-बनारस की 50 फीसदी महिलाओं में है खून की कमी
-जिले की करीब 24 फीसद महिलाओं का वजन कम
शहर की महिलाओं में खून की कमी है, खासकर प्रेगनेंट वूमेन में। यह हम नहीं हेल्थ डिपार्टमेंट की रिपोर्ट कह रही है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 (एनएफएचएस-4) की रिपोर्ट में बताया गया है कि बनारस में करीब 50 फीसद महिलाएं एनीमिक हैं। रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया गया है कि 15 से 49 वर्ष आयु वर्ग की लगभग 23.8 फीसद लेडीज का वजन बेहद कम हैं। जबकि 18.1 फीसद महिलाओं का जरूरत से ज्यादा वजन हैं। ऐसे में गर्भ में पल रहे शिशुओं और दुनिया में कदम रख चुके बच्चों का भविष्य संकट में है।
कम उम्र में शादी
एक्सपर्ट का कहना हैं कुपोषण का मुख्य कारण लड़की की कम उम्र में शादी और एक से अधिक बार प्रेगनेंट होना भी है। एनएफएचएस-4 के अनुसार बनारस में 19.9 फीसद लड़कियों की शादी 18 वर्ष से कम उम्र में हो जाती है, जबकि 4.1 फीसद महिलाएं 19 साल की उम्र से पहले मां बन जाती हैं। स्त्री रोग विशेषज्ञों का कहना कि ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं में खून की कमी का प्रतिशत शहर की महिलाओं की तुलना में अधिक है। यह समस्या गर्भवती महिलाओं को हाई रिस्क प्रेगनेंसी की ओर ले जाता है। खाना कम और जागरूकता के अभाव में गर्भवती के साथ उसके शिशु पर सीधा प्रभाव पड़ता है। डिलिवरी के दौरान महिलाओं की जान खतरे में रहती है। साथ ही नवजात का भविष्य भी सुरक्षित नहीं रहता है।
खानपान में कमी बड़ी वजह
एक्सपर्ट की मानें तो बच्चों के कुपोषण का सीधा सम्बन्ध मां के स्वास्थ्य से जुड़ा होता है। आम तौर पर देखा जाता है की घरेलू महिलाएं अपनी सेहत को लेकर खास ध्यान नहीं देती हैं। जबकि प्रेगनेंसी के समय महिला को एक्ट्रा भोजन की जरूरत रहती है ताकि इससे होने वाले बच्चा कुपोषित न हो। इसलिए समाज में यह जागरूकता पैदा करना जरूरी है कि ऐसा न होने से महिला में एनीमिया का खतरा बढ़ सकता है।
बेटियों से फर्क
समाज में काफी बदलाव के बावजूद बेटे-बेटियों में फर्क आज भी होता है। बेटियों की सेहत पर उतना ध्यान नहीं दिया जाता जितना की बेटों पर। बेटों को शरीर बनाने के लिए जिम और भरपेट भोजन तो दिया जाता है, लेकिन बेटियों को नहीं। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के आंकड़े बताते हैं कि कुपोषित बच्चों में लड़कियों की संख्या लड़कों से ज्यादा है, फिर भी पैरेंट्स उसे एनआरसी तक ले जाने मुनासिब नहीं समझते हैं।
44, 11536
बनारस जिले की जनसंख्या
23, 11536
के करीब है पुरुषों की जनसंख्या
21,00000
के करीब है महिलाओं की जनसंख्या
गांव के बच्चों और महिलाओं में खून की कमी अधिक
शहरी-----ग्रामीण------कुल
बच्चे (6 से 59 माह)------------
-58.2-----58.8------58.5
सामान्य महिला
(15 से 49 साल)
-49.3-----52.3------50.9
गर्भवती महिला (15 से 49 साल)
-50.6-----50.8------50.8
दोनों मिलाकर--------------------49.4------52.2------50.9
नोट: नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के ये आंकड़े प्रतिशत में है।
वर्जन
कम उम्र में गर्भधारण करने से अविकसित बच्चे को जन्म देने की सम्भावना अधिक रहती है। इससे ज्यादातर बच्चे या तो समय से पहले जन्म लेते हैं या कुपोषित होते हैं। ऐसे में महिला को स्वस्थ्य रहना बेहद जरूरी है।
डॉ। रूचि पाठक-स्त्री रोग विशेषज्ञ
सरकार महिलाओं की सेहत को लेकर फिक्रमंद है। पीएमएमएसवाई, जननी सुरक्षा, मातृ वंदना जैसी योजनाओं के साथ ही शहर में आशा वर्कर और गांव में आंगनबाड़ी कार्यकत्री के माध्यम से उनके स्वास्थ्य की देखभाल के लिए प्रोत्साहन राशि भी दी जा रही है।
डॉ। राजेश प्रसाद, एसीएमओ
खून की कमी के कारण
- संतुलित आहार नहीं लेना
- पेट में कीड़ा होना
- जंक फूड पर निर्भर होना
- शरीर में संक्रामण होना
गर्भावस्था के दौरान खून की कमी लक्षण
- पेट में तेज दर्द होना
- कमजोरी महसूस करना
- जल्दी थक जाना
- सांस फूलना
- पैरों में सूजन होना
- दौरे पड़ना
- बुखार आना
डॉक्टर की सलाह
गर्भवती को आयरन और कैल्शियम की गोली खिलाएं
- गर्भवतियों को धूम्रपान से दूर रखें
- हिमोग्लोबीन की जांच कराएं
- गर्भवतियों उचित देखभाल करें
- गर्भवतियों के खानपान पर ध्यान दें