-बरेली में इस प्रजाति का एक ही पेड़ बचा है

-कई बीमारियों के इलाज में वरुण की छाल और पत्तियों का काढ़ा कारगर

: दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के अर्थ डे शुरू हुए कैंपेन डॉक्युमें'ट्री' में आज हम आपको एक और विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुके पवित्र वृक्ष के बारे में बता रहे हैं. कभी उत्तर भारत में बड़ी संख्या में पाए जाने वाले वरुण नाम के इस वृक्ष में तमाम औषधीय गुणों का खजाना है. बरेली में वरुण का एक ही पेड़ बचा है. गर्मी के मौसम में चांदनी रात में सफेद फूलों से लदे इस पेड़ की सुंदरता देखते ही बनती है.

साइंटिफिक नेम- क्रिटिवा रेलिजियोसा

लोकल नेम- वरुण

संस्कृत में नाम- अश्मरीघ्न, अजापा, कुमारक

इंग्लिश नेम- थ्री लीव्ड केपर, हॉली गार्लिक पियर

1 पेड़ लगा है कैंट स्थित सेंट मारिया स्कूल के पास

60 साल पुराना है यह पेड़

25-30 फुट ऊंचा होता है यह पेड़

विलुप्त होती प्रजाति

बरेली कॉलेज के बॉटनी डिपार्टमेंट के हेड प्रोफेसर आलोक खरे बताते हैं कि वरुण के वृक्ष उत्तर भारत में बड़ी संख्या में पाए जाते थे, लेकिन आज यह विलुप्त होने के कगार पर है. बरेली की बात करें तो एक पेड़ कैंट स्थित सेंट मारिया स्कूल के पास है. इसके अलावा कैंट एरिया में इस प्रजाति के एक-दो और पेड़ हो सकते हैं.

छाल और पत्तियों से बनता है काढ़ा

वरुण वृक्ष की छाल और पत्तियों का उपयोग कई बीमारियों के इलाज में किया जाता है. काढ़े के साथ ही इसकी छाल का उपयोग चूर्ण के रूप में भी किया जाता है.

औषधीय गुण

-किडनी में पथरी - काढ़े के नियमित इस्तेमाल से छोटी होकर निकल जाती है.

-अंदरूनी घाव- काढ़ा शरीर के अंदरूनी घाव को भी जल्द भरने में सहायक.

अल्सर- वरुण के काढ़े के इस्तेमाल से अल्सर भी जल्दी होता है ठीक.

एसिडिटी- पत्तियों का काढ़ा बनाकर पीने से एसिडिटी की समस्या होती है दूर.

धार्मिक महत्व

वरुण का वैज्ञानिक नाम क्रिटिवा रेलिजियोसा है. रेलिजियोसा शब्द रिलिजियस यानि धार्मिक से बना है. इसके औषधीय गुणों के कारण ही इसे पवित्र पौधों की श्रेणी में रखा गया है.

चरक, सुश्रुत संहिता में भी वर्णन

औषधीय गुणों के कारण वरुण वृक्ष का वर्णन चरक और सुश्रुत संहिता में भी किया गया है. आयुर्वेद पद्धति में भी वरुण का उपयोग कई बीमारियों के इलाज में किया जाता है.

अपील

- हमारे इस कैंपेन में दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के रीडर भी हिस्सा बन सकते हैं. अगर आपका किसी पेड़ से खास लगाव है तो उसके साथ एक सेल्फी लेकर हमें भेजें. साथ ही सौ शब्दों में उस लगाव का कारण भी बताएं. और अगर शहर के किसी पेड़ के बारे में आपकेपास कोई रोचक जानकारी है तो हमें फोटो के साथ भेजें, हम उसे अपने न्यूजपेपर में पब्लिश करेंगे.

- अगर किसी के घर, मोहल्ले या जानकारी में ऐसा कोई पेड़ हो, जिसके सामने उनकी कई पीढ़ी निकल गई हो तो उसके साथ भी आप सेल्फी भेज सकते हैं.