कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। वट सावित्री की पूजा तभी पूर्ण मानी जाती है जब बरगद के पेड़ की पूजा की जाए। पेड़ों और वृक्षों की पूजा करने की परंपरा काफी पुरानी है। पेड़ों की पूजा काफी सालों से चली आ रही है। पेड़ हमें छाया देते हैं और फल-फूल देते हैं। ऐसे में उनकी पूजा करना जरूरी हो जाता है। मगर कुछ पौराणिक कथाओं में धर्म के अनुसार भी पेड़ों की पूजा होती है। वट सावित्री व्रत उन्हीं में से एक है, जिसमें पेड़ (बरगद) की पूजा करना माना गया है।

बरगद की पूजा है काफी खास

बरगद का पेड़ काफी खास होता है। उसकी जड़ें काफी मजबूत होती हैं और ये सालों तक टिका रहता है। वट सावित्री का व्रत पति की लंबी उम्र की कामना के लिए रखा जाता है। इस व्रत में बरगद की पूजा इसलिए होती है ताकि जिसके लिए व्रत रखा गया है उसकी उम्र काफी लंबी हो जाए।

इसलिए होती है बरगद की पूजा

बरगद पेड़ की पूजा को लेकर मान्यता है कि इसमें तीनों देवों का वास है। इसकी छाल में विष्णु जी ,जड़ में ब्रह्मा जी और शाखाओं में शिव जी का वास होता है। इसलिए इस दिन इसकी पूजा हाेती है। मान्यताओं के अनुसार सावित्री ने इस दिन ही अपने पति को यमराज के चंगुल से बचाया था। इस प्रकार अपने जीवनसाथी की लंबी आयु और कल्याण सुनिश्चित करने के लिए, महिलाएं इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं और व्रत रखती हैं। यह व्रत विवाहित महिलाओं में अपने पति के प्रति प्रेम के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।