देहरादून।

न्यू एमवी (अमेंडमेंट) एक्ट लागू होने के बाद प्रदेशभर में ताबड़तोड़ खुले पॉल्यूशन टेस्ट सेंटर्स में से आधे बंद हो चुके हैं। शुरुआत में पॉल्यूशन टेस्ट सेंटर्स पर पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल (पीयूसी) सर्टिफिकेट के लिए वाहनों की कतार लगी रहती थी, लेकिन अब इन सेंटर्स पर कोई नहीं फटक रहा। पुलिस को पीयूसी चेक करने का राइट नहीं दिया गया है, वहीं ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट की ओर से भी व्हीकल्स के पीयूसी चेक नहीं किए जा रहे हैं। ऐसे में व्हीकल ओनर्स पीयूसी बनवाने में इंटरेस्ट नहीं ले रहे हैं।

पॉल्यूशन टेस्ट सेंटर्स का ब्योरा

90- पॉल्यूशन टेस्ट सेंटर्स थे दून में एमवी एक्ट में संशोधन से पहले

30- सेंटर्स ही थे वर्किग मोड में, बाकी नहीं थे रिन्यू

138- हो गई संख्या न्यू एमवी एक्ट लागू होने के बाद

177- तक पहुंच गई सेंटर्स की संख्या प्रदेश में

ढाई से पांच गुना है अब पैनल्टी

न्यू एमवी (अमेंडमेंट) एक्ट लागू होने से पहले तक पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट न होने पर व्हीकल का 1000 रुपए चालान किया जाता था। लेकिन, अमूमन इसकी चेकिंग ना के बराबर होती थी। इसलिए व्हीकल ओनर भी बेफिक्र होकर पीयूसी नहीं बनवाता था। अमेंडमेंट के बाद एक्ट प्रभावी होने के बाद पहली बार पीयूसी न होने पर जुर्माने की रकम 2500 व दोबारा पकड़े जाने पर 5000 कर दी गई है।

जुर्माना बढ़ा तो ताबड़तोड़ बनवाए गए पीयूसी

न्यू एमवी एक्ट प्रभावी होने के बाद व्हीकल ओनर्स ने ढाई से पांच गुना जुर्माने के डर से पीयूसी बनवाने शुरू किए। शुरुआत में आलम यह था कि एक-एक पॉल्यूशन सेंटर पर 200 से 300 तक व्हीकल ओनर पॉल्यूशन चेक के लिए पहुंच रहे थे। कई दिनों तक चक्कर काटने के बाद पीयूसी बन पा रहे थे। इस मारामारी को देखते हुए व्हीकल ओनर्स को एक माह की रियायत भी दी गई थी।

सुस्त एन्फोर्समेंट तो चालान का डर गया

शुरुआत में व्हीकल ओनर्स को डर रहा कि चेकिंग हुई तो भारी जुर्माना भरना पड़ेगा। लेकिन, ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट का एन्फोर्समेंट सिस्टम काफी सुस्त रहा। ऐसे में व्हीकल ओनर अब पीयूसी बनवाने में लापवाही कर रहे हैं। ऐसे में इक्के-दुक्के वाहन ही पॉल्यूशन टेस्ट सेंटर्स पर पीयूसी बनवाने पहुंच रहे हैं। ऐसे में कई पॉल्यूशन सेंटर्स इस घाटे को नहीं झेल पा रहे।

कई पॉल्यूशन सेंटर गायब

दून का उदाहरण लें तो न्यू एमवी एक्ट लागू होने से पहले दून में सिर्फ 30 पॉल्यूशन टेस्ट सेंटर्स ही वर्किग थे, हालांकि सेंटर्स की संख्या 90 तक थी। लेकिन कई इनेक्टिव थे। एक्ट प्रभावी होने के बाद जब सेंटर्स पर पीयूसी बनवाने के लिए कतारें लगने लगीं तो कई लोगों ने पॉल्यूशन टेस्ट सेंटर्स के लिए एप्लाई किया और दून में ही सेंटर्स की संख्या 138 तक पहुंच गई। लेकिन, अब अधिकांश सेंटर गायब हो गए हैं। क्योंकि अब व्हीकल ओनर पीयूसी बनवाने नही पहुंच रहे। हाल यह है कि पॉल्यूशन सेंटर संचालक दुकान का किराया, वर्कर की सैलरी और अपना मेहनताना तक नहीं निकाल पा रही।

पॉल्यूशन के चालान हुए कम

2018

देहरादून - 2186

ऋषिकेश - 879

विकासनगर - 767

कुल चालान- 3832

2019

देहरादून- 1594

ऋषिकेश - 1059

विकासनगर - 539

कुल चालान- 3192

वाहन और पॉल्यूशन चेक

1,099,017 व्हीकल हैं दून में

389674 ने ही कराया पॉल्यूशन चेक

386280 हुए जांच में पास

3394 व्हीकल फेल

दस्तावेजों में संचालित हो रहे केन्द्र

पॉल्यूशन जांच केन्द्र सरकारी रिकॉर्ड में तो है पर वह असल में संचालित नहीं हो रहे हैं। इन पॉल्यूशन जांच केन्द्र तो जांच केन्द्र की दुकान की कीमत न चुकाने को लेकर परेशान हैं। कई पॉल्यूशन जांच केन्द्र तो पूरे दिन में एक दो व्हीकल जांच के लिए पहुंचने के कारण अब केन्द्र को बंद करने की कगार में हैं।