी के बाद भी वनटांगियां जंगलों के किनारे बसे रहे। लेकिन उनको बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल सकी।

सांसद-विधायक बनाएंगे, नहीं चुन सकते प्रधान

वनटांगियों ने कहा कि उनकी बसावट को राजस्व ग्राम का दर्जा नहीं मिल सका। काफी प्रयास के बाद उन लोगों को वोट डालने का हक मिला। सांसद-विधायक चुनने का अधिकार दिया गया। लेकिन प्रधान बनाने के अधिकार से वंचित रहे। जंगलों के आसपास सुविधाओं की कमी से बच्चों का फ्यूचर अंधेरे में हैं।

इन सुविधाओं की दरकार

1. राजस्व ग्राम का दर्जा नहीं

2. जाति-आय प्रमाण पत्र का अभाव

3. स्कूल और अस्पताल की कमी

4. सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित

5. खेती के लिए भूमि नहीं

दो दिनों के आंदोलन पर जागे अफसर

गोरखपुर-महराजगंज के वनटांगियां दो दिनों से आंदोलन चला रहे थे। कमिश्नर आफिस पर वेंस्डे को जहां सदर सांसद महंत आदित्यनाथ ने अगुवाई की। वहीं थर्सडे को पनियरा के विधायक जीएम सिंह भी आंदोलनकारियों के साथ रहे। बाकी रेंज के पनियरा जंगल से सटे बरहवा, बेलासपुर, दौलतपुर के दो हजार से अधिक लोग कमिश्नर आफिस पहुंचे। लोगों का आंदोलन देखकर प्रशासन ने कड़ा कदम उठाया।

डीएम के आश्वासन पर थम गया आंदोलन

थर्सडे को डीएम रंजन कुमार ने वनटांगियों को वाजिब हक दिलाने आश्वासन दिया। इसके बाद आंदोलन थम गया। मजदूरों ने कहा कि पांच दिनों के भीतर कार्रवाई नहीं हुई तो दोबारा आंदोलन करेंगे। निषाद समुदाय के आंदोलन वनटांगियों का आक्रोश देखकर प्रशासन बैकफुट पर रहा।

ये मिला आश्वासन

1. 23 वनटांगियां गांवों में कैंप लगाकर मतदाता सूची बनाई जाएगी। पंचायत चुनाव में भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।

2. 23 गांवों में रहने वाले सभी लोगों का परिवार रजिस्टर बनाया जाएगा।

3. जाति-आय, निवास प्रमाण पत्र और पेंशन के लाभ दिए जाएंगे।

4. लघु वन उपजों पर वनटांगियां किसानों का हक सुनिश्चत होगा।

5. वन विभाग के अधिकारी, कर्मचारी वनटांगियों का उत्पीड़न नहीं करेंगे।