- शहर के थानों में दो हजार से अधिक वाहन हो रहे खराब

- नीलामी की प्रक्रिया पूरी होने तक सड़ जाते ज्यादातर पा‌र्ट्स

GORAKHPUR: शहर के थानों पर कबाड़ हो रहे वाहनों को फर्टिलाइजर में आसरा मिलेगा। दो एकड़ भूमि में बने यार्ड में वाहनों को खड़ा करने का इंतजाम शुरू हो गया है। एडीजी जोन के निर्देश पर जल्द वाहनों को फर्टिलाइजर कैंपस के पास यार्ड में शिफ्ट कर दिया जाएगा। एडीजी जोन ने कहा कि नीलामी की जटिल प्रक्रिया की वजह से तमाम वाहन खराब हो जाते हैं। ऐसे में कबाड़ के सिवा उनका कोई उपयोग नहीं रह जाता है।

कम जगह वाले थानों से शिफ्ट होंगे वाहन

पुलिस कर्मचारियों का कहना है कि शहर के विभिन्न थानों और पुलिस चौकियों में दो हजार से अधिक वाहन खड़े-खड़े सड़ रहे हैं। मुकदमों की लंबी प्रक्रिया और नीलामी के चक्कर में इन वाहनों के पा‌र्ट्स और पुर्जे खराब हो चुके हैं। इसलिए नीलामी होने तक ज्यादातर वाहन किसी काम के नहीं रह जाएंगे। थानों पर जगह का अभाव और वाहनों को खराब होने से बचाने के लिए फर्टिलाइजर के पास दो एकड़ भूमि का इंतजाम किया गया है। इस भूमि पर एक यार्ड बनाकर थानों से वाहनों को उठाकर वहां रखवा दिया जाएगा। वाहनों की निगरानी के लिए आठ-आठ घंटे की शिफ्ट में पुलिस कर्मचारियों की तैनाती की जाएगी।

क्या है वाहनों की नीलामी प्रक्रिया

पुलिस विभाग से जुड़े लोगों का कहना है कि लावारिस हाल बरामद, जब्त वाहन के छह माह के बाद निस्तारण की प्रक्रिया शुरू हो जानी चाहिए। वाहन बरामद होने पर पुलिस उसे धारा 102 के तहत पुलिस के रिकॉर्ड में दर्ज करती है। फिर इसके बारे में जानकारी कोर्ट को भेजी जाती है। कोर्ट के आदेश पर पब्लिक प्लेस पर सूचना चस्पा करके लोगों को बताया जाता है ताकि वाहन मालिक भी अपने व्हीकल वापस ले सकें।

जटिल होती प्रक्रिया, अटकी रह जाती फाइलें

विभिन्न मुकदमों में जब्त वाहनों की नीलामी की प्रक्रिया आसान नहीं होती है। जब्त वाहनों के मामले में कोर्ट के आदेश पर ही कोई कार्रवाई हो सकती है। कोर्ट में मुकदमे का निस्तारण होने के बाद अगर वाहन का कोई दावेदार नहीं आता तो थाना उसे नीलामी की प्रक्रिया में रखता है।

जटिलता में फंसे रहते वाहन

- सीजेएम के आदेश पर एक कमेटी का गठन किया जाता है।

- कमेटी में पांच सदस्य होते हैं। इसमें एक मजिस्ट्रेट, आरटीओ के आरआई, एक सीओ रैंक के अफसर और दो पुलिस कर्मचारी शामिल होते हैं।

-नीलामी के लिए आरटीओ सभी वाहनों का वैल्युएशन करता है। नीलामी में रजिस्टर्ड ठेकेदार ही शामिल होते हैं।

- नीलामी के दौरान हुई कमाई को ट्रेजरी में जमा कराया जाता है। पूरी प्रक्रिया अपनाने में काफी समय लगता है।

बोझ हटाने को भेज रहे सूचना

थानों पर लावारिस हाल पड़े वाहनों का डिस्पोजल करने के लिए पुलिस ने एक प्रक्रिया भी अपनाई है। सभी वाहनों का ऑनलाइन डाटा तैयार किया जा रहा है। इसके तहत इंजन नंबर और चेसिस नंबर के आधार पर ऑनर का नाम-पता तलाशकर पुलिस उनको रजिस्टर्ड डॉक से सूचना भेज रही है। वाहन मालिक की तस्दीक न होने की दशा में इंश्योरेंस कंपनी को अवगत कराया जा रहा है। पुिलस से जुड़े लोगों का कहना है कि चोरी गए तमाम वाहनों का भुगतान बीमा कंपनी कर चुकी है। इसलिए उनको ऑनर ले नहीं जाते। उधर, डबल खर्च के चक्कर में कंपनी के अधिकारी भी कोई रूचि नहीं लेते हैं। इस वजह से थानों पर लावारिस हाल वाहन पड़े रहते हैं।

वर्जन

थानों पर पड़े वाहन खराब हो जाते हैं। डिस्पोजल न होने के कारण थानों पर जगह का अभाव बना रहता है। इसको देखते हुए फर्टिलाइजर कैंपस में दो एकड़ भूमि में यार्ड बनाने की योजना है। पहले चरण में उन थानों से वाहनों को रखा जाएगा जहां पर जगह कम है। इस संबंध में कार्रवाई का निर्देश जारी किया जा चुका है।

- दावा शेरपा, एडीजी जोन