दर्जनों मौत के बाद भी हर रोज सुलग रहीं अवैध शराब की भट्ठियां
बाराबंकी शराब कांड ने ताजा की 2010 के सोएपुर और कपसेठी कांड की याद
सोएपुर में 28 और कपसेठी में दस की गयी थी जहरीली शराब के सेवन से जान
VARANASI:
बाराबंकी में जहरीली शराब से एक दर्जन मौतों ने बनारस के सोएपुर और कपसेठी कांड की याद ताजा कर दी. 17 फरवरी 2010 को जहरीली शराब के सेवन से सोएपुर में 28 लोगों की मौत हुई थी. एक दर्जन लोग महीनों तक अस्पताल में एडमिट रहे थे. इस हादसे के ठीक 45 दिन बाद कपसेठी थाना के शिवरामपुर व भदोही के चौरा में भी दस लोगों की जहरीली शराब पीने से मौत हुई थी. दर्जनों महीनों तक जिंदगी और मौत से जूझते रहे. जब ये घटनाएं हुई उस वक्त पुलिस और प्रशासन ने खूब तेजी दिखायी. कई लोगों पर मुकदमा हुआ, गिरफ्तारी हुई, चार्जशीट फाइल हुई पर कुछ दिनों बाद ही इन जगहों पर नकली शराब का धंधा फिर शुरू हो गया. हर रोज लोगों की जान से खेला जा रहा है. इस पर रोक लगाने की जिम्मेदारी जिन पर उनको जानकारी भी है लेकिन सब आंखें मूंदे हुए हैं. लगाम लगाने का सिस्टम फेल है तभी अवैध शराब पर खेल जमकर हो रहा है.
तय नहीं हुआ हत्यारा कौन
सोयेपुर कांड में पूर्व सांसद जवाहर लाल जायसवाल समेत कई लोगों को आरोपी बनाया गया था. पुलिस ने 20 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी. जवाहर लाल जायसवाल पर अनिच्छित हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ था. इनके बाद ही जैसे सभी इस मामले को भूल गए. शराब के नाम पर जहर पिलाकर 28 लोगों की जान लेने वाले और कइयों को शारीरिक रूप से विकलांग कर देना का दोषी कौन है अब तक तय नहीं हो सका है. वहीं कपसेठी कांड में भागवत सिंह, उसके भाई राजेश सिंह, शिव राजभर, संजय राजभर आरोपित बनाए गये थे. कुछ माह जेल में रहने के बाद सभी जमानत पर बाहर आए तो फिर तो फिर पुलिस ने इस केस पर ध्यान देना ही छोड़ दिया. चार्जशीट पर मेहनत नहीं की गयी, अलग से धारा तक नहीं जोड़ी, पूर्वाचल के एक माफिया का करीबी होने का असर हुआ कि भागवत सिंह समेत सभी आरोपित फिर कभी जेल नहीं गए. कानूनी प्रक्रिया कहां तक पहुंची दोबारा किसी जिम्मेदार अधिकारी ने जानने की जरूरत नहीं समझी.
हर रोज सुलग रही भट्ठियां
बनारस अवैध शराब धंधे का बड़ा सेंटर बन चुका है. शहर से लेकर गांव तक में तैयार होने वाली कच्ची शराब जिसे खुफिया दारू या अवैध शराब कहते हैं की सप्लाई दूर-दूर तक होती है. बिहार में शराब बंदी के बाद तो बनारस में बन रही खुफिया दारू सीमा पार भी पहुंचने लगी है. हर रोज बनारस में 100 भट्ठियां सुलगती हैं और इन पर अवैध शराब तैयार की जाती है. ऐसा नहीं कि आबकारी और पुलिस इससे अनजान है. उनकी आंख के सामने ही सारा धंधा चलता है. दबाव बनने पर कभी-कभी शराब के धंधेबाजों पर कार्रवाई होती वो भी सिर्फ दिखावटी. रोहनिया, बड़ागांव में पुलिस ने छापेमारी करते हुए अवैध शराब की फैक्ट्री का भंडाफोड़ कर आरोपियों को जेल भेजा. कुछ ही दिन बाद फिर से इलाके में लहन तैयार होने लगा.
फिर निकली आबकारी की टीम
बाराबंकी की घटना को गंभीरता से लेते हुए आबकारी विभाग की टीम फिर से शराब माफियाओं की तलाश में निकली. मंगलवार को जिले के कई इलाकों में छापेमारी कर बनाई जा रही कच्ची शराब के आधा दर्जन ठिकानों पर हल्ला बोला. आबकारी की ये कार्रवाई रोहनिया, बड़ागांव, फूलपुर, चौबेपुर, शिवपुर आदि इलाकों में हुई.
ये हैं अवैध शराब के कुख्यात इलाके
- सिगरा थाना के मलदहिया मलिन बस्ती में अवैध शराब का धंधा होता है
- शिवपुर थाना एरिया के कानूनडीह में पांच दशक के खुफिया दारू का धंधा चल रहा है.
-दुल्हीपुर में भी बडे़ पैमाने पर चल रहा कच्ची शराब का खेल
- बड़ागांव थाने के ठीक सामने बसी बस्ती कुख्यात है अवैध शराब के लिए
- चौबेपुर और फूलपुर में ईट भठ्ठों पर सुलगती हैं शराब की भट्ठियां
- रोहनिया इलाके में दो दर्जन से ज्यादा शराब की भट्ठियां दहकती हैं रोज
-केसरीपुर, मिसिरपुर गांव में भी तैयार होती है अवैध शराब
17
फरवरी 2010 में हुआ सोएपुर शराब कांड
28
लोगों की जान गयी थी जहरीली शराब पीने से
20
लोगों के खिलाफ दाखिल हुई थी चार्जशीट
3
अप्रैल 2010 को कपसेठी में हुआ जहरीली शराब कांड
10
लोगों की चली गयी थी जान
4
के खिलाफ पुलिस ने दर्ज किया था रिपोर्ट
100
से अधिक अवैध शराब की भट्ठियां हर रोज सुलग रहीं गांव से लेकर शहर तक
रोहनिया सहित अन्य इलाकों में शराब की अवैध बिक्री करने वालों की तलाश में छापेमारी हुई है. सभी सेक्टर निरीक्षकों को इलाके में अभियान चलाने का निर्देश दिया गया है.
टीसी पाल, उपसहायक आबकारी अधिकारी