Vasant Panchmi 2020 Saraswati Puja Katha: ब्रह्मवैवर्तपुराण के अनुसार जब प्रजापति ब्रह्मा ने भगवान विष्णु की आज्ञा से सृष्टि की रचना की तो वे उसे देखने के लिए निकले।उन्होंने सर्वत्र उदासी देखी।सारा वातावरण उन्हें ऐसा दिखा जैसे किसी के पास वाणी न हो।सुनसान, सन्नाटा, उदासी भरा वातावरण देखकर उन्होंने इसे दूर करने के लिए अपने कमंडल से चारों तरफ जल छिड़का।

माता सरस्वती इस तरह हुईं प्रकट

जलकणों के वृक्षों पर पड़ने से वृक्षों से एक देवी प्रकट हुई,जिसके चार हाथ थे। उनमें से दो हाथो में वह वीणा पकड़े हुई थीं। वहीं उनके शेष दो हाथों की बात करें तो एक में पुस्तक और दूसरे में माला थी।संसार की मूकता और उदासी भरे माहौल को दूर करने के लिए ब्रह्मा जी ने इस देवी से वीणा बजाने को कहा।वीणा के मधुर स्वर नाद से जीवों को वाणी(वाक शक्ति) मिल गई।

इस वजह से पड़ा सरस्वती नाम

सप्तविध स्वरों का ज्ञान प्रदान करने के कारण ही इनका नाम सरस्वती पड़ा। वीणा वादिनी सरस्वती संगीतमय आह्लादित जीवन जीने की प्रेरणा है वह विद्या, बुद्धि और संगीत की देवी मानी गई है, जिनकी पूजा आराधना में मानव कल्याण का समग्र जीवन- दर्शन निहित है।

विशेष : इस दिन छोटे बच्चों के लिए शिक्षा आरम्भ का भी अबूझ मुहूर्त है।

- ज्योतिषाचार्य पंडित राजीव शर्मा

बालाजी ज्योतिष संस्थान,बरेली